इस साल साहित्य का नोबेल पुरस्कार बेलारुस की स्वेतलाना एलेक्जिविच को दिया जाएगा। इस बात की घोषणा स्वीडेन के स्टॉकहोम में की गई। यह पुरस्कार किसी भी लेखक के लिए किसी सपने के पूरा होने जैसा ही है।
साहित्य के क्षेत्र में साल 2015 के नोबेल पुरस्कार की दौड़ में दुनिया के कई बड़े लेखक शामिल थे जिनमें जापान के उपन्यासकार हारुकी मुराकामी, केन्या के गुगी वा थियान्ग, नोर्वे के जॉन फोसे और अमेरिका के जाएस कैरॉल ओट्स और फिलिप रोथ के नाम शामिल थे। इन सभी नामों को पीछे छोड़ते हुए स्वेतलाना ने इस पुरस्कार पर बाजी मार ली।
गौरतलब है कि यह पुरस्कार साहित्य के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य करने वाले लेखकों को ही दिया जाता है। इस बार यह पुरस्कार स्वेतलाना के खाते में गया।
स्वेतलाना बेलारूस की एक खोजी पत्रकार, पक्षी विज्ञानी और लेखक हैं। इनका जन्म 31 मई 1948 में यूक्रेन के एक शहर में हुआ था।
साल 1962 में यह अपने माता पिता के साथ बेलारूस में रहने आ गईं और यहीं पर अपनी पढ़ाई पूरी की। इसके बाद इन्होंने एक स्थानीय समाचार पत्र में रिपोर्टर के तौर पर काम करना शुरू किया।
उन्होंने एक पत्रकार के रुप में देश में घट रही कई घटनाओं पर लिखना शुरू किया जिसमें द्वितीय विश्व युद्ध, सोवियत अफगान युद्ध, सोवियत संघ का पतन और चर्नोबिल आपदा शामिल है।
उनकी पहली किताब ‘वार्स अनवुमेनली फेस’ 1985 में आई जिसकी 20 लाख से ज्यादा प्रतियां बिकीं। यह पुस्तक द्वितीय विश्व युद्ध में महिलाओं की स्थिति पर लिखी गई थी। उसके बाद उनकी दूसरी किताब ‘द लास्ट विटनेसेस’ आई जो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बच्चों की स्मृति पर आधारित थी। इसके बाद उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में अपना योगदान लगातार जारी रखा।
साहित्य के क्षेत्र में साल 2015 के नोबेल पुरस्कार की दौड़ में दुनिया के कई बड़े लेखक शामिल थे जिनमें जापान के उपन्यासकार हारुकी मुराकामी, केन्या के गुगी वा थियान्ग, नोर्वे के जॉन फोसे और अमेरिका के जाएस कैरॉल ओट्स और फिलिप रोथ के नाम शामिल थे। इन सभी नामों को पीछे छोड़ते हुए स्वेतलाना ने इस पुरस्कार पर बाजी मार ली।
गौरतलब है कि यह पुरस्कार साहित्य के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य करने वाले लेखकों को ही दिया जाता है। इस बार यह पुरस्कार स्वेतलाना के खाते में गया।
स्वेतलाना बेलारूस की एक खोजी पत्रकार, पक्षी विज्ञानी और लेखक हैं। इनका जन्म 31 मई 1948 में यूक्रेन के एक शहर में हुआ था।
साल 1962 में यह अपने माता पिता के साथ बेलारूस में रहने आ गईं और यहीं पर अपनी पढ़ाई पूरी की। इसके बाद इन्होंने एक स्थानीय समाचार पत्र में रिपोर्टर के तौर पर काम करना शुरू किया।
उन्होंने एक पत्रकार के रुप में देश में घट रही कई घटनाओं पर लिखना शुरू किया जिसमें द्वितीय विश्व युद्ध, सोवियत अफगान युद्ध, सोवियत संघ का पतन और चर्नोबिल आपदा शामिल है।
उनकी पहली किताब ‘वार्स अनवुमेनली फेस’ 1985 में आई जिसकी 20 लाख से ज्यादा प्रतियां बिकीं। यह पुस्तक द्वितीय विश्व युद्ध में महिलाओं की स्थिति पर लिखी गई थी। उसके बाद उनकी दूसरी किताब ‘द लास्ट विटनेसेस’ आई जो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बच्चों की स्मृति पर आधारित थी। इसके बाद उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में अपना योगदान लगातार जारी रखा।
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