मैं आज टीना डाबी को केंद्रीय मंत्री डा. जितेंद्र सिंह से प्रशस्ति
पत्र लेते हुए देख रही थी कि तभी मेरी नजर उस खबर पर पड़ी जो महाराष्ट्र के
नासिक से आ रही थी, जहां एक पत्नी के ‘verginity test’ में फेल होने पर
पति ने शादी के 48 घंटे बाद ही तलाक दे दिया। हद हो गई ये तो…कबीलाई सोच इस
डिजिटल युग में भी हमारा पीछा नहीं छोड़ रही।
पाकीजगी के नाम पर रिश्तों को तमाशा बनाने वाली यह घटना आज भी यह बताने के लिए काफी है कि लड़कियां चाहे कितना भी आगे बढ़ने का हौसला दिखायें, पुरुषवादी समाज उन्हें पीछे धकेलने में कोई कोताही नहीं बरतता। पाकीजगी का पैमाना भी अलग अलग हो और उसे मापने वाले भी वही हों जो पैमाना तय कर रहे हों तो न्याय देगा भी कौन, और मांगा भी किससे जाए।
बेशर्मी की एक और हद कि यदि यह कथित ‘वर्जिनिटी टेस्ट’ सिर्फ पाकीजगी का तमगा थामे पति ने ही नहीं लिया, गांव की पंचायत ने एक सफेद चादर देकर इस टेस्ट की तस्दीक पति से करवाई और पत्नी के ‘वर्जिनिटी टेस्ट’ में फेल होने पर पति ने शादी के 48 घंटे बाद ही तलाक दे दिया। हालांकि पति के अकेले लेने पर भी वह निंदनीय तो था ही, फिर भी हम मान लेते कि यह उनका आपसी मामला था परंतु यह कतई असहनीय ही नहीं आपराधिक कृत्य है कि जिले के एक गांव की पंचायत को नवविवाहित लड़की के पति ने बताया कि उसकी पत्नी वर्जिन नहीं है। इसके बाद पंचायत ने उसे अपने पत्नी से तलाक लेने की मंजूरी दे दी।
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक 22 मई को शादी के बाद जाति विशेष की पंचायत ने कथित तौर पर दूल्हे को एक सफेद रंग की चादर दी थी। दूल्हे से कहा गया था कि शादी की सारी रस्में पूरी होने के बाद इसे पंचायत को वापस लौटा दे। जब दूल्हे ने पंचायत को वह बैडशीट दिखाई तो उस पर ब्लड के निशान नहीं थे। इसके बाद पंचायत ने दूल्हे को शादी खत्म करने की अनमुति दे दी।
सदियों से महिला के लिए उसकी वर्जिनिटी उसकी इज्जत से जोड़ी गई है। आज हम भले ही चांद और मंगल पर पहुंच गए हों, लेकिन बात शादी की आते ही मामला लड़की की वर्जिनिटी पर अटक जाता है। आज भी ऐसे लड़कों की तादाद कम नहीं है जो शादी से पहले डॉक्टरों से यह पूछते हैं कि पत्नी की वर्जिनिटी कैसे टेस्ट की जा सकती है।
गाइनोकॉलोजिस्ट और सेक्स काउंसलर्स से लोग अक्सर पूछते हैं कि अपनी गर्लफ्रेंड या पत्नी की वर्जिनिटी के बारे में कैसे पता लगाया जा सकता है?’
विशेषज्ञ कहते हैं कि लोग अक्सर शादी के बाद यह शिकायत करते हैं कि यौन संबंध बनाने के बाद उनकी पत्नी को ब्लीडिंग नहीं हुई। लोगों के बीच यह धारणा आम है कि महिला की जब वर्जिनिटी पहली बार टूटती है तो उसे ब्लीडिंग होती है लेकिन यह सही पैमाना नहीं है। उन्होंने बताया, कई महिलाओं में तो हाइमन ( झिल्ली ) होती ही नहीं। कुछ महिलाओं में यह लचीला होता है, कुछ केस में यह बचपन में ही फट जाता है, इसलिए अगर पहली बार संबंध बनाने पर भी लड़कियों को ब्लीडिंग नहीं होती तो इसका मतलब ये नहीं कि वो वर्जिन नहीं है मगर नासिक वाली घटना में इस चिकित्सकीय सच के कोई मायने नहीं हैं।
बहरहाल, ये घटना सिर्फ एक ”पाकीजा रिश्ते” को उसके ”वजूद” को शरीर से ही नापने पर ही सवाल नहीं उठाती, उस सामाजिक बेहयाई पर दंडात्मक अंकुश की भी मांग करती है जो पति को सफेद चादर पर न मिलने वाले खून के धब्बों की मोहताज है।
हालांकि अच्छी और सकारात्मक बात यह रही कि 48 घंटे के भीतर घटी जीवन को बदलने वाली इस घटना से दुल्हन और उसके घर वालों ने न सिर्फ दूल्हे के खिलाफ पुलिस में शिकायत की बल्कि पंचायत को भी साथ में नामजद कराया है। शादी से पहले लड़की पुलिस कांस्टेबल की भर्ती के लिए तैयारी कर थी और अब इस घटना ने उसके इरादों को और पुख्ता कर दिया है।
निश्चित ही ऐसी सामाजिक बुराइयों का विरोध इसी तरह सकारात्मक तरीके से करना होगा ताकि कुरीतियों और रूढ़िवादी सोच को परे धकेला जा सके। हमारे समाज की ये दो तस्वीरें हैं, एक में टीना डाबी और दूसरी में नासिक की ये दुल्हन, दोनों हमारे लिए सूचक हैं कि अभी औरतों को ”वस्तु” की तरह ट्रीट किए जाने से कितना और आगे जाना है।
