अभी कुछ दिन ही हुए हैं जब केंद्र सरकार ने अप्रत्यक्ष रूप से ही सही, कुछ पॉर्न वेबसाइट्स को निगरानी के बहाने प्रतिबंधित किया था। उसके बाद अचानक पूरे देश से कथित बुद्धिजीवी निकल-निकल कर बाहर आ गए और चीखने लगे कि यह तो व्यक्ति की आजादी को छीनना है। कोई अपने बेडरूम में अपना जीवन कैसे जीता है, सरकार इसे कंडक्ट कैसे कर सकती है। हो- हल्ला इतना हुआ कि सरकार को पॉर्न साइट्स पर से प्रतिबंध हटाना पड़ा। इन हो-हल्ला करने वालों को बढ़ते रेप, सेक्स की मंडियों में बच्चों को सेक्स टॉयज की तरह इस्तेमाल करने की प्रवृत्ति, ज्यादातर रेप केसेज में अपराधियों द्वारा खुद ब्लूफिल्म देखना स्वीकारना जैसे उदाहरण नजर नहीं आते जबकि रेप के लिए ब्लूफिल्म की सहज उपलब्धता एक एनहांसर के रूप में सामने आई है।
ऐसा ही एक एनहांसर है टीवी पर सनी लियोनी द्वारा दिया जा रहा कंडोम का एक विज्ञापन जिसमें वह बाकायदा यह समझाती है कि कंडोम को कैसे और कितनी बार यूज किया जा सकता है।
इस पर हम अन्य सेक्सी विज्ञापनों की तरह नज़र नहीं डालते, यदि वामपंथी नेता अतुल अंजान ने सनी लियोनी के कंडोम के विज्ञापन को लेकर सवाल न उठाए होते।
दरअसल उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में एक रैली के दौरान उन्होंने कहा कि कंडोम का एड करती सनी लियोनी के टीवी कमर्शियल्स से देश में रेप के मामले बढ़ेंगे।
अतुल अंजान ने अभिनेत्री सनी लियोनी पर हमला बोलते हुए कहा कि उसके जरिए संस्कृति को खराब किया जा रहा है। सनी लियोनी एक पोर्न स्टार है और मैं उसका सम्मान नहीं कर सकता।
अंजान ने कहा कि मैं सेंसर बोर्ड से सनी लियोनी की शिकायत करूंगा।
अंजान ने कहा कि टेलीविजन खोलते ही सनी लियोनी के विज्ञापन आते हैं और वो पूरे दिन चलते हैं। अंजान का कहना है कि कंडोम के इतने गंदे और अभद्र प्रचार रेडियो और टेलीविजन पर चलेंगे तो इससे देश में रेप की घटनाएं बढ़ेंगी, कम नहीं होंगी।
अतुल अंजान ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि मैं तो नारी का सम्मान करने वाला हूं। मैं कंडोम का विरोधी नही हूं, जिन लोगों को इस बात से नाराज़गी है क्या वो अपनी मां-बहन, बेटियों के साथ ये देख सकते हैं। ये कोई विज्ञापन है। सनी लियोनी का सम्मान मैं नहीं कर सकता। उसकी नंगी फिल्में देखिए, क्या असभ्यता है, जो लड़की आपके समाज को ये गंदा मेसैज दे, आप अपने मन से सेंसर बोर्ड को शिकायत दे दें मेरी तरफ से, मैं तो बंद कराउंगा ही। जिन लोगों को सनी लियोनी से प्रेम है, मैं उनसे कहूंगा कि अपने घर में कला के नाम पर ये एड अपनी बहन, मां, बेटियों को दिखाएं और अगर किसी को इस से आपत्ति है तो मैं माफी मांगता हूं।
