सोमवार, 27 मई 2024

Ashley Madison... वो वेबसाइट जिसकी हैकिंग ने लाखों विवाहितों के राज़ खोले तो हाहाकर मच गया

 


 "Life is short. Have an affair."  “ज़िंदगी छोटी है, एडवेंचर करो.” 

इस नारे के साथ एशले मैडिसन ने दुनिया भर के ऐसे विवाहित लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया जो घर से बाहर रोमांटिक संबंध तलाश करने के इच्छुक थे और उन्हें लगता था कि अपने संबंधों में वह यह भावना पहले ही खो चुके हैं.

वेबसाइट उस वक्त सुर्खियों में आई, जब 15 जुलाई 2015 को कुछ हैकर्स ने इसका सारा कस्टमर डेटा (ईमेल्स, घर के पते, यूजर्स की सेक्शुअल फैंटेसीज, क्रेडिट कार्ड इन्फॉर्मेशन) चुरा ली और उसे इस वेबसाइट को बंद न किए जाने पर उसे पोस्ट करने की धमकी दी।

हैकर्स ने इसका कुछ डेटा 18 अगस्त को पोस्ट कर दिया। 28 अगस्त को इस कंपनी के फाउंडर और सीईओ नोएल बिडरमैन ने इस्तीफा दे दिया। वहीं, कंपनी ने हैकर्स की जानकारी देने वालों को 5 लाख डॉलर देने का एलान किया।

रहस्यमयी हैकर्स ने तीन करोड़ 20 लाख यूज़र्स के निजी डेटा और कुछ गोपनीय राज़ उजागर कर दिए. इसका बहुत भयावह असर हुआ. 

कई लोगों की शादियां टूटीं, कई लोग सामाजिक रूप से अलग-थलग पड़ गए और कुछ ने आत्महत्या तक कर ली. 
नेटफ़्लिक्स पर इस सप्ताह ‘एशले मैडिसन: सेक्स, लाइज़ ऐंड स्कैंडल्स’ का प्रीमियर जारी हुआ.
यह तीन कड़ियों वाली डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म है जिसका निर्देशन टोबी पैटन ने किया है. 

भारतीय भी थे बड़े ग्राहक 

साथी संग बेवफाई को बढ़ावा देने वाली डेटिंग वेबसाइट एश्ले मेडिसन के लीक हुए डेटा से भारतीयों से जुड़े कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। 
इसके मुताबिक, एक वक्त इस वेबसाइट को करीब 1.4 लाख भारतीय इस्तेमाल करते थे। एक अंग्रेजी वेबसाइट ने लीक हुए डेटा का एनालिसिस करके पाया कि कुल 5236 भारतीयों ने इस साइट पर पैसे खर्च किए। इन भारतीयों ने 2008 से 2015 के बीच कुल 2.4 करोड़ रुपए खर्च किए। इस साइट पर पैसे खर्च करने वाले सबसे ज्‍यादा भारतीय कस्‍टमर मुंबई के निकले। उन्‍होंने रकम भी सबसे ज्‍यादा खर्च की।

एशले मैडिसन क्या है?
‘डॉट कॉम’ का चलन बढ़ने के साथ जब रोज़मर्रा की ज़िंदगी में इंटरनेट का दख़ल बढ़ना शुरू हुआ तो कनाडा के डैरन जे मोरगेन्स्टर्न को यह एक अच्छा बाज़ार नज़र आया.

ख़ास तौर पर ऐसे मर्दों और औरतों के लिए जो अपनी शादी से हटकर कोई एडवेंचर करना चाहते थे.
साल 2002 में उन्होंने एशले मैडिसन की स्थापना की. यह एक ऐसा पोर्टल था जहां यूज़र किसी से संपर्क करने के लिए निजी जानकारी, तस्वीर और सेक्स की पसंद अपलोड कर सकते थे.

उन्होंने ऐसा कारोबारी मॉडल बनाया जिसमें महिलाएं दूसरे सदस्यों के साथ मुफ़्त में बातचीत शुरू कर सकती थीं लेकिन पुरुषों को क्रेडिट ख़रीदना पड़ता था. 

पहले कुछ सालों में एक हद तक सतर्कता बरतने के बाद 2007 में कंपनी के नए सीईओ नोएल बिडरमैन ने एक कुशल, आक्रामक और विवादास्पद मार्केटिंग स्ट्रेटजी के ज़रिए यूज़र्स की संख्या बढ़ाई.

जब अधिकतर नेटवर्क्स ने एशले मैडिसन के विज्ञापन प्रसारित करने से इंकार कर दिया तो बिडरमैन ने अमेरिका में इस संदेश के साथ प्रसारण संस्थाओं का दौरा किया कि बेवफ़ाई संबंधों पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है.
इसके अलावा वेबसाइट्स, मीडिया और बिल बोर्ड्स पर ऐसे ही संदेशों के साथ एक उत्तेजक अभियान शुरू किया गया जिसकी वजह से सभी इस साइट से परिचित हो गए.

मीडिया का ध्यान खींचने के बाद यह प्लेटफ़ॉर्म कई देशों में फैल गया और पिछले दशक में अपने उत्कर्ष पर उसने तीन करोड़ 70 लाख यूज़र्स होने का दावा किया और 10 लाख डॉलर्स का लाभ भी कमाया.

हालांकि इस प्लेटफ़ॉर्म को बड़ी संख्या में आलोचकों की के ग़ुस्से का भी सामना करना पड़ा जो इसे अनैतिक और परंपरागत पारिवारिक मूल्यों के लिए ख़तरा समझते थे. इसके बावजूद इस प्लेटफ़ॉर्म के मैनेजर परेशान नहीं हुए.
इस डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म में उनमें से एक कहते हैं, “बदनामी जैसी कोई चीज़ नहीं है. हर तरह का प्रचार अच्छा है.” 

हैकिंग 
इस पोर्टल ने अपने यूज़र्स के निजी डेटा की सुरक्षा के लिए कठोर गोपनीयता और सर्वोच्च सुरक्षा मानकों का वादा किया था लेकिन जैसा कि कंपनी के पूर्व कर्मचारी इस डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म में स्वीकार करते हैं, यह एक झूठा वादा था और कंपनी ने ख़ुद को काफ़ी हद तक सुरक्षित नहीं बनाया.

2015 में खुद को ‘इंपैक्ट टीम’ कहने वाले एक ग्रुप ने एशले मैडिसन के सिस्टम में घुसकर उसके सर्वर से लगभग सभी जानकारी निकाल ली.

‘इम्पैक्ट टीम’ ने कंपनी को बताया कि अगर उसने 30 दिन के अंदर अपना कारोबार स्थाई तौर पर बंद नहीं किया तो वह उसके यूज़र्स की निजी जानकारी डार्क वेब पर जारी कर देगी.

हैकिंग करने वाले शख़्स को तलाश करने की सभी कोशिशों के नाकाम होने के बाद और हैकर्स की तत्काल भर्ती के बावजूद कंपनी ‘इंपैक्ट टीम’ को अपनी धमकी पर अमल करने से ना रोक सकी.

डार्क वेब पर लीक होने वाले लगभग तीन करोड़ बीस लाख लोगों के डेटा में नाम, तस्वीर, पते, ईमेल आईडी और सेक्स की पसंद शामिल थी.
एक नए डेटा डंप में कामोत्तेजक तस्वीरें, क्रेडिट कार्ड के नंबर और उसके यूज़र की कुछ और निजी जानकारी शामिल थी. 

सार्वजनिक पड़ताल
यह सारी सामग्री तेज़ी से डार्क वेब से निकलकर ऐसे इंटरनेट पन्नों तक आ गई जो आम आदमी आसानी से देख सकता था.
किसी भी व्यक्ति का केवल ईमेल एड्रेस डालकर यह जाना जा सकता था कि उस एड्रेस वाला शख़्स एशले मैडिसन को इस्तेमाल करने वालों में शामिल था या नहीं.

अमेरिका में, जो इस प्लेटफ़ॉर्म का महत्वपूर्ण बाज़ार है, एक सार्वजनिक पड़ताल शुरू हुई और हज़ारों महिलाओं ने अपने पतियों और हज़ारों ने अपने रिश्तेदारों से लेकर पड़ोसियों, चर्च के पादरियों, नेताओं और मशहूर लोगों तक के बारे में यह पता लगाने की कोशिश की कि वह एशले मैडिसिन के यूज़र हैं या नहीं.

इस डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म में शामिल टेक्सस के मशहूर यूट्यूबर सैम और निया रेडर के मामले में ऐसा लगता है कि उनकी हंसती-खेलती शादीशुदा ज़िंदगी उस वक़्त थम गई जब यह बात सामने आई कि उन्होंने एशले मैडिसिन पर एडवेंचर की कोशिश की थी. 

हालांकि इस बारे में कोई ठोस आंकड़ा मौजूद नहीं है लेकिन पता चला है कि एशले मैडिसन के यूज़र की सामने आई जानकारी ने अमेरिका और दूसरे देशों में बहुत से जोड़ों और शादियों को तोड़ दिया.
न्यू ऑरलियन्स से संबंध रखने वाले एक पादरी जॉन गिब्सन की सदस्यता का पता चलने के बाद उनको समुदाय में तिरस्कार का सामना करना पड़ा और अंत में उन्होंने आत्महत्या कर ली.

संभावित बेवफ़ाओं की लिस्ट सामने आने से कंपनी की ओर से धोखाधड़ी के संकेत भी सामने आए.
हालांकि इसमें लगभग 40 फ़ीसद महिलाओं के होने का दावा किया गया था लेकिन यह पता चला कि महिला यूज़र्स की संख्या बहुत कम है और उनमें बहुत से फ़र्ज़ी प्रोफ़ाइल या बॉट्स थे जो कथित तौर पर कंपनी ने पुरुषों को आकर्षित करने और उन्हें क्रेडिट ख़रीदने पर मजबूर करने के लिए बनाए गए थे. 

एशले मैडिसन के साथ क्या हुआ?
बिडरमैन ने डॉक्यूमेंट्री फिल्म में शामिल नहीं थे. 2015 में हैकिंग से उठने वाले तूफ़ान के बाद उन्होंने कंपनी के सीईओ के पद से इस्तीफ़ा दे दिया था.
अदालतें एशले मैडिसन के ख़िलाफ़ धोखाधड़ी और हर्जाने की शिकायतों से भरी हुई थीं जहां से कई पीड़ितों को कुल मिलाकर एक करोड़ 10 लाख अमेरिकी डॉलर दिए जाने थे.
लेकिन यह प्लेटफ़ॉर्म पूरी तरह ग़ायब नहीं हुआ. मालिकों को बदला गया और इस प्लेटफ़ॉर्म को ‘दुनिया में नंबर एक विवाहित डेटिंग ऐप’ के तौर पर बढ़ावा दिया गया जो आज कई देशों में आठ करोड़ से अधिक यूज़र्स होने का दावा करता है.

इस डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म के डायरेक्टर टोबी पैटन का कहना है कि उन्होंने कहानी को संतुलित ढंग से पेश करने की कोशिश की है और वह नैतिक पक्ष लेने से बचे हैं.
उन्होंने एक बयान में कहा, “एशले मैडिसन में शामिल होने वालों की आलोचना करने की बजाय हम इस बात को जानने में अधिक रुचि रखते हैं कि लोग इस साइट की तरफ़ क्यों आकर्षित हुए. वह क्या तलाश रहे थे? उनके संबंधों में क्या चल रहा था? सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उनके पार्टनर का क्या कहना था?”

