नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कुमाऊं साहित्य समारोह का आयोजन 23 से 27 अक्टूबर तक किया जाएगा. इसका पूर्वावलोकन राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित किया गया. पूर्वावलोकन के तौर पर समारोह से संबंधित कई सामाजिक कार्यक्रमों- ‘वुमेन राइटर्स अनलिमिटेड’, ‘फेलोज ऑफ नेचर’, ‘लिटररी भागीदारी’ और ‘के-लिट’ मोबाइल एप का अनावरण किया गया.
उत्तराखंड में हिमालय में बसे छोटे से गांव धनचौली के ते-अरोहा में देश की इस पहली साहित्य समारोह यात्रा में जाने-माने लेखक, सिनेमा और मीडिया की जानी-मानी हस्तियां, राजनीतिक टीकाकार आदि भाग लेंगे.
इस समारोह के संस्थापक और पेशे से वकील सुमंत बत्रा ने कहा कि इस वार्षिक समारोह को धनचौली में आयोजित करने के पीछे कारण यह है कि इस जगह का साहित्य से खास रिश्ता है.
बत्रा ने कहा, “कुमाऊं साहित्य समारोह ग्रामीण क्षेत्र में आयोजित किया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय स्तर का पहला समारोह है.”
पत्रकार और समारोह की सलाहकार समीति की अध्यक्ष बरखा दत्त ने बताया, “इस असहिष्णु समाज में यह समारोह प्रतिबंध की संस्कृति पर बात करेगा. पोर्न पर प्रतिबंध का समर्थन करने वाली लेखिका अनुजा चौहान और इसका विरोध करने वाले अन्य लोग अपने विचार प्रकट करने के लिए मंच साझा करेंगे.”
बत्रा ने कहा, “यह पहला ऐसा समारोह होगा, जिससे कई सामाजिक और अन्य मुद्दों के सार्थक परिणाम निकल कर सामने आएंगे.”
वुमेन राइटर्स अनलिमिटेड सीरीज महिलाओं को सशक्त बनाने की एक पहल है. यह कुमाऊं साहित्य समारोह के इस खास आकर्षण को उजागर करती है कि इसके प्रतिभागियों में 50 फीसदी से अधिक महिलाएं हैं.
एक अन्य सामाजिक कार्यक्रम ‘फैलोज ऑफ नेचर’ में प्रकृति पर लघु कथाओं की एक किताब तैयार करने की योजना है. चुनी गई दो सर्वोत्कृष्ट कहानियों को ‘एफओएन’ पुरस्कार दिया जाएगा. इस अभियान के तहत पर्यावरण के जटिल मुद्दों पर प्रकाश डाला जाएगा.
साहित्य भागीदारी कार्यक्रम युवाओं को सहित्य के माध्यम से प्रेरित करेगा.
मोबाइल एप ‘के लिट’ समारोह को लाइव देखने और वक्ताओं से बातचीत की सुविधा देगा.
समारोह की योजना और अवधारणा बरखा दत्त, साहित्यकार अनुज बाहरी, फिल्म निर्माता झानवी प्रसाद और कई अन्य लोगों ने मिलकर की है. यूएन वुमेन और उत्तराखंड पर्यटन विभाग ने समारोह में सहयोग दिया है.
समारोह के वक्ताओं में कथाशिल्पी मृणाल पांडे, इतिहासकार शेखर पाठक, साहित्यिक इतिहासकार रक्षंदा जलील, लेखिका अनुजा चौहान और नमिता गोखले सहित कई अन्य शामिल होंगे.
समारोह में ‘राजनीतिक अभियान का स्थानांतरित होता परिदृश्य’, ‘भारतीय सिनेमा केभूली हुई किंवदंतियां’ ‘पारंपरिक भारत में महिलाओं की भूमिका’ और ‘जनमानस को साहित्य से जोड़ती भारतीय कविता’ जैसे विषयों पर चर्चा की जाएगी.
उत्तराखंड में हिमालय में बसे छोटे से गांव धनचौली के ते-अरोहा में देश की इस पहली साहित्य समारोह यात्रा में जाने-माने लेखक, सिनेमा और मीडिया की जानी-मानी हस्तियां, राजनीतिक टीकाकार आदि भाग लेंगे.
इस समारोह के संस्थापक और पेशे से वकील सुमंत बत्रा ने कहा कि इस वार्षिक समारोह को धनचौली में आयोजित करने के पीछे कारण यह है कि इस जगह का साहित्य से खास रिश्ता है.
बत्रा ने कहा, “कुमाऊं साहित्य समारोह ग्रामीण क्षेत्र में आयोजित किया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय स्तर का पहला समारोह है.”
पत्रकार और समारोह की सलाहकार समीति की अध्यक्ष बरखा दत्त ने बताया, “इस असहिष्णु समाज में यह समारोह प्रतिबंध की संस्कृति पर बात करेगा. पोर्न पर प्रतिबंध का समर्थन करने वाली लेखिका अनुजा चौहान और इसका विरोध करने वाले अन्य लोग अपने विचार प्रकट करने के लिए मंच साझा करेंगे.”
बत्रा ने कहा, “यह पहला ऐसा समारोह होगा, जिससे कई सामाजिक और अन्य मुद्दों के सार्थक परिणाम निकल कर सामने आएंगे.”
वुमेन राइटर्स अनलिमिटेड सीरीज महिलाओं को सशक्त बनाने की एक पहल है. यह कुमाऊं साहित्य समारोह के इस खास आकर्षण को उजागर करती है कि इसके प्रतिभागियों में 50 फीसदी से अधिक महिलाएं हैं.
एक अन्य सामाजिक कार्यक्रम ‘फैलोज ऑफ नेचर’ में प्रकृति पर लघु कथाओं की एक किताब तैयार करने की योजना है. चुनी गई दो सर्वोत्कृष्ट कहानियों को ‘एफओएन’ पुरस्कार दिया जाएगा. इस अभियान के तहत पर्यावरण के जटिल मुद्दों पर प्रकाश डाला जाएगा.
साहित्य भागीदारी कार्यक्रम युवाओं को सहित्य के माध्यम से प्रेरित करेगा.
मोबाइल एप ‘के लिट’ समारोह को लाइव देखने और वक्ताओं से बातचीत की सुविधा देगा.
समारोह की योजना और अवधारणा बरखा दत्त, साहित्यकार अनुज बाहरी, फिल्म निर्माता झानवी प्रसाद और कई अन्य लोगों ने मिलकर की है. यूएन वुमेन और उत्तराखंड पर्यटन विभाग ने समारोह में सहयोग दिया है.
समारोह के वक्ताओं में कथाशिल्पी मृणाल पांडे, इतिहासकार शेखर पाठक, साहित्यिक इतिहासकार रक्षंदा जलील, लेखिका अनुजा चौहान और नमिता गोखले सहित कई अन्य शामिल होंगे.
समारोह में ‘राजनीतिक अभियान का स्थानांतरित होता परिदृश्य’, ‘भारतीय सिनेमा केभूली हुई किंवदंतियां’ ‘पारंपरिक भारत में महिलाओं की भूमिका’ और ‘जनमानस को साहित्य से जोड़ती भारतीय कविता’ जैसे विषयों पर चर्चा की जाएगी.
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