‘इंदिरा ठोक दी, मोदी क्या चीज़ है, मोदी को भी…’ के साथ खालिस्तान की मांग वाले पोस्टर्स, पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे, शाहीनबाग वाली दादी बिल्किस बानो, धारा 370 वापसी की मांग, नागरिकता संशोधन बिल के विरोधी, सरदार जी के वेश में नज़ीर की उपस्थिति, मस्ज़िदों से पहुंचता खाना, हाथरस वाली भाभी की उपस्थिति, जेएनयू की छात्राओं के गुट, किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत जिस बेटे की हरकतें पसंद नहीं करते थे, वो राकेश टिकैत, पीएफआई के साथ संबंध रखने वाला चंद्रशेखर और दिल्ली दंगों के आरोपी अमानतुल्ला खान, इंदिरा गांधी को मिटाया और अब मोदी को मिटाने की धमकी देने वाले तत्व, आंदोलन स्थल से पीछे की ओर अपनी आलीशान गाड़ियां खड़ी कर आईफोन से सेल्फी लेने वाले तथाकथित ”बेचारे गरीब किसान” …..।
ये मजमा है उन लोगों का है जो केंद्र सरकार के विरोध से ज्यादा स्वयं ”मोदी विरोध” में स्वयं अपना ही चेहरा मैला किये जा रहे हैं और किसान बिल के विरोध की आड़ में कोरोना के बाद पटरी पर आती देश की अर्थव्यवस्था को तहस नहस करने पर आमादा हैं। यही वजह है कि आंदोलन को अब हर खासोआम हिकारत की नजर से देखने लगा है।
आंदोलन का सच बताने में रही-सही कसर अवार्ड वापसी गैंग्स और उन खिलाड़ियों व कलाकारों ने पूरी कर दी जो कभी किसान रहे ही नहीं। दुर्भाग्यपूर्ण यह भी है कि जिन्होंने कायदे से गांव नहीं देखे, खेत से जिनका साबका नहीं पड़ा, फसल की निराई-गुड़ाई नहीं की, उपज की मड़ाई-कटाई नहीं की, जो नहीं जानते कि घर पर खेतों से अनाज कैसे आता है, वे लोग किसानों के हमदर्द बनने चले हैं। और दावा यह भी कि ये तो “किसान आंदोलन” है, इसका राजनीति से कोई भी लेना-देना नहीं।
निश्चित रूप से इसका राजनीति से लेना देना नहीं है परंतु उन तत्वों से अवश्य लेना-देना है जिनके एनजीओ को फंडिंग के लाले पड़े हैं। जो मंडियों के बिचौलिए थे, करोड़ों में खेलते थे और उनका एकाधिकार टूट रहा है। किसान अपनी फसल किसी को भी बेचे, यह कोई भी बिचौलिया कैसे बर्दाश्त करेगा भला।
बेशक हम सोशल मीडिया को तमाम नकारात्मक गतिविधियों के लिए गरियाते रहते हैं परंतु यही मीडिया ‘इन जैसे’ तत्वों की पोल खोलने का माध्यम भी बना है, ठीक हाथरस कांड की तरह जिसमें एक कांग्रेस नेता की पीएफआई के साथ सांठगांठ को दलित अत्याचार के रूप में प्रचारित किया गया था।
इस कथित किसान आंदोलन में मेधा पाटकर, चंद्रशेखर, जेएनयू छात्र, सीएए विरोधी और खालिस्तानी अलगाववादियों की उपस्थिति के साथ साथ पाकिस्तानी मौलवी और कनाडा के पीएम के बयानों ने पूरा पैटर्न ही समझा दिया कि आखिर आंदोलन का प्रोपेगंडा क्या है और क्यों पंजाब से ही इसकी अगुवाई की जा रही है।
दरअसल कश्मीर में अलगाववादियों को जेल, धारा 370 हटाने, सिख फॉर जस्टिस, बब्बर खालसा जैसे तमाम एनजीओ’ज की फंडिंग बंद कर इन्हें बैन करने के बाद से तो ये सरकार विरोधी भूचाल आना ही था, और बहाना बन गया कृषि कानून का अंधा विरोध, जिसे पंजाब की कांग्रेस सरकार ने पूरा साथ दिया।
फिलहाल ”पंजाब ही क्यों”… के सवाल उठने पर अब बाकायदा धन देकर उन गैर भाजपा शाषित राज्यों से भी किसान संगठनों को बुलाने की कोशिश हो रही है जो पहले ही एमएसपी पर फसल खरीद में बड़ा रिकॉर्ड बना चुके हैं परंतु बात तो खुल ही चुकी है… बस देखना यह है कि खिंचेगी कब तक ।
बहरहाल, देश को खंड-खंड करने और किसान को गरीब बनाए रखने की मंशा पालने वाले ”कथित किसानों” की चाल पर ”अब्दुल मन्नान तरज़ी” का शेर और बात खत्म कि-
नालों ने ये बुलबुल के बड़ा काम किया है
अब आतिश-ए-गुल ही से चमन जलने लगा है।
-Alaknanda singh
एक पहलू ये भी।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद जोशी जी
हटाएंसही आकलन करती आलेख।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सिन्हा साहब
