बुधवार, 4 सितंबर 2013

मॉस्‍को में 26 वां अन्तरराष्ट्रीय पुस्तक मेला आज से शुरू

मास्को। आज से शुरु होने जा रहे 26 वें अन्तरराष्ट्रीय पुस्तक मेले में दुनिया की बीसियों भाषाओं की क़रीब दो लाख नई पुस्तकें प्रदर्शित की जाएँगी। इस पुस्तक मेले में कुल 57 देश भाग लेने जा रहे हैं। पिछले साल इन देशों की संख्या कुल 45 थी। मास्को के इस 26 वें अन्तरराष्ट्रीय पुस्तक मेले में सिर्फ़ यूरोपीय देशों के प्रकाशक ही भाग नहीं लेंगे, जो हर साल इस मेले में भाग लेने के लिए आते हैं, बल्कि इस बार एशियाई देशों के प्रकाशक और अरब देशों के प्रकाशक भी भाग ले रहे हैं।
इस पुस्तक मेले के महानिदेशक निकलाय अवसिन्निकफ़ ने रेडियो रूस के सम्वाददाता से मेले के बारे में बात करते हुए बताया :
मिस्र और सऊदी अरब भी इस मेले में भाग ले रहे हैं। ईरानी प्रकाशक भी बड़ी संख्या में मास्को के हमारे इस पुस्तक मेले में भाग लेने के लिए आ रहे हैं। वे अपने ढंग से किताबों को पेश करेंगे। इसके लिए उन्होंने एक बड़ा कार्यक्रम तैयार किया है। इस साल जापान भी मास्को के इस अन्तरराष्ट्रीय पुस्तक मेले में भाग ले रहा है। टोकियो में होने वाले पुस्तक मेले के निदेशक भी हमारे यहाँ आ रहे हैं। हम उनके साथ बातचीत करेंगे। इसके अलावा एशियाई देशों में वियतनाम, भारत, तुर्की और मलेशिया के प्रकाशक भी भाग ले रहे हैं।
सन् 2005 से मास्को के इस अन्तरराष्ट्रीय पुस्तक मेले में हर साल किसी देश-विशेष को अतिथि देश का दर्जा दिया जाता है। अब तक बीते सालों में एशिया का सिर्फ़ एक ही देश हमारे पुस्तक मेले का अतिथि देश रहा है। सन् 2007 में चीन को हमने अतिथि देश का दर्ज़ा दिया था। तब चीनी प्रकाशकों ने एक हज़ार मीटर से भी ज़्यादा जगह में अपने यहाँ प्रकाशित पुस्तकों की प्रदर्शनी लगाई थी। मास्को के अन्तरराष्ट्रीय पुस्तक मेले में अभी तक अतिथि देशों में चीन का स्टॉल ही सबसे बड़ा था। इस साल भी चीनी प्रकाशकों का एक बड़ा दल मास्को के पुस्तक मेले में भाग लेने के लिए आया हुआ है। पुस्तक मेले के महानिदेशक निकलाय अवसिन्निकफ़ ने
कहा :इस बार पहले से ज़्यादा चीनी प्रकाशकों ने मास्को के पुस्तक मेले में रुचि दिखाई है। क़रीब पन्द्रह बड़े चीनी प्रकाशनगृह मास्को के मेले में भाग लेने के लिए आए हैं। यह एक काफ़ी बड़ी संख्या है। चीनी प्रकाशकों के दल में क़रीब सौ व्यक्ति शामिल हैं, जिनमें दस ऐसे चीनी लेखक भी हैं, जो रूस में बेहद लोकप्रिय हैं। मास्को में मेला ख़त्म होने के बाद ये लोग साँक्त पितेरबुर्ग (या सेंट पीटर्सबर्ग) भी जाएँगे। साँक्त पितेरबुर्ग जाते हुए ये चीनी लेखक रास्ते में पड़ने वाले शहरो में रुकेंगे और अपने पाठकों से रु-ब-रू होंगे। साँक्त पितेरबुर्ग में भी इन लेखकों के भव्य स्वागत की तैयारियाँ की जा रही हैं।
6 सितम्बर का दिन मास्को के अन्तरराष्ट्रीय पुस्तक मेले में चंगीज़ आइत्मातफ़ के स्मृति-दिवस के तौर पर मनाया जाएगा। अगर आज चंगीज़ आइत्मातफ़ जीवित होते तो वे 6 सितम्बर को 85 वर्ष के हो गए होते। इस बड़े रूसी और किर्गीज़ियाई लेखक को अन्तरराष्ट्रीय तुर्की सांस्कृतिक संगठन ने 'तुर्की पुरस्कार' देकर सम्मानित किया था। चंगीज़ आइत्मातोफ़ की रचनाओं का दुनिया की 178 भाषाओं में अनुवाद हुआ है, जिनमें हिन्दी, तमिल पंजाबी, बंगला जैसी भारतीय भाषाएँ भी शामिल हैं। किर्गीज़िस्तान के राष्ट्रीय पुस्तकालय ने इस अवसर पर चंगीज़ आइत्मातोफ़ को समर्पित एक विशेष प्रदर्शनी का आयोजन किया है, जिसमें उनकी विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित ये पुस्तकें देखी जा सकेंगी।
हमेशा की तरह मास्को के 26 वें अन्तरराष्ट्रीय पुस्तक मेले में बहुत से कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगे। नई पुस्तकों के लोकार्पण के अलावा, देश-विदेश के लेखकों से मेल-मुलाक़ातें, वर्ष की सर्वश्रेष्ठ पुस्तक का चुनाव और उस पुस्तक को पुरस्कार दिए जाने के अलावा प्रकाशकों का एक बड़ा सम्मेलन भी किया जाएगा, जो 'रूस में 2013 में पुस्तकों का बाज़ार' विषय को समर्पित होगा। इसके अलावा पुस्तक मेले में बाल-पुस्तकों के लेकर भी विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। पढ़ना सभी के लिए ज़रूरी है। और अगर आप एक से ज़्यादा भाषाएँ जानते हैं, फिर तो कहना ही क्या!
- एजेंसी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें