सोमवार, 3 जून 2024

जान‍िए: कैसे होती है मतगणना, कितना बड़ा होता है मतगणना का एक राउंड


 इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) से चुनाव के कारण अब मतगणना आसान भी हो गई है और मंगलवार को देर शाम तक सभी नतीजे भी आ जाएंगे. आइए जान लेते हैं कैसे होती है मतगणना, कौन तय करता है काउंटिंग की जगह, कितना बड़ा होता है मतगणना का एक राउंड और कैसे जारी होता है उम्मीदवार को जीत का सर्टिफिकेट?

भारत में आम चुनाव अब अपने अंतिम पड़ाव पर आ गया है. एग्जिट पोल के बाद अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या ये हकीकत में तब्दील होंगे. हालांकि, चार जून को मतगणना के साथ ही चुनावी प्रक्रिया पूरी हो जाएगी और इसका खुलासा भी हो जाएगा. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से चुनाव के कारण अब मतगणना आसान भी हो गई है और मंगलवार को देर शाम तक सभी नतीजे भी आ जाएंगे.

आइए जान लेते हैं कैसे होती है मतगणना और ईवीएम के स्ट्रॉन्ग रूम से निकलने से लेकर विजेता प्रत्याशी को सर्टिफिकेट जारी होने तक की क्या है प्रक्रिया.

संबंधित निर्वाचन क्षेत्र के आरओ के अधीन होती है मतगणना
भारत में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 की धारा 64 के अनुसार, मतों की गिनती संबंधित निर्वाचन क्षेत्र के रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) द्वारा या उसके पर्यवेक्षण/निर्देशन के अधीन होती है. किसी क्षेत्र में चुनाव कराने का जिम्मा भी आरओ का ही होता है. चुनाव के लिए रिटर्निंग ऑफिसर आमतौर पर संबंधित जिले के जिलाधिकारी को बनाया जाता है. एक जिले में एक से अधिक चुनाव क्षेत्र होने पर किसी अन्य सरकारी अधिकारी को चुनाव पदाधिकारी बनाया जा सकता है. इन सरकारी अधिकारियों या स्थानीय निकाय के अधिकारियों को निर्वाचन आयोग राज्य सरकार की सलाह पर चुनता है.

तारीख और समय आयोग तय करता, RO निर्धारित करता है जगह
जहां तक बात मतगणना की है तो आमतौर पर आयोग चुनाव की घोषणा के साथ ही मतगणना की तारीख और समय तय कर देता है. किसी चुनाव क्षेत्र के लिए मतगणना का स्थान रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) निर्धारित करता है. सामान्यतौर पर किसी एक चुनाव क्षेत्र के लिए मतगणना एक ही जगह होती है और इसके लिए निर्वाचन अधिकारी के मुख्यालय, जो आमतौर पर जिला मुख्यालय होता है, उसको प्राथमिकता दी जाती है. मतगणना सीधे आरओ की निगरानी में होती है और वोटों की गिनती एक ही बड़े हॉल में की जाती है. इसके लिए अलग-अलग कई टेबल लगाई जाती हैं.

मतगणना के दिन स्ट्रॉन्ग रूम से निकाली जाती हैं ईवीएम
मतदान के बाद ईवीएम सभी जिला मुख्यालयों या आरओ मुख्यालयों पर बनाए गए स्ट्रॉन्ग रूम में कड़ी सुरक्षा के बीच सील कर रख दी जाती हैं. इनको मतगणना के दिन स्ट्रॉन्ग रूम से निकाला जाता है. फिर पारदर्शिता बनाए रखने के लिए इन मशीनों को उम्मीदवारों या उनके प्रतिनिधियों की मौजूदगी में खोला जाता है. इसके बाद रिटर्निंग ऑफिसर की ओर से नियुक्त गए काउंटिंग सुपरवाइजर्स (मतगणना कर्मचारी) वोटों की गिनती करते हैं.

मतगणना एजेंट और कर्मचारियों के बीच बनाया जाता है अवरोध
मतगणना कर्मचारियों की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए तीन स्तरीय रैंडमाइजेशन प्रॉसेस के जरिए इनको नियुक्त किया जाता है. इसी तरह से मतदान के लिए भी कर्मचारियों की नियुक्ति की जाती है. मतगणना के दौरान सभी पार्टियों के और निर्दलीय उम्मीदवार अपने-अपने मतगणना एजेंट और इलेक्शन एजेंट के साथ काउंटिंग हॉल में मौजूद रहते हैं. मतगणना के लिए लगाई गई टेबल और मतगणना एजेंटों के बीच दूरी बनाए रखने के लिए बीच में अवरोधक लगाए जाते हैं.

ये बांस-बल्ली के रूप में हो सकते हैं या किसी अन्य पारदर्शी पदार्थ से बने हो सकते हैं, जिससे मतगणना के दौरान एजेंट मशीनों को छू न सकें और पूरी प्रक्रिया उनकी निगरानी में भी रहे.

सबसे पहले पोस्टल बैलेट की होती है गिनती
मतगणना तय समय पर शुरू होती है तो सबसे पहले इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलेट और पोस्टल बैलेट की गिनती सीधे आरओ की निगरानी में जाती है. इनके लिए अलग से टेबल की व्यवस्था की जाती है और सहायक निर्वाचन अधिकारी की नियुक्ति की जाती है.

व्यवस्था के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलेट व पोस्टल बैलेट की गिनती शुरू होने के आधे घंटे बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में पड़े वोटों की गणना शुरू की जा सकती है. इसके लिए जरूरी नहीं है कि पोस्टल बैलेट की गिनती पूरी हो चुकी हो. यही नहीं, मतगणना के लिए ईवीएम की केवल कंट्रोल यूनिट का इस्तेमाल किया जाता है. इस प्रक्रिया में बैलेट यूनिट की कोई भूमिका नहीं होती, इसलिए उनको टेबल पर नहीं रखा जाता है.

कितना बड़ा होता है मतगणना का एक राउंड?
मतगणना के दौरान जब 14 ईवीएम में डाले गए मतों की गिनती पूरी हो जाती है तो एक राउंड या एक चक्र की गिनती पूरी मानी जाती है और हर चक्र का नतीजा साथ ही साथ घोषित किया जाता है. जब गणना पूरी हो जाती है तो रिटर्निंग ऑफिसर या आरओ ही लोक प्रतिनिधित्वण अधिनियम-1951 की धारा 66 के उपबन्धों के अनुसार नतीजे की घोषणा करता है. इसके बाद आरओ की ओर से विजेता प्रत्याशी को जीत का सर्टिफिकेट दिया जाता है.
- Legend News

2 टिप्‍पणियां: