कभी अज्ञेय ने कहा था- कि …चाय पीते हुए
हर साल जून के तीसरे रविवार को पूरी दुनिया में फादर्स डे मनाया जाता है। इस साल यह दिन 17 जून को सेलिब्रेट किया जा रहा है। पिछले साल 18 जून को फादर्स डे के रूप में मनाया गया था। इसी अवसर पर आप पढ़िए सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ की अपने पिता के लिए लिखी गई एक कविता- चाय पीते हुए
चाय पीते हुए
मैं अपने पिता के बारे में सोच रहा हूँ।
मैं अपने पिता के बारे में सोच रहा हूँ।
आप ने कभी
चाय पीते हुए
पिता के बारे में सोचा है?
चाय पीते हुए
पिता के बारे में सोचा है?
अच्छी बात नहीं है
पिताओं के बारे में सोचना।
अपनी कलई खुल जाती है।
पिताओं के बारे में सोचना।
अपनी कलई खुल जाती है।
हम कुछ दूसरे हो सकते थे।
पर सोच की कठिनाई यह है कि दिखा देता है
कि हम कुछ दूसरे हुए होते
तो पिता के अधिक निकट हुए होते
अधिक उन जैसे हुए होते।
पर सोच की कठिनाई यह है कि दिखा देता है
कि हम कुछ दूसरे हुए होते
तो पिता के अधिक निकट हुए होते
अधिक उन जैसे हुए होते।
कितनी दूर जाना होता है पिता से
पिता जैसा होने के लिए!
पिता जैसा होने के लिए!
पिता भी
सवेरे चाय पीते थे।
क्या वह भी
पिता के बारे में सोचते थे –
निकट या दूर?
सवेरे चाय पीते थे।
क्या वह भी
पिता के बारे में सोचते थे –
निकट या दूर?
– अज्ञेय
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