अंतरिक्ष यात्री सुनिता विलियम्स का नौ महीने अंतरिक्ष में बिताने के बाद पत्रकारों से दिया गया बयान अब पूरे विश्व में चर्चा का विषय बना हुआ है।
उन्होंने कहा—
"मुझे ऐसा लगता है कि ईश्वर की इच्छा से मैं अंतरिक्ष में फँसी रही। जब मैं अंतरिक्ष में 20 दिन की हुई, तो मुझे ऐसा लगा जैसे मैं मृत्यु का सामना कर रही हूँ। जब मैंने सोचा कि अब भोजन और पानी की कमी के बीच मैं कैसे जीवित रहूँगी, तभी मुझे सनातन धर्म के चैत्र नवरात्रि के उपवास की याद आई। उस दिन से मैंने शाम को थोड़ा भोजन और पानी तथा सुबह थोड़ा पानी लेना शुरू किया। एक महीने बाद मैं स्वस्थ और प्रसन्न महसूस करने लगी। मुझे समझ आया कि मैं कुछ और समय तक टिक सकती हूँ।
"जब मैं मृत्यु की प्रतीक्षा कर रही थी, तो मैंने कंप्यूटर खोला और सोचा कि एक दिन बाइबिल पढ़ूँगी। पहले भी कई बार पढ़ चुकी थी, पर एक पन्ना पढ़ते ही ऊब गई। फिर मन हुआ कि रामायण और श्रीमद्भगवद्गीता दोबारा पढ़ूँ। (लगता है अब यह मुझे कोई शक्ति प्रदान कर रहा था।) मैंने (अंग्रेज़ी अनुवाद) डाउनलोड करके पढ़ना शुरू किया। 10-15 पन्ने पढ़ने के बाद मैं आश्चर्यचकित रह गई। उसमें गर्भ विज्ञान, समुद्र और आकाश का अद्भुत वर्णन था। मुझे लगा यह संसार को बताना चाहिए।
"अंतरिक्ष से देखने पर सूर्य ऐसा लगता है मानो कीचड़ के तालाब में बैठा हो। कभी-कभी ऊपर से कुछ आवाज़ें सुनाई देती थीं, जैसे मंत्रोच्चारण हो रहा हो। मुझे लगा कि यह संस्कृत-हिंदी के मंत्र हैं। मेरे साथी बैरी विलमोर ने कहा कि यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि मैं प्रतिदिन रामायण और गीता पढ़ती हूँ। इसके बाद मैंने गहराई से रामायण और गीता पढ़ने का निश्चय किया। यह अद्भुत अनुभव था। मैंने तुरंत एलन मस्क को फोन कर यह बात बताई।
"अब आप चौंक जाएँगे। कुछ दिन तो ऐसे रहे जब हम बड़े-बड़े उल्कापिंडों को अपनी अंतरिक्ष स्टेशन की ओर आते देख डर गए। जब कोई उपाय नहीं था, तो हमने ईश्वर से प्रार्थना की और चमत्कारिक ढंग से कुछ छोटे-छोटे गोलाकार प्रकाशपुंज (जो तारे जैसे दिखते थे) नीचे उतरकर उन सबको नष्ट कर गए। हमें ऐसा लगा जैसे तारे ही उन्हें मार रहे हों। यह हमें बहुत अचंभित कर गया। नासा ने वादा किया है कि इस विषय पर और गहन शोध किया जाएगा।
"आठ महीने में मैंने संपूर्ण रामायण और श्रीमद्भगवद्गीता पढ़ ली। मेरे भीतर लौटने का आत्मविश्वास जग गया। मुझे लगा कि अब मैं पृथ्वी पर वापस आ सकती हूँ।
"अप्रैल माह में जब सूर्य अस्त हो रहा था, तब पृथ्वी के ऊपर से शेर जैसी आकृति दिखाई दी, जिसके साथ माता जी और त्रिशूल भी था। जैसे ही वह पृथ्वी के वातावरण में पहुँची, वह अदृश्य हो गई। मैं समझ नहीं पाई कि यह कहाँ से आई थी। मेरे साथी बैरी विलमोर और मैंने देखा कि यह किसी विशेष परत से आ रही थी। तब मैंने समझा कि आकाश की भी कई परतें हैं। हमने बहुत सोचा कि ये उड़ते हुए घोड़े क्यों नहीं दिखे। फिर मैंने न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट देखी, जिसमें हडसन नदी के ऊपर चाँद के दिखने और 2 मार्च से सनातनी उपवास शुरू होने की खबर थी। तभी से नंगल में इस घटना का अवलोकन हो रहा था। बाद में हमने समझा कि यह धरती पर व्रत खोलने का समय था। मुझे लगता है कि वे ईश्वर के आशीर्वाद लेकर आने वाले देवदूत थे।
"अब मुझे लगता है कि सनातन धर्म की श्रीमद्भगवद्गीता सत्य है। अब मेरा शोध वेदों के विज्ञान पर होगा—गर्भ विज्ञान, समुद्र और अंतरिक्ष विज्ञान पर। मैं खगोल विज्ञान की हर बात जानना चाहती हूँ। नासा में वेदों की अद्भुत शक्तियों पर शोध करने के लिए एक नया विभाग शुरू करने का प्रस्ताव भी दिया गया है।"
सत्य है | सत्य को सत्य रहने दिया जाएगा तब तक सब अच्छा है अच्छा रहेगा |
जवाब देंहटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंअद्भुत...
बाकी सबको को ना जाने कौन से साक्ष्य चाहिए परमेश्वर पर विश्वास करने के लिए ।
धन्यवाद सुधा जी
हटाएंमुझे लगता है कि सनातन धर्म की श्रीमद्भगवद्गीता सत्य है। अब मेरा शोध वेदों के विज्ञान पर होगा—गर्भ विज्ञान, समुद्र और अंतरिक्ष विज्ञान पर। मैं खगोल विज्ञान की हर बात जानना चाहती हूँ। नासा में वेदों की अद्भुत शक्तियों पर शोध करने के लिए एक नया विभाग शुरू करने का प्रस्ताव भी दिया गया है।"
जवाब देंहटाएं-सुनीता
धन्यवाद यशोदा जी
हटाएंअद्भुत. प्रेरणादायक आलेख
जवाब देंहटाएंधन्यवाद तुषार जी
हटाएंवाह! अद्भुत!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद शुभा जी
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंधन्यवाद प्रिया जी
हटाएंप्रेरणादायक लेख, बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद हरीश जी
हटाएंसुनिता विलियम्स का ये बयान सच में दिमाग हिला देने वाला है। सोचो, कोई अंतरिक्ष में महीनों तक फँसा रहे और गीता-रामायण पढ़कर हिम्मत पाए, ये कितनी बड़ी बात है। मुझे अच्छा लगा कि उन्होंने धर्म को सिर्फ पूजा तक नहीं, बल्कि विज्ञान और ज्ञान से भी जोड़ा।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी
हटाएंMany claims made in this blog are made up and not verified with any statement made by Sunita.
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