इन्हें पंचायतियों को कौन बताये कि-
बंदिशों और इम्तिहानों की लंबी यात्रा ने
हमारे हौसलों को और बुलंद ही किया है…।
- Alaknanda singh
पाकीजगी के नाम पर रिश्तों को तमाशा बनाने वाली यह घटना आज भी यह बताने के लिए काफी है कि लड़कियां चाहे कितना भी आगे बढ़ने का हौसला दिखायें, पुरुषवादी समाज उन्हें पीछे धकेलने में कोई कोताही नहीं बरतता। पाकीजगी का पैमाना भी अलग अलग हो और उसे मापने वाले भी वही हों जो पैमाना तय कर रहे हों तो न्याय देगा भी कौन, और मांगा भी किससे जाए।
बेशर्मी की एक और हद कि यदि यह कथित ‘वर्जिनिटी टेस्ट’ सिर्फ पाकीजगी का तमगा थामे पति ने ही नहीं लिया, गांव की पंचायत ने एक सफेद चादर देकर इस टेस्ट की तस्दीक पति से करवाई और पत्नी के ‘वर्जिनिटी टेस्ट’ में फेल होने पर पति ने शादी के 48 घंटे बाद ही तलाक दे दिया। हालांकि पति के अकेले लेने पर भी वह निंदनीय तो था ही, फिर भी हम मान लेते कि यह उनका आपसी मामला था परंतु यह कतई असहनीय ही नहीं आपराधिक कृत्य है कि जिले के एक गांव की पंचायत को नवविवाहित लड़की के पति ने बताया कि उसकी पत्नी वर्जिन नहीं है। इसके बाद पंचायत ने उसे अपने पत्नी से तलाक लेने की मंजूरी दे दी।
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक 22 मई को शादी के बाद जाति विशेष की पंचायत ने कथित तौर पर दूल्हे को एक सफेद रंग की चादर दी थी। दूल्हे से कहा गया था कि शादी की सारी रस्में पूरी होने के बाद इसे पंचायत को वापस लौटा दे। जब दूल्हे ने पंचायत को वह बैडशीट दिखाई तो उस पर ब्लड के निशान नहीं थे। इसके बाद पंचायत ने दूल्हे को शादी खत्म करने की अनमुति दे दी।
सदियों से महिला के लिए उसकी वर्जिनिटी उसकी इज्जत से जोड़ी गई है। आज हम भले ही चांद और मंगल पर पहुंच गए हों, लेकिन बात शादी की आते ही मामला लड़की की वर्जिनिटी पर अटक जाता है। आज भी ऐसे लड़कों की तादाद कम नहीं है जो शादी से पहले डॉक्टरों से यह पूछते हैं कि पत्नी की वर्जिनिटी कैसे टेस्ट की जा सकती है।
गाइनोकॉलोजिस्ट और सेक्स काउंसलर्स से लोग अक्सर पूछते हैं कि अपनी गर्लफ्रेंड या पत्नी की वर्जिनिटी के बारे में कैसे पता लगाया जा सकता है?’
विशेषज्ञ कहते हैं कि लोग अक्सर शादी के बाद यह शिकायत करते हैं कि यौन संबंध बनाने के बाद उनकी पत्नी को ब्लीडिंग नहीं हुई। लोगों के बीच यह धारणा आम है कि महिला की जब वर्जिनिटी पहली बार टूटती है तो उसे ब्लीडिंग होती है लेकिन यह सही पैमाना नहीं है। उन्होंने बताया, कई महिलाओं में तो हाइमन ( झिल्ली ) होती ही नहीं। कुछ महिलाओं में यह लचीला होता है, कुछ केस में यह बचपन में ही फट जाता है, इसलिए अगर पहली बार संबंध बनाने पर भी लड़कियों को ब्लीडिंग नहीं होती तो इसका मतलब ये नहीं कि वो वर्जिन नहीं है मगर नासिक वाली घटना में इस चिकित्सकीय सच के कोई मायने नहीं हैं।
बहरहाल, ये घटना सिर्फ एक ”पाकीजा रिश्ते” को उसके ”वजूद” को शरीर से ही नापने पर ही सवाल नहीं उठाती, उस सामाजिक बेहयाई पर दंडात्मक अंकुश की भी मांग करती है जो पति को सफेद चादर पर न मिलने वाले खून के धब्बों की मोहताज है।
हालांकि अच्छी और सकारात्मक बात यह रही कि 48 घंटे के भीतर घटी जीवन को बदलने वाली इस घटना से दुल्हन और उसके घर वालों ने न सिर्फ दूल्हे के खिलाफ पुलिस में शिकायत की बल्कि पंचायत को भी साथ में नामजद कराया है। शादी से पहले लड़की पुलिस कांस्टेबल की भर्ती के लिए तैयारी कर थी और अब इस घटना ने उसके इरादों को और पुख्ता कर दिया है।
निश्चित ही ऐसी सामाजिक बुराइयों का विरोध इसी तरह सकारात्मक तरीके से करना होगा ताकि कुरीतियों और रूढ़िवादी सोच को परे धकेला जा सके। हमारे समाज की ये दो तस्वीरें हैं, एक में टीना डाबी और दूसरी में नासिक की ये दुल्हन, दोनों हमारे लिए सूचक हैं कि अभी औरतों को ”वस्तु” की तरह ट्रीट किए जाने से कितना और आगे जाना है।
इन्हें पंचायतियों को कौन बताये कि-
बंदिशों और इम्तिहानों की लंबी यात्रा ने
हमारे हौसलों को और बुलंद ही किया है…।
- Alaknanda singh
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