रविवार, 20 जुलाई 2014

टारगेट इंटरवेंशन की जरूरत ही क्‍यों पड़ी?

कुछ दिनों पहले जब देश के स्‍वास्‍थ्‍यमंत्री डा. हर्षवर्द्धन ने नवआधुनिक समाज और मेट्रो कल्‍चर में आम होती जा रही प्रिमेराइटल यौन संबंध स्‍थापित करने की प्रवृत्‍ति पर लगाम लगाने की  बात  की थी, किशोर वर्ग को यौन शिक्षा देने  की बजाय उन्‍हें तन और मन से दृढ़ बनाने की बात  की थी तथा शादीशुदाओं से अपने ही साथी से संबंध बनाने को ही सुरक्षित बताया था, तब तथाकथित स्‍वतंत्र अधिकारवादियों ने बड़ा हो हल्‍ला मचाया कि समाज को सदियों पीछे  धकेलने की  कोशिश है ये...स्‍वतंत्रता के अधिकारों का हनन है ये... वर्तमान समय की मांग है स्‍वछंदता...आदि आदि परन्‍तु कल ''मणिपुर राज्‍य में एड्स'' के संदर्भ जारी हुई कैग रिपोर्ट सारे नव-आधुनिकतावादियों की उक्‍त उच्‍छृंखल सोच के लिए सबक हो सकती है कि मर्यादायें जब टूटती हैं तो वे समाज के लिए कितने कोणों से जानलेवा बन जाती हैं।
देश के उत्‍तरपूर्वी राज्‍यों में से एक मणिपुर अपनी प्राकृतिक सुंदरता और बेहद खुले व बिंदास तौरतरीकों की जीवनशैली के लिए जाना जाता है। राज्‍य की अधिकांश आबादी ईसाई है और आम जनजीवन में खुलेपन से जीना यहां का एक अंदाज़ है । अपनी इसी बिंदास जीवनशैली के चलते  अतिआधुनिकता के कई ज़हर पूरे प्रदेश की फिजां में रम गये हैं जिनमें सबसे भयावह है एचआईवी एड्स के मामलों में बेतहाशा वृद्धि। यूं तो ड्रग्स माफिया,वेश्‍यावृत्‍ति, आतंकवाद जैसे अपराधों  ने  यहां अरसे से जड़ें जमा रखी हैं परंतु अब एड्स के मामलों में हुई दोगुनी वृद्धि ने राज्‍य सरकार के तो होश  ही  उड़ा दिये हैं।
कैग ने राज्‍य की विधानसभा में पेश की गई रिपोर्ट  के हवाले से कहा है कि एड्स के प्रभावितों का इलाज करने और इसे बढ़ने से रोकने को चलाई गई ''टारगेट इंटरवेंशन'' परियोजना पूरी तरह विफल रही। और तो और इस परियोजना के क्रियान्‍वयन को मिले 43.39 करोड़ खर्च किये जाने के बावजूद पिछले पांच सालों में एड्स के मामलों में दोगुनी वृद्धि हुई। जहां 2007 में राज्‍य में कुल 25,919 लोग एचआईवी एड्स से संक्रमित थे वहीं सन् 2012 में प्रभावितों की संख्‍या बढ़कर 40,855 हो गई। पांच सालों में हुई एड्स के मरीजों की इस बेतहाशा वृद्धि एक चेतावनी है कि आधुनिकता के नाम पर हमारे सामाजिक ढांचे किस तरह आमजन को प्रभावित  कर रहे हैं और इसके दुष्‍परिणाम आने वाली पीढ़ियों तक को भोगने होंगे ।
''टारगेट इंटरवेंशन'' के तहत अत्‍यधिक जोखिम के कगार पर पहुंचे एड्स संक्रमितों को अलग इलाज करवाने की सुविधायें देने के साथ साथ नये संक्रमितों को एहतियातन अलग से ट्रीट किये जाने हेतु स्‍वास्‍थ्‍य महकमे द्वारा प्रोग्राम चलाये गये। इसमें राज्‍य सरकार की ओर से इलाज  के साथ साथ नुक्‍कड़ सभाओं जैसे अवेयरनेस प्रोग्राम भी शामिल थे। आशा की गई कि इस इंटरवेंशन के कारण एचआईवी एड्स से पूरी तरह मुक्‍ति नहीं भी मिलेगी, तो कम से कम लोगों को जागरूक करने में तो मदद मिलेगी ही। दीर्घकालीन सुधार की ये योजना कैग की मौजूदा रिपोर्ट के बाद  खुद ही अनुपयुक्‍त हो गई है। ज़ाहिर है इस योजना पर धन किस तरह बहाया गया, क्‍यों एड्स प्रभावितों की संख्‍या इस तरह बढ़ती गई, इसकी भी जांच होनी चाहिए।
यह सिर्फ पूर्वोत्‍तर के सिर्फ एक राज्‍य की बानगी है जिसकी आहट से सरकारी स्‍तर पर ही नहीं बल्‍कि सामाजिक और सांस्‍कृतिक स्‍तर पर सोचने की जरूरत है, क्‍योंकि मणिपुर में एड्स का  इस तरह फैलना और मणिपुर समेत पूर्वोत्‍तर के कई राज्‍यों से राष्‍ट्रीय राजधानी में नागरिकों  का आना ,एड्स के प्रसार को और भयावह बना सकता है। इसके लिए अतिशीघ्र ठोस योजना व उपायों की आवश्‍यकता है ताकि स्‍वछंद यौनसंबंधों से फैल रहे इस ज़हर से पीढ़ियों को बचाया जा सके।
-अलकनंदा सिंह

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें