बुधवार, 30 अप्रैल 2025

अक्षय तृतीया पर कांची कामकोटि पीठम में एक नए युग की शुरुआत

 




अक्षय तृतीया पर कांची में एक नए युग की शुरुआत, इसके वेद, विद्या और वैद्य सेवाओं ने पिछली शताब्दी में भारत के विकास के विभिन्न आयामों को बदल दिया है। आदि शंकर द्वारा स्थापित 2,500 से अधिक वर्ष पुराने मठ, कांची कामकोटि पीठम में उत्सवों का माहौल है। पीठम के 71वें शंकराचार्य का अभिषेक मठ की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण क्षण है। 


70वें शंकराचार्य श्री शंकर विजयेंद्र सरस्वती स्वामीगल के शिष्य, इस अखंड वंश में मठ के 71वें शंकराचार्य होंगे। 


आज सुबह कामाक्षी मंदिर में कांची मठ के शिष्य स्वेकार समारोह में वर्तमान आचार्य शंकर विजयेंद्र सरस्वती स्वामी ने पीठम के लिए 71वें आचार्य का अभिषेक किया और नए आचार्य का नाम #सत्य_चंद्रशेखरेंद्र_सरस्वती रखा।


नए आचार्य को उनके गुरु विजयेंद्र सरस्वती ने दंड दिया।

#Kanchi #KanchiKamakotiPeetam #SatyaChandrasekharendraSaraswathi

आखिर इस देश में चल क्या रहा है?

 

सोचिए इस देश में तंत्र कितना सड़ा हुआ है। पाकिस्तानी महिलाएं यहां आकर शादी करके बस जा रही हैं। एक पाकिस्तानी महिला CRPF के जवान से शादी करती है। एक पाकिस्तानी है जिसके पास यहां का वोटर ID, आधार कार्ड, राशन कार्ड सब है। कुछ पाकिस्तानी यहां आए थे क्रिकेट देखने यहीं रह गए।


ये सब लिस्ट उनकी है जो डॉक्यूमेंटेड रूप से आएं हैं जिनका सरकार के पास रिकॉर्ड है! उनका क्या जो अवैध रूप से घुसे हैं और जिनका कोई रिकॉर्ड ही नहीं है इधर। इतने पाकिस्तानी है, बांग्लादेशी भी होंगे, रोहिंग्या भी। जिन 80 करोड़ लोगों को राशन दिया जा रहा था उनमें से ये कितने है वो भी पता लगाना पड़ेगा।


आखिर इस देश में चल क्या रहा है? कोई नियम है या नहीं? ये देश धर्मशाला बन गया है क्या? सरकार इतने दिनों तक क्या कर रही थी? आने जाने वालों को ट्रैक क्यों नहीं किया गया? इन्हें ढूंढ कर वापस क्यों नहीं भेजा गया? लोग 20-20 साल से यहां रह रहे हैं। कोई खबर नहीं किसी को। अगर ये दुर्घटना न होती तो शायद हमें इसका पता भी नहीं चलता।


सोचिए जो 2011 से पहले इस देश में आए होंगे उनको तो जनसंख्या में भी गिना गया होगा। कई ऐसे होंगे जो नौकरी कर रहे होंगे। जिनके पास जमीनें होंगी। सरकार को इन सबको तुरंत वापस भेजना चाहिए, इनके नाम पर जो संपति है उसे जब्त करना चाहिए और इसी तर्ज पर बांग्लादेशियों के लिए भी अभियान चलाइए। ये बहुत घातक हैं, ये सब कैंसर सेल हैं।

रविवार, 27 अप्रैल 2025

जब पार्वती ने पूछा — मैं कौन हूँ?


आज एक धार्म‍िक चर्चा के दौरान ये सार न‍िकला... आप भी लाभान्व‍ित हों इस संवाद से । 

जब पार्वती ने पूछा — मैं कौन हूँ? यह सुनकर इसके उत्तर में शिव ने … माया को नग्न कर दिया 

इस दृश्य का कुछ इस तरह  प्रारंभ हुआ :

रात्रि थी। मौन थी।

चंद्रमा धुंधला था — जैसे कोई प्रश्न हवा में अटका हो।

पार्वती ने पूछा:

"नाथ… मैं कौन हूँ?"

आप मुझे शक्ति कहते हैं, ब्रह्म कहते हैं…...

पर कभी-कभी मैं स्वयं को केवल एक देह, एक पात्र, एक भूमिका जैसा महसूस करती हूँ।

क्या यह मेरा सत्य है या कोई भ्रम?


शिव ने कोई उत्तर नहीं दिया।

कुछ क्षण तक चुप रहे…

फिर बोले:

जिस दिन तुम अपने ‘मैं’ पर प्रश्न करोगी —

उसी दिन तुम उससे मुक्त होने लगोगी।

शिव ने हाथ बढ़ाया:

चलो — आज मैं तुम्हें वह दिखाता हूँ,

जिसे देखकर माया स्वयं अपनी आंखें फेर लेती है।

दृश्य 1: शव साधना

एक श्मशान — राख उड़ रही थी।

चिता बुझ चुकी थी।

एक स्त्री का शव पड़ा था — चेहरा वैसा ही… जैसा पार्वती का।

पार्वती भीतर तक कांप गईं।

क्या यह… वही थी?

शिव बोले:

यह तुम्हारा पहला भ्रम है — देह।

इसे तुम संवारती हो, रचती हो…

और फिर इसे ही ‘स्व’ मान बैठती हो।

"माया की पहली चाल — देह को आत्मा बना देना है।"

दृश्य 2: श्मशान की साक्षी

वहीं एक बूढ़ी माँ रो रही थी — बेटे की चिता जल रही थी।

दूसरी ओर कुछ लोग हँसते हुए गप्पें मार रहे थे।

एक ने कहा:

आज तीसरी चिता है… अब बारी उसकी होगी।

पार्वती की आँखें भर आईं।

शिव ने पूछा:

कौन सच्चा है — वो जो विलाप कर रहा है या वो जो हँस रहा है?

या फिर माया वही है — जो हर रिश्ते को समय का किरायेदार बना देती है?

दृश्य 3: भ्रम का बिंब

अब शिव उन्हें एक काले जल वाले सरोवर के पास ले गए।

पार्वती ने पानी में देखा —

वहाँ उनका प्रतिबिंब था…

लेकिन हर पल बदलता हुआ।

कभी वह वृद्धा, कभी वेश्या, कभी ऋषि, कभी राक्षसी।

"ये क्या है?" — पार्वती की आवाज़ कांप रही थी।

शिव ने उत्तर दिया:

यही तुम हो — जब तुम अपने स्वरूप को भूल जाती हो।

जब तुम अपनी शक्ति को पहचानने के बजाय समाज से पहचान माँगती हो।

माया का दूसरा स्वरूप — 'मैं कौन हूँ' का उत्तर बाहर ढूँढना।

दृश्य 4: शव-स्मृति और आत्म-परछाई

एक तपस्विनी बैठी थी —

निःशब्द, निर्वस्त्र, निर्विकार।

उसकी आँखें बंद थीं, और ललाट पर अग्नि रेखा थी।

पार्वती चौंकीं — यह उन्हीं का प्रतिबिंब था… पर मुक्त।

शिव बोले:

यह तुम हो — जब तुम स्वयं को छोड़ देती हो।

जब तुम 'शक्ति' नहीं, 'शून्य' बन जाती हो —

तब तुम शिव बन जाती हो।

पार्वती ने काँपती आवाज़ में कहा:

मैं शक्ति थी, माया बन गई…

और अब जान गई हूँ —

जो मिटता है, वह मैं नहीं।

जो रोता है, वो माया है।

और जो मौन हो गया है — वही 'मैं' हूँ।

शिव ने उत्तर दिया:

जब तुमने प्रश्न किया —

तभी तुम माया बनी।

और जब तुम मौन हो गई —

तभी तुम ब्रह्म हो गईं।

शास्त्र-प्रमाण ये है क‍ि- 

“शिवः शक्त्या युक्तः…”

— शिवमहापुराण

(शक्ति शिव से भिन्न नहीं — लेकिन भ्रम से उत्पन्न होती है)

“मायैव सर्वमखिलं ह्यनात्मा…”

— शिवगीता

(जो ‘मैं’ नहीं है, वही सबसे बड़ी माया है)

“ब्रह्म सत्यं, जगन्मिथ्या…”

— अद्वैत वेदांत

जब पार्वती ने खुद से पूछा — मैं कौन हूँ…

तो माया चुप हो गई।

“माया वही है —

जो तुम हो ही नहीं…...

