रविवार, 18 अगस्त 2019

कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ, क‍िसी की आंख में हमको भी इंतज़ार द‍िखे ….Gulzar

कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ, क‍िसी की आंख में हमको भी इंतज़ार द‍िखे …. जैसी अनग‍िनत रचनायें हमें देने वाले संपूर्ण सिंह कालरा यान‍ि गीतकार Gulzar का आज 86वां जन्मदिन है । फिल्म इडंस्ट्री को अपने नायाब नगमों से मदहोश करने वाले Gulzar साहब की नज्में, कविताएं, शेरो-शायरी आज भी लोगों को दीवाना बना देती हैं।
काग़ज़ पर भारी-भरकम ख़याल वाली एक के बाद एक नन्ही मुन्नी नज़्में जब अंदर उतरती हैं जीने की लम्बी और गहरी कहानी आहिस्ते- आहिस्ते उभरने लगती है और फिर कोसों लम्बा सफ़र तय कर डालने का ढाढस मिलता है। यह कह कर सुकृता पॉल ने गुलज़ार साहब को याद क‍िया है।
1968 में रिलीज हुई फिल्म ‘आशीर्वाद’ के लिए संवाद लिखना हो या फिर हॉलीवुड मूवी ‘स्लमडॉग मिलेनियर’ का गाना ‘जय हो’.. दशकों से अपने हुनर से लोगों का दिल जीत रहे मशहूर गीतकार, कवि, पटकथा लेखक, फिल्म निर्देशक और नाटककार गुलज़ार 18 अगस्त को अपना 84वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे हैं। संपूर्ण सिंह कालरा उर्फ गुलज़ार का जन्म 1934 में हुआ था। फिल्म इंडस्ट्री में उन्होंने जो मुकाम हासिल किया है, उसके लिए उन्हें काफी संघर्ष भी करना पड़ा। वह मुंबई में मैकेनिक का काम करते थे, लेकिन उनके शौक ने ही उनकी जिंदगी बदल दी।
गुलज़ार अपने पिता माखन सिंह कालरा की दूसरी पत्नी सुजान कौर की इकलौती संतान हैं। जब वह छोटे थे, तभी उनकी मां का इंतकाल हो गया था। देश के विभाजन के वक्त उनका परिवार पंजाब के अमृतसर में आकर बस गया। इसके बाद गुलज़ार मुंबई आ गए।
मुंबई आकर गुलजार ने एक गैरेज में बतौर मैकेनिक काम करना शुरू कर दिया। पैसे कमाने के लिए उन्हें कड़ी मेहनत करनी पड़ी, लेकिन उन्हें बचपन से ही कविताएं लिखने का शौक था। अपने शौक के कारण ही उन्होंने मैकेनिक का काम छोड़ दिया और फिल्म इंडस्ट्री का रुख किया। गुलजार मशहूर फिल्म निर्देशक बिमल राय, ह्रषिकेश मुखर्जी और हेमंत कुमार के सहायक के रूप में काम करने लगे।
गुलज़ार ने एसडी बर्मन की फिल्म ‘बंदिनी’ से बतौर गीत लेखक अपने करियर की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने कई बेहतरीन गानों के बोल लिखे। उन्होंने बतौर निर्देशक भी हिंदी सिनेमा में योगदान दिया है। इसके अलावा उन्होंने दूरदर्शन पर आए शो ‘जंगल बुक’ का मशहूर गाना ‘जंगल जंगल बात चली है..’ भी लिखा था।
84 साल के गुलज़ार को 2004 में भारत के सर्वोच्च सम्मान पद्म भूषण से नवाजा जा चुका है। 2009 में उन्हें ‘स्लमडॉग मिलेनियर’ के गाने ‘जय हो’ के लिए सर्वश्रेष्ठ गीत का ऑस्कर अवॉर्ड मिला। इसी गाने के लिए उन्हें ग्रैमी अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।

6 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (20-08-2019) को "सुख की भोर" (चर्चा अंक- 3433) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  2. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 19/08/2019 की बुलेटिन, "इनाम में घोड़ा लेंगे या सेव - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    जवाब देंहटाएं