मंगलवार, 6 अक्तूबर 2015

भारत में नाटक एग्नेस ऑफ़ गॉड का विरोध क्‍यों ?


आप जब इस ख़बर को पढ़ रहे होंगे तो मुंबई के एनसीपीए थिएटर में विवादित नाटक ‘एग्नेस ऑफ़ गॉड’ का मंचन पूरा हो चुका होगा. इस नाटक को लेकर कैथोलिक ईसाई समुदाय में भारी नाराज़गी है. वो पूरे भारत में इसके मंचन पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं.
लेकिन इस नाटक के मंचन पर रोक लगती नहीं दिख रही है. इसके निर्माता-निर्देशक कैज़ाद कोतवाल का कहना है कि वो इसे पूरे भारत में लेकर जाएंगे.
विस्तार से पढ़िए क्यों इसका विरोध हे रहा है?
साल 1982 में न्यूयॉर्क की ब्रॉडवे प्ले पब्लिशिंग कंपनी के जॉन पाईलमियर के नाटक ‘एग्नेस ऑफ़ गॉड’ को भारत में दिखाया जा रहा है. यह काम कर रहे हैं ‘वजाइना मोनोलॉग’ जैसे विवादित और चर्चित नाटक का मंचन कर चुके कैज़ाद कोतवाल.
एक नन के गर्भवती हो जाने और उसके बाद पैदा हुए हालात पर आधारित इस नाटक पर कैथोलिक ईसाई समाज को ख़ासी आपत्ति है. वे इस नाटक में इस्तेमाल कई शब्दों को ननों के लिए अभद्र और आपत्तिजनक मानते हैं.
इस मुद्दे पर 1985 में एक हॉलीवुड फ़िल्म भी बन चुकी है. उस समय भी यूरोप और दूसरे देशों में ईसाई समाज ने इसका विरोध किया था.
बिना देखे विरोध
हालांकि मुंबई में इस नाटक के मंचन पर रोक लगाने की मांग की गई है लेकिन सोमवार को हुए इस नाटक के मंचन पर कोई बड़ा विरोध नहीं किया गया.
इस नाटक के निर्देशक कैज़ाद कोतवाल ने कहा, “हमारे नाटक को कुछ विशेष लोग बिना देखे ही बैन करने की मांग कर रहे हैं और गलत ठहरा रहे हैं.”
वो कहते हैं, ” हमने यह नाटक सेंसर बोर्ड से पास करवाने के बाद ही दिखाना शुरू किया है. महाराष्ट्र सरकार के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री एकनाथ खड़से ने मुझे आश्वासन दिया है कि अगर हमने क़ानून नहीं तोड़ा है तो नाटक को भी नहीं रोका जाएगा.”
एकनाथ खड़से ने इस बात की पुष्टि की कि सरकार इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगी. उन्होंने बताया कि सुरक्षा कारणों से कैज़ाद को पुलिस सुरक्षा दी गई है.
प्रतिक्रिया
इस मामले पर कैथोलिक समुदाय के बिशप का कहना है,” इस नाटक में संन्यासी जीवन जीने वाली ननों को ग़लत तरीके से दिखाया जा रहा है. इस मामले में हम महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से मिलने भी वाले हैं.”
लेकिन कैज़ाद इस विरोध को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन मानते है. वो कहते हैं, ” ननों के साथ बुरी घटनाएं होती हैं. यह सच है और मैं सिर्फ़ सच को दिखा रहा हूं और दिखाता रहूंगा.”
क़ैज़ाद को भले ही ईसाई समुदाय के विरोध का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन कुछ लोगों का उन्हें समर्थन भी मिला है.
अभिनेत्री शबाना आज़मी ने ट्वीट कर कहा, ” मैं कैज़ाद और महाबानो (सह निर्माता) के साथ खड़ी हूं क्योंकि इस नाटक को सरकारी स्वीकृति मिली है. यह काफ़ी है.”
सोशल एक्टिविस्ट कविता कृष्णन कहती हैं,” इस नाटक पर बैन की मांग एक असहनशील माहौल का उदाहरण है. बैन कल्चर नहीं चलेगा, अभिव्यकित की स्वतंत्रता की रक्षा होनी चाहिए.”

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