फिर भी हर दिन ‘वही’ बनने की कोशिश करते हो।”

साभार - 𝗠𝗮𝗻𝗶𝘀𝗵 𝗗𝗮𝘁𝘁 𝗧𝗶𝘄𝗮𝗿𝗶

शुक्रवार, 25 अप्रैल 2025

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने आज स‍िंधु के दूसरे चैनल को भी पूरी तरह से बंद कर दिया

 कुल चार चैनलों के द्वारा सिंधु नदी का पानी पाकिस्तान में जाता है




वीड‍ियो: साभार एएनआई
भारत में दूसरे चैनल को भी पूरी तरह से बंद कर दिया और उसका वीडियो रिलीज कर दिया पाकिस्तान के विशेषज्ञ बता रहे हैं कि अभी पाकिस्तान को सिंधु नदी में जितना पानी मिल रहा है यदि भारत सिर्फ 10% बंद कर दे तो पाकिस्तान की 30% जमीन बंजर हो जाएगी और अगर भारत 20% बंद कर दे तो पाकिस्तान के मुल्तान लाहौर जैसे कई शहर पीने के पानी के कमी से जूझने लगेंगे और अगर आधा बंद कर दे तो पाकिस्तान में कोई खेती नहीं होगी पाकिस्तान में हाहाकार मच जाएगा और बिना एक मिसाइल गिराये भारत लाखों लोगों का कत्लेआम कर देगा सिंधु नदी समझौते की प्रस्तावना में लिखा था कि यह समझौता एक सौहार्दपूर्ण वातावरण के लिए किया जा रहा है भारत और पाकिस्तान के बीच में सौहार्दपूर्ण वातावरण बना रहे इसके लिए नदी जल बटवारा समझौता जरूरी है अब विश्व बैंक को भारत ने बता दिया फिर जब वातावरण सौहार्द पूर्ण नहीं रहा तो हम समझौता सस्पेंड करने और रद्द करने का अधिकार रखते हैं कल तक जो पाकिस्तानी चिल्ला रहे थे कि भारत समझौते को रद्द नहीं कर सकता उन्होंने शायद यह सौहार्दपूर्ण वातावरण रखने की कंडीशन नहीं पढ़ी थी क्योंकि अभी गर्मी है भारत के क्षेत्र के सिंधु नदी बेसिन के सारे रिजर्वायर सूखे हुए हैं तो भारत उन रिजर्वायर को भर रहा है उम्मीद है भविष्य में सिंधु नदी को सतलज से जोड़ दिया जाएगा और सतलज को अगर श्रीगंगानगर होते हुए महीसागर नदी से जोड़ दिया जाए तो पंजाब राजस्थान मध्यप्रदेश गुजरात जैसे काफी एरिया को खूब पानी मिल सकता है

शनिवार, 5 अप्रैल 2025

क्या सुप्रीम कोर्ट वक्फ बिल को निरस्त कर सकता है, समझें संवैधानिक प्रावधान


 क्या वक्फ संशोधन बिल असंवैधानिक है? असंवैधानिक कहने का अर्थ है कि यह देश के संविधान के अनुसार नहीं है, यानी इसमें जो बातें कही गई हैं, वह देश के कानून के विपरीत हैं. इसी बात को आधार बनाकर सांसद मोहम्मद जावेद और असदुद्दीन ओवैसी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं. अब सवाल यह है कि जिस विधेयक को संसद ने पूरी संवैधानिक व्यवस्था के साथ संसद से पास किया है, क्या सुप्रीम कोर्ट उस पर स्टे करेगा? 

वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को संसद ने पास कर दिया है. इस बिल को लोकसभा ने 2 अप्रैल और राज्यसभा ने 3 अप्रैल को पारित किया. यह विधेयक राष्ट्रपति की अनुमति प्राप्त करके कानून का रूप ले लेगा. विधेयक के कानून बनने की जो प्रक्रिया होती है, उसपर यह विधेयक पूरी तरह से सटीक बैठता है, बावजूद इसके इसे असंवैधानिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है. इस परिस्थिति में देशवासियों के मन में यह सवाल है कि क्या सुप्रीम कोर्ट इस बिल को निरस्त कर सकता है? इस सवाल  का जवाब हमारा संविधान देता है. 
कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका के अधिकारों पर क्या कहता है संविधान 
भारतीय लोकतंत्र जिन स्तंभों पर खड़ा है वे हैं-कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका. भारत का संविधान लिखित है और उसमें इन तीनों स्तंभों की भूमिका और अधिकार स्पष्ट तौर पर बताए गए हैं. संविधान ने तीनों स्तंभों के कार्यों का बंटवारा किया है और यह भी सुनिश्चित किया है कि तीनों स्तंभों में कभी टकराव ना हो और ऐसा भी ना हो कि किसी की शक्ति अत्यधिक और किसी की कम हो जाए. संविधान ने तीनों स्तंभों को जो कार्य दिए हैं वे इस प्रकार हैं-
विधायिका यानी वह संस्था जो कानून बनाती है
कार्यपालिका यानी वह संस्था जो कानून को देश में लागू करती है
न्यायपालिका इस बात की निगरानी करती है कि जो कानून बने हैं, उनका सही से पालन हो रहा है या नहीं

देश के इन तीनों स्तंभों के बीच शक्ति का संतुलन भी बनाया गया है. विधायिका कार्यपालिका को प्रश्न पूछकर नियंत्रित करती है और उसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी ला सकती है. जबकि कार्यपालिका विधायिका को भंग करने की क्षमता रखती है. वहीं न्यायपालिका विधायिका और कार्यपालिका के कार्यों की समीक्षा करता है, ताकि संविधान के अनुसार काम हो.
वक्फ बिल के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट क्या कर सकता है?
वक्फ बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जो याचिकाएं दाखिल की गई हैं, उसमें संविधान यानी देश के कानून के अनुसार कोई गलती नहीं हुई है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का काम ही है संविधान की व्याख्या करना. अब सवाल यह है कि सुप्रीम कोर्ट उस बिल के साथ क्या करेगा, जिसे संसद पास कर चुकी है? इस संबंध में विधायी मामलों के जानकार अधोध्या नाथ मिश्रा ने बताया कि संविधान में यह व्यवस्था है कि ना तो सुप्रीम कोर्ट और ना ही संसद यानी ना तो न्यायपालिका और ना ही विधायिका एक दूसरे के कार्य में हस्तक्षेप करते हैं. इस लिहाज से जब किसी विधेयक को संसद पास कर चुकी है, तो सुप्रीम कोर्ट उसे निरस्त कर देगा, यह संभव नहीं है. हां, यह हो सकता है कि बिल के किसी खास क्लॉज यानी कंडिका पर आपत्ति हो, तो सुप्रीम कोर्ट उसे देख सकता है और अगर उसे उचित लगे तो वह उसपर कुछ सुझाव विधायिका को दे सकता है. लेकिन यह सुझाव होगा, जजमेंट नहीं. यह संभव नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट वक्फ बिल पर स्टे लगा दे, क्योंकि वक्फ बिल को पूरी तरह संविधान सम्मत प्रक्रियाओं के तहत लाया गया है. अगस्त 2024 में यह बिल संसद में पेश किया गया, उसके बाद इसे विस्तृत चर्चा के लिए जेपीसी के पास भेजा गया. जेपीसी ने इस बिल पर कई तरह के सुझावों पर गौर किया और फिर उसमें बदलाव भी किया. जेपीसी की सिफारिशों के साथ बिल संसद में फिर आया और संसद द्वारा पास किया गया. बिल पर बहस हुई है, सभी पार्टियों को बोलने का मौका भी मिला है, इसलिए इसे पेश करने की जो व्यवस्था है वह पूरी तरह न्याय सम्मत है. 
-Legend News