निश्चित ही अतुल अंजान ने हर मिडिल क्लास घर की वो सच्चाई सामने रखी है जिसमें सनी लियोनी आज भी वल्गर मानी जाती है। आज भी कोई निर्लज्ज विज्ञापन आते ही पूरा परिवार एक दूसरे से नजरें चुराता है, आज भी बाप के सामने बेटी या बेटा कंडोम की बात तो दूर अंडरगारमेंट्स या परफ्यूम के अश्लील विज्ञापन आने पर बात का रुख बदल देता है या चैनल बदलना ज्यादा मुफीद समझता है ।
इलेक्ट्रानिक मीडिया पर आजादी की बहस तो बहुत चलती है मगर नैतिकता सिखाने वाले कदम क्या हों, इस बावत कोई बहस सुनाई नहीं देती। इन चैनलों की बाजारू प्रवृत्ति समाज में किन-किन अपराधों को बढ़ावा दे रही है, अभी शायद कोई इन्हें समझ नहीं पा रहा। इन चैनलों के अनुसार तो आजादी का मतलब नंगा होना ही है, तभी तो इन्हें सनी लियोनी रोल मॉडल नजर आती है और उसके विज्ञापनों का हमारे ड्रॉइंग रूम्स में सरेआम देखना खुलेपन का उदाहरण।
इन चैनलों की ही देन है कि हम अपने सारे नीति वाक्यों को बेमानी बनते हुए देख रहे हैं, जिनमें कहा जाता था कि भोजन-भजन और रति एकांत में ही किए जाने चाहिए। कंडोम का विज्ञापन हमें आजादी के नाम पर कामुकता की जिस अंधी कैद में धकेलता जा रहा है, उसके खिलाफ आवाज उठनी ही चाहिए। हम आज भी नंगे होने को असभ्यता ही मानते हैं और इसे अपराध की जद में रखते हैं। मैं तो अतुल अंजान जी को बधाई का पात्र मानती हूं कि उन्होंने वामपंथी होते हुए इस शाश्वत सत्य को खुले मंच से कहा और यह भी कहा कि नंगे विज्ञापनों को करने वाली पॉर्न स्टार को मैं सम्मान नहीं दे सकता। ज़ाहिर है कि हम आज भी इतने खुलेपन को नकारते हैं जो हमें अपने बच्चों के सामने नज़रें चुराने पर विवश कर देता हो।
गनीमत यह रही कि ये आवाज किसी हिंदूवादी संगठन ने नहीं उठाई वरना इसे कट्टरवादी सोच कह कर कब का दबा दिया जाता। अतुल अंजान के बहाने ही सही, यह बहस चलनी चाहिए ताकि मां, बहन और बेटियों को टीवी के सामने अपनी मौजूदगी शर्मिंदगी ना लगे।
– सुमित्रा सिंह चतुर्वेदी
ऐसा ही एक एनहांसर है टीवी पर सनी लियोनी द्वारा दिया जा रहा कंडोम का एक विज्ञापन जिसमें वह बाकायदा यह समझाती है कि कंडोम को कैसे और कितनी बार यूज किया जा सकता है।
इस पर हम अन्य सेक्सी विज्ञापनों की तरह नज़र नहीं डालते, यदि वामपंथी नेता अतुल अंजान ने सनी लियोनी के कंडोम के विज्ञापन को लेकर सवाल न उठाए होते।
दरअसल उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में एक रैली के दौरान उन्होंने कहा कि कंडोम का एड करती सनी लियोनी के टीवी कमर्शियल्स से देश में रेप के मामले बढ़ेंगे।
अतुल अंजान ने अभिनेत्री सनी लियोनी पर हमला बोलते हुए कहा कि उसके जरिए संस्कृति को खराब किया जा रहा है। सनी लियोनी एक पोर्न स्टार है और मैं उसका सम्मान नहीं कर सकता।
अंजान ने कहा कि मैं सेंसर बोर्ड से सनी लियोनी की शिकायत करूंगा।
अंजान ने कहा कि टेलीविजन खोलते ही सनी लियोनी के विज्ञापन आते हैं और वो पूरे दिन चलते हैं। अंजान का कहना है कि कंडोम के इतने गंदे और अभद्र प्रचार रेडियो और टेलीविजन पर चलेंगे तो इससे देश में रेप की घटनाएं बढ़ेंगी, कम नहीं होंगी।