हटाएं*सीधा हिसाब ।*
जवाब देंहटाएंसबसे अधिक गेहूँ कहाँ उगता है ? - *पंजाब में ।*
सबसे अधिक गेहूं कौन खरीदता है ? -
*FCI*
FCI किससे खरीदता है ? - *बड़े बड़े आड़तियों से ।*
*पंजाब की सबसे बड़ी आड़ती कंपनी कौन है ?* - *सुखविंदर एग्रो*
सुखविंदर एग्रो किसकी कंपनी है ?- *हरप्रीत बादल की।*
सबसे अधिक गेहूं कहाँ सड़ता है ?- *FCI के गोडाउन में ।*
सड़ा हुआ गेहूं कहाँ काम आता है ? - *सड़ा हुआ गेहूँ शराब बनाने में काम आता है ।*
सड़ा गेहूँ कौन बेचता है और वह भी सबसे कम दाम पर ? - *FCI बेचता है ।*
सबसे अधिक शराब की खपत कहाँ होती है ? - *पंजाब में ।*
हमेशा "खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय" किसके पास रहता है ? - *हरप्रीत बादल के पास रहता है।*
*ऐसा ही सब कुछ महाराष्ट्र में भी चल रहा है ।*
शराब की भट्टियां किसकी हैं ? - *कांग्रेस + एनसीपी के नेताओं की ।*
चीनी के कारखाने किसके कब्जे में हैं ? - *कांग्रेस के और राकांपा के नेताओं के कब्जे में हैं ।*
चीनी के कारखानों में क्या उत्पादन होता है ? - *चीनी और एल्कोहल दोनों ।*
एल्कोहल का उपयोग कहाँ होता है ?-
*शराब बनाने के लिए ।*
*ऐसा ही यह सीधा सा हिसाब है, आया क्या आपके ध्यान में ?*
*और मोदी ने इस संबंध को नष्ट कर दिया है, आया कुछ समझ में ?*
*अब आया आपको समझ में कि मोदी जी का विरोध क्यों कर रहे हैं ये भ्रष्टाचारी लोग ?*
*ध्यान दें पंजाब का किसान अंदोलन, जिसमें पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते हुए हरे रंग का झंडा फहराया जाता है, खालिस्तानी आतंकवादियों की तस्वीरें लगाकर देश विरोधी नारे लगाए जाते हैं, "इंदिरा गांधी को उड़ा दिया था, मोदी भी उड़ा देंगे......" ऐसे आह्नान किये जा रहे हैं (YouTube पर यह सब देखा जा सकता है ।)*
*ज्ञानी लोगों को समझ में आता है कि, किसान लोग निश्चित रूप से ऐसा उद्योग नहीं करेगा ! शेष आप स्वयं निर्णय करें ।*
अरे वाह सिन्हा साहब, आपने तो पूरी गणित के साथ लब्बोलुआब पेश कर दिया, बहुत खूब। कच्चा चिठ्ठा खोलने के लिए धन्यवाद
हटाएंयह किसानों का कम और बिचौलिए और जमिंदारो का मजमा ज्यादे बन गया है। हम बिहारी किसानों की व्यथा तो हमने अपने फ़ेसबुक पोस्ट पर पहले ही डाल दी है।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद विश्वमोहन जी, आपने पूरे लेख का मर्म कह दिया, परंतु दुखद ये है कि इसे खलिस्तानी अलगाववादियों का सपोर्ट मिल रहा है
हटाएंबिल्कुल सही लिखा आपने। बाकी कभी भूखमरी से मरने वाला किसान अपने साथ 6 महीने का राशन लेकर चला है..!
जवाब देंहटाएंअनुज आप यह क्यों सोचते है की किसान हमेशा फटे कपड़ा में बेहाल ही रहे।हमारे सौ एकड़ जमीन है हम भी किसान है।भारत का हर वह व्यक्ति जो अन उगता है वह किसान है। मांग जायज़ है हर व्यक्ति को हक है कि वह अपना विचार रखे।गद्दी पर बैठने वाले ख़ुदा है क्या कि उन्होंने कहा वही सही है। सर्वसहमति भी मायने रखती है।राज़तंत्र नहीं आप जनतंत्र में हो ।
हटाएंसादर
नमस्कार अनीता जी, आपने बिल्कुल ठीक कहा कि सर्वसहमति हो और किसानों की बात भी सुनी जाए, यहां किसानों की उपेक्षा कोई कर भी नहीं रहा, परंतु जो तरीका इन कथित किसानों (आढ़तियों व बिचौलियों) ने अपनाया है और जो इनके सपोर्टिंंग्स फैक्ट सामने आ रहे हैं , वे किसान नहीं हैं, ना ही उनका एजेंडा किसानहित है बल्कि इसकी आड़ लेकर ये तत्व देश की आर्थिक स्थिति को बदतर बनाए रखना चाहते हैं...इन्हें किसान से बेहत आड़ और कोई मिल ही नहीं सकती..यही कर रहे हैं परंतु देर सबेर इनकी पोल खुलनी निश्चित है। संभवत: शिवम ने भी वही इशारा किया है कि 6 महीने का राशन लेकर चले हैं...
हटाएंधन्यवाद शिवम जी, अच्छा तंज़ कसा कि भुखमरी से मरने वाला 6 महीने का राशन लेकर चला है
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