पैटन कहते हैं कि “हम सब जानते हैं बेवफ़ाई बर्बादी और तकलीफ़ दे सकती है लेकिन यह सच्चाई कि एशले मैडिसन के तीन करोड़ 70 लाख सदस्य थे, हमें कुछ और बताती है. यह जानकारी हमें बताती है कि जीवनभर के लिए एक व्यक्ति से वादा करना सचमुच मुश्किल काम है.”

आज तक यह मालूम नहीं हो सका की लाखों जोड़ों के संबंधों की बुनियाद हिला देने वाली हैकिंग का ज़िम्मेदार कौन था.
-Legend News

शनिवार, 11 मई 2024

फॉर्म 17C क्या है, चुनावों में इतना अहम क्यों है यह


 चुनावों में फॉर्म 17C क्या है और इसके डेटा को जारी करने की मांग क्यों उठ रही है. कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स, 1961 के तहत कुल मतदाता और कुल वोटर्स का डेटा दो फॉर्म में भरा जाता है- फॉर्म 17A और फॉर्म 17C. मतदाता को वोट करने की मंजूराी देने से पहले पोलिंग ऑफिसर फॉर्म 17A में वोटर का इलेक्टोरल रोल नंबर दर्ज करता है. वहीं, फॉर्म 17C तब भरा जाता है जब पोलिंग बंद हो जाती है.


कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स, 1961 के नियम 49S में फॉर्म 17C के बारे में कहा गया है. इसके मुताबिक, ‘मतदान समाप्ति पर प्रीसाइडिंग ऑफिसर (पीठासीन अधिकारी) फॉर्म 17C में दर्ज वोटों का लेखा-जोखा तैयार करेगा’. तैयार हो जाने के बाद इस फॉर्म को अलग लिफाफे में रखा जाता है, जिसके ऊपर लिखा होता है- ‘रिकॉर्ड किए गए वोटों का लेखा’.


फॉर्म 17C में भी दो पार्ट होते हैं. पार्ट 1 में दर्ज वोटों का हिसाब होता है और पार्ट 2 में गिनती का नतीजा होता है. पहला पार्ट मतदान के दिन भरा जाता है. एक्टिविस्ट का समूह इसी पार्ट के डेटा को उपलब्ध कराने की मांग कर रहा है.फॉर्म 17C के पार्ट 1 में – पोलिंग स्टेशन का नाम और नंबर, इस्तेमाल होने वाली EVM का आईडी नंबर, उस पोलिंग स्टेशन के लिए कुल योग्य वोटरों की संख्या, कितने लोगों को वोट नहीं करने दिया गया (रूल 49M), प्रति वोटिंग मशीन में दर्ज वोट, आदि की जानकारी होती है. वहीं, फॉर्म 17C के पार्ट 2 में उम्मीदवारों के नाम, उन्हें मिले वोटों की गिनती और कुल वोटों का ब्यौरा होता है. फॉर्म 17C का यह पार्ट मतगणना के दिन भरते हैं.


मतगणना में फॉर्म 17C का क्या काम होता है?

मल्लिकार्जुन खड़गे को लिखे खत में चुनाव आयोग ने कहा कि फॉर्म 17C में दर्ज वोटों की संख्या में किसी भी तरह हेरफेर की कोई गुंजाइश नहीं है. इसकी साइन की हुई काॅपी मतदान समाप्ति पर सभी चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को उपलब्ध कराई जाती है.


मतगणना के दिन EVM में डाले गए कुल वोटों का मिलान उम्मीदवारों या उनके एजेंटों की उपस्थिति में फॉर्म 17C से किया जाता है. काउंटिंग सुपरवाइजर फॉर्म 17C के पार्ट 2 में स्पष्ट करता है कि गिने हुए वोटों और दर्ज हुए वोटों की संख्या में कोई गड़बड़ी नहीं है. इसे चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों और एजेंटों द्वारा साइन भी किया जाता है. अगर गिनती में कुछ कम-ज्यादा होता है, तो उम्मीदवार इसको चुनौती दे सकता है.

- Legend News