अतुल अंजान ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि मैं तो नारी का सम्मान करने वाला हूं। मैं कंडोम का विरोधी नही हूं, जिन लोगों को इस बात से नाराज़गी है क्या वो अपनी मां-बहन, बेटियों के साथ ये देख सकते हैं। ये कोई विज्ञापन है। सनी लियोनी का सम्मान मैं नहीं कर सकता। उसकी नंगी फिल्में देखिए, क्या असभ्यता है, जो लड़की आपके समाज को ये गंदा मेसैज दे, आप अपने मन से सेंसर बोर्ड को शिकायत दे दें मेरी तरफ से, मैं तो बंद कराउंगा ही। जिन लोगों को सनी लियोनी से प्रेम है, मैं उनसे कहूंगा कि अपने घर में कला के नाम पर ये एड अपनी बहन, मां, बेटियों को दिखाएं और अगर किसी को इस से आपत्ति है तो मैं माफी मांगता हूं।
निश्चित ही अतुल अंजान ने हर मिडिल क्लास घर की वो सच्चाई सामने रखी है जिसमें सनी लियोनी आज भी वल्गर मानी जाती है। आज भी कोई निर्लज्ज विज्ञापन आते ही पूरा परिवार एक दूसरे से नजरें चुराता है, आज भी बाप के सामने बेटी या बेटा कंडोम की बात तो दूर अंडरगारमेंट्स या परफ्यूम के अश्लील विज्ञापन आने पर बात का रुख बदल देता है या चैनल बदलना ज्यादा मुफीद समझता है ।
इलेक्ट्रानिक मीडिया पर आजादी की बहस तो बहुत चलती है मगर नैतिकता सिखाने वाले कदम क्या हों, इस बावत कोई बहस सुनाई नहीं देती। इन चैनलों की बाजारू प्रवृत्ति समाज में किन-किन अपराधों को बढ़ावा दे रही है, अभी शायद कोई इन्हें समझ नहीं पा रहा। इन चैनलों के अनुसार तो आजादी का मतलब नंगा होना ही है, तभी तो इन्हें सनी लियोनी रोल मॉडल नजर आती है और उसके विज्ञापनों का हमारे ड्रॉइंग रूम्स में सरेआम देखना खुलेपन का उदाहरण।
इन चैनलों की ही देन है कि हम अपने सारे नीति वाक्यों को बेमानी बनते हुए देख रहे हैं, जिनमें कहा जाता था कि भोजन-भजन और रति एकांत में ही किए जाने चाहिए। कंडोम का विज्ञापन हमें आजादी के नाम पर कामुकता की जिस अंधी कैद में धकेलता जा रहा है, उसके खिलाफ आवाज उठनी ही चाहिए। हम आज भी नंगे होने को असभ्यता ही मानते हैं और इसे अपराध की जद में रखते हैं। मैं तो अतुल अंजान जी को बधाई का पात्र मानती हूं कि उन्होंने वामपंथी होते हुए इस शाश्वत सत्य को खुले मंच से कहा और यह भी कहा कि नंगे विज्ञापनों को करने वाली पॉर्न स्टार को मैं सम्मान नहीं दे सकता। ज़ाहिर है कि हम आज भी इतने खुलेपन को नकारते हैं जो हमें अपने बच्चों के सामने नज़रें चुराने पर विवश कर देता हो।
गनीमत यह रही कि ये आवाज किसी हिंदूवादी संगठन ने नहीं उठाई वरना इसे कट्टरवादी सोच कह कर कब का दबा दिया जाता। अतुल अंजान के बहाने ही सही, यह बहस चलनी चाहिए ताकि मां, बहन और बेटियों को टीवी के सामने अपनी मौजूदगी शर्मिंदगी ना लगे।
– सुमित्रा सिंह चतुर्वेदी
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