शनिवार, 27 जनवरी 2018

आवारा पूंजी के वर्चस्व को चुनौती देने खड़ा हुआ समानांतर साहित्य उत्सव


जयपुर। राजस्‍थान की राजधानी जयपुर में तीन दिवसीय समानांतर साहित्य उत्सव यानी पीएलएफ का शनिवार से शुभारंभ हो गया। इस समानांतर साहित्य उत्सव का उदघाटन साहित्यकार विभूति नारायण, मैत्रेयी पुष्पा, अर्जुन देव चारण, राजेंद्र राजन, विष्णु खरे, नरेश सक्सेना और लीलाधर मंडलोई ने दीप प्रज्जवलित करके किया।
स्वागत उद्बोधन में पीएलएफ के अध्यक्ष ऋतुराज ने कहा कि यह आयोजन राजस्थान प्रगतिशील लेखक संघ का एक छोटा सा प्रयास है। यह पहल इस तरह की है जैसे किसी शिशु ने एक बड़ी झील पर पत्थर फेंकने की कोशिश की हो।
उन्होंने कहा कि आजकल जो लिट् फेस्ट हो रहे है, ऐसे आयोजन सिर्फ आवारा पूंजी के वर्चस्व के खेल है। पीएलएफ एक समानांतर प्रतिरोध करने की कोशिश है सत्ता और बाजार के समीकरण को चुनौती देती है। यह एक वैकल्पिक हस्तक्षेप भी है।


उन्होंने कहा कि पीएलएफ का आयोजन ख्यातनाम साहित्यकारों की बैचेनी है।
फेस्टिवल के संयोजक कृष्ण कल्पित ने कहा कि दुनिया में जो लिट् फेस्ट हो रहे हैं, वह पूंजीवाद का घिनौना चेहरा है। आवारा पूंजी, पूंजीवाद के अवशेष की तरह लिट् फेस्ट जैसे आयोजन हो रहे हैं। कल्पित ने कहा कि लिट् फेस्ट के समानांतर साहित्य उत्सव करने की पहल का उद्देश्य यह है कि भारतीय भाषाओं के साहित्यकारों को एक मंच मिल सके।
उन्होंने कहा कि जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में 90 फीसदी सत्र अंग्रेजी भाषा के होते है, और पूरी तरह से जेएलएफ का आयोजन बाजारवाद पर आधारित होता है। कल्पित ने चेताया कि अंग्रेजी का बाजार ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह है और अंग्रेजी के लेखक ट्रेडर्स के रूप में जेएलएफ में आते हैं।
वहीं इस मौके पर फेस्टिवल के मुख्य समन्वयक ईशमधु तलवार ने कहा कि यह मंच हिन्दी साहित्य का चेहरा है और पीएलएफ के जरिये एक नया आगाज़ हो रहा है।
उन्होंने कहा कि लिट् फेस्ट की तरह यहां यह कोई साहित्य का फैशन नहीं है। यहां पर सिर्फ साहित्य की वास्तविकता की बात होगी।
इस मौके पर ट्राईबल स्टूडियो की तरफ से आदिवासी कलाकारों द्वारा तैयार कलाकृतियों को स्मृति चिह्न के रूप में राजुल तिवारी और हेमंत गुप्ता ने साहित्यकारों को भेंट किया।
www.legendnews.in

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें