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गुरुवार, 13 अगस्त 2020

ये सोशल मीड‍िया है… बुरी ज़हन‍ियत को नंगा भी कर देता है

हाल ही में घट‍ित हुए तीन उदाहरणों से मैं एक बात पर पहुंची हूं क‍ि दंगाई हों, सफेदपोश नेता हों, कव‍ि हों या शायर हों, इस सोशल मीड‍िया के समय में क‍िसी की कारस्तानी छुपी नहीं रह सकती। कल तक हम ज‍िन्हें स‍िर आंखों पर बैठाते थे और अचानक उनकी कोई ऐसी करतूत हमारे सामने आ जाए जो न केवल समाज व‍िरोधी हों बल्क‍ि देश व‍िरोधी भी हो तो इसके ल‍िए हम सोशल मीड‍िया को ही धन्यवाद देते हैं। फिर मुंह से न‍िकल ही जाता है क‍ि अच्छा हुआ पता चल गया वरना…
इस तर‍ह बेपर्दा होने के तीन उदाहरण हमारे सामने हैं। कल बैंगलुरु में हुई ह‍िंसा, फिर राहत इंदौरी का चले जाना और उससे एक द‍िन पहले मुनव्वर राणा साहब का ज़हर उगलना।
पहला उदाहरण- बैंगलुरू ह‍िंसा मामले की शुरुआत भगवान कृष्ण को रेप‍िस्ट बताकर राधा जी और गोप‍ियों के ख‍िलाफ ”कुछ तत्वों” द्वारा अनर्गल ल‍िखने से हुई परंतु प्रचार‍ित ये क‍िया जा रहा है क‍ि ”मुहम्मद साहब” के ख‍िलाफ अनर्गल ट्विटर पोस्ट पर बवाल हुआ और ”कुछ तत्वों” ने आगजनी कर लाखों की संपत्त‍ि फूंककर पुल‍िस पर हमला करते हुए दर्जनों पुल‍िसकर्मी घायल कर द‍िए… । इसके बाद हमारे तथाकथ‍ित धर्मन‍िरपेक्ष ठेकेदारों ने मंद‍िर के आगे मानव श्रृंखला बनाए खड़े कुछ मुस्ल‍िम युवकों की तारीफ में कसीदे पढ़े ही थे क‍ि सोशल मीड‍िया ने सारा सच उगल द‍िया… क‍ि पूर्व न‍ियोज‍ित था यह क‍ि ह‍िंसा व आगजनी के बाद ऐसा वीड‍ियो बनाकर ”खास तरह” से प्रचार‍ित क‍िया जाए। हिंसा में बड़ी बात निकलकर सामने आई है। पुलिस की मानें तो 5 दंगाइयों ने 300 लोगों का गैंग बनाया था। उनका प्लान सभी पुलिस वालों को जान से मारने का था। हमलावरों ने हिंसा के दौरान पुलिस को निशाना बनाने के लिए गुरिल्ला जैसी तकनीक का इस्तेमाल किया। 


आलोक श्रीवास्तव द्ववारा राणा को ल‍िखा पत्र-

दूसरा उदाहरण हैं – जाने माने शायर मुनव्वर राणा, ज‍िन्होंने राम मंद‍िर पर सुप्रीमकोर्ट के न‍िर्णय को गलत बताते हुए एकसाथ देश की सुप्रीम कोर्ट व सरकार पर सवाल खड़े कर अपनी ”अभ‍िव्यक्त‍ि की स्वतंत्रता” का बेजां इस्तेमाल क‍िया। ये वही मुनव्वर राणा हैं जो आजतक के पूर्व एंकर व शायर आलोक श्रीवास्तव की नज़्म चुराकर उन्हीं की मौजूदगी में मुशायरे में अपने नाम से सुना चुके हैं, मैं उस पत्र को भी यहां चस्‍पा कर रही हूं जो आलोक श्रीवास्तव ने मुनव्वर राणा को ल‍िखा था। ये पत्र भी सरेआम हो गया और मुनव्वर राणा की हक़ीकत हमें बता गया।
हालांक‍ि सोशल मीड‍िया दोधारी तलवार भी है तो बूमरैंग भी, दोधारी तलवार इसल‍िए क‍ि इस पर आने वाली सूचनाएं कहर बरपा सकती हैं और जागरूकता भी पैदा कर सकती हैं। बूमरैंग इसल‍िए क‍ि इस पर डाली गई साम‍ग्री लगातार घूमकर कब हमारे सामने क‍िसे नंगा कर दे, कहा नहीं जा सकता। सोशल मीड‍िया क‍ि पूरी प्रोसेस में परदे के पीछे से घात करने वाले बहुत द‍िनों तक छुप नहीं पाते, उनके कुकृत्य सबके सामने आ ही जाते हैं। मुनव्वर राणा इसका ताजा उदाहरण हैं।

अब तीसरा उदाहरण राहत इंदौरी साहब का- हालांक‍ि मरने के बाद हमारे संस्कारों में नहीं है क‍िसी की मजामत करना, परंतु अटल ब‍िहारी वाजपेयी से लेकर अहमदाबाद के दंगों पर उनकी ज़ुबान का ज़हर तो हमने मुशायरों में बहुत सुना परंतु कभी वह गोधरा का सच ना बोल सके…आख‍िर क्यों.. ?? मुशायरों के मंच से युवाओं को अहमदाबाद दंगे याद रखने को कहते हैं और मुंबई दंगे भूल जाते हैं, उन्हें 370 तो याद रहता है…व‍िस्थाप‍ित पंड‍ितों को भूल जाते हैं। स‍िर्फ ह‍िंदू ही क्यों, उन्हें तो तीन तलाक़ का खत्म होना भी अखरता है पर हलाला भूल जाते हैं.. इन सबके सुबूत सोशल मीड‍िया हमें देता रहता है परंतु हम ही अगर एक आंख से देखेंगे तो कैसे इनकी असल‍ियत पहचानेंगे … अब यही मीड‍िया उनकी कलई खोल रहा है।
देख‍िए वीड‍ियो-


सत्य कड़वा होता है, सुना नहीं जाता परंतु सोशल मीड‍िया ही है जो अब इन जैसों को नंगा कर रहा है। बैंगलुरू ह‍िंसा के पीछे छुपे तत्व हों या मुनव्वर राणा व राहत इंदौरी जैसे बड़े शायर, सबकी ज़हन‍ियत के सच से हमें सावधान रहना होगा।
- अलकनंदा स‍िंंह 

मंगलवार, 21 जुलाई 2020

ह‍िंदू धर्म को लेकर ही क्यों बेहूदा ट‍िप्पण‍ियां कर रहे हैं स्टैंडअप कॉमेड‍ियंस


क‍िसी व्यक्त‍ि को पंगु बनाना हो तो उसकी रीढ़ पर हमला करो, क‍िसी देश को पंगु बनाना हो तो उसकी अर्थव्यवस्था को ध्वस्त करो और क‍िसी समाज को पंगु बनाना हो तो उसके पर‍िवारों को मूल्यव‍िहीन कर दो। यह क‍िसी भी दुश्मनी को उसके अंजाम तक पहुंचाने की पहली और आख‍िरी शर्त होती है। पर‍िवारों को मूल्यव‍िहीन बनाने के ल‍िए मह‍िलाओं और बच्चों से ज्यादा सॉफ्ट टारगेट और कौन हो सकता है, और ऐसा ही क‍िया जा रहा है उन कथ‍ित कॉमेड‍ियंस द्वारा जो सोशल मीड‍िया के माध्यम से ह‍िंदू धर्म का उपहास उड़ा रहे हैं। हमारे संस्कारों और देवी देवताओं को लेकर बेहूदा ट‍िप्पण‍ियां कर रहे हैं।
कहते हैं बच्चा अपने घर से ही प्रथम संस्कार सीखता है और जैसे संस्कार होते हैं, बच्चा क‍ितना ही बड़ा क्यों ना हो जाए अपने जीवन के हर कदम पर उसके संस्कार उसके व्यवहार में द‍िखाई देते हैं परंतु इन कॉमेड‍ियंस में ऐसा कुछ भी द‍िखाई नहीं देता। सौरव घोष, अतुल खत्री, कुणाल कामरा, हसन म‍िन्हाज, अग्र‍िमा जोशुआ, ऐलन ड‍िजेनेर‍िस जैसे ना जाने क‍ितने नाम हैं जो ख्यात‍ि के लालच में इतना ग‍िरते जा रहे हैं क‍ि अब इनके ख‍िलाफ कानूनी तौर पर कार्यवाही की जा सकती है।
बेशक जितना निंदनीय है किसी धर्म का उपहास उड़ाया जाना, उससे कम निंदनीय नहीं है अपने धर्म का उपहास उड़ाने वालों को लेकर चुप्‍पी साध लेना। आजकल अभ‍िव्यक्त‍ि की आजादी के बहाने स्टैंडअप कॉमेडी के नाम पर यही सब हो रहा है। इनके ल‍िए मैं एक शब्द इस्तेमाल करना चाहूंगी ”पुंगी”, सब जानते हैं क‍ि पुंगी की अपनी कोई आवाज़ नहीं होती, जो इन्हें बजाता है ये उसी के सुर से बजती हैं। तो स्टैंडअप कॉमेडी के नाम पर जो ऐसा कर रहे हैं, ये तो बस पुंगी हैं, इनके पीछे की आवाजें कोई और हैं ज‍िनकी मानस‍िकता ही ह‍िंदू व‍िरोधी है। पुंगी बने ये कथ‍ित कॉमेड‍ियंस आख‍िर ह‍िंदू व‍िरोध का ही सुर क्यों न‍िकाल रहे हैं, कहां से म‍िल रही है इन्हें ये ताकत, ये सोचना होगा। ये कॉमेड‍ियंस ख्यात व कुख्यात होने व रातों रात हजारों लाखों व्यूअर्स हास‍िल करने के ल‍िए हमारे न केवल धर्म के साथ उपहास कर रहे हैं बल्क‍ि ये हमारे सामाज‍िक मूल्यों व संस्कारों पर भी घात कर रहे हैं।
इन कॉमेड‍ियन पुंगियों ने किस तरह से हिंदू धर्म, हिंदू परंपरा, हिंदू भगवान, हिंदू अनुष्ठान, हिंदू रीति-रिवाज और हिंदू धार्मिक संस्कारों का उपहास उड़ाया है, उसकी एक बानगी द‍ेख‍िए क‍ि हमारे प्रथम पूज्य गणपत‍ि का मजाक उड़ाते हुए एक स्टैंडअप कॉमेडियन ने तो यहां तक कह द‍िया क‍ि वो नास्तिक ही इसल‍िए बना क्योंक‍ि उसको ब्राह्मण कहलाना पसंद नहीं, और इस तरह ”हास्यास्पद मुद्राओं” से इशारे करके वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और आईएसआईएस को एक ही श्रेणी में देता है। ऐसे ही एक अन्य कॉमेडियन भगवान शिव के बारे में ऐसी आपत्तिजनक ट‍िप्पणी करता है कि उसे लिखा नहीं जा सकता। छत्रपत‍ि श‍िवाजी पर हाल ही में एक मह‍िला कॉमेड‍ियन ने ऐसी ही व‍िवाद‍ित ट‍िप्पणी कर दी और श‍िवसेना (राजनैत‍िक कारणों से ही सही ) अगर व‍िरोध ना करती तो वह माफी भी ना मांगती।
ओटीटी पर र‍िलीज होती अनसेंसर्ड फ‍िल्में हों या स्टैंडअप कॉमेडी सभी ने अपने अपने सॉफ्ट टारगेट तलाश कर रखे हैं, हमें अपने और अपने पर‍िवारों को इस सांस्कृत‍िक आतंकवाद से बचाकर रखना होगा वरना देवी देवताओं व महापुरुषों के अपमान से चली ये साज‍िश हमारे संस्कारों, पर‍िवारों से होती हुई पीढ़‍ियों को बरबाद कर देगी, स्टैंडअप कॉमेड‍ी की इन पुंग‍ियों का ये कुत्स‍ित व्यवहार ”अभ‍िव्यक्त‍ि की स्वतंत्रता” की आड़ में नहीं छुप सकता, ये व‍िशुद्ध रूप से सांस्कृत‍िक आतंकवाद है जो घरों में घुस रहा है। अभी तक सह‍िष्णुता ने ही ह‍िंदू धर्म को बचा रखा है और इसी सह‍िष्णुता ने धर्म को व‍िधर्म‍ियों के हवाले कर द‍िया तो… इसलिए अब चुप्पी का नहीं, बोलने का समय है ताक‍ि धर्म पर प्रहार का प्रत‍िउत्तर द‍िया जा सके।
- अलकनंदा स‍िंह