सोमवार, 2 मार्च 2020

ऐसे श‍िक्षकों को तो ‘न‍िष्ठा’ कार्यक्रम या ‘प्रेरणा’ एप भी नहीं सुधार सकते

आज एक लज्जाजनक व‍िषय पर ल‍िखने जा रही हूं जो यह सोचने पर बाध्य करता है क‍ि अपने बच्चों में श‍िक्षा व संस्कार प‍िरोने की इच्छा के साथ हम उन्हें ज‍िन श‍िक्षकों के हवाले करते हैं, क्या वे श‍िक्षक स्वयं इतने संस्कारवान हैं क‍ि हमारे बच्चों को ”लायक बना सकें”?
आज एक लज्जाजनक व‍िषय पर ल‍िखने जा रही हूं जो यह सोचने पर बाध्य करता है क‍ि अपने बच्चों में श‍िक्षा व संस्कार प‍िरोने की इच्छा के साथ हम उन्हें ज‍िन श‍िक्षकों के हवाले करते हैं, क्या वे श‍िक्षक स्वयं इतने संस्कारवान हैं क‍ि हमारे बच्चों को ”लायक बना सकें”? या फ‍िर हम भी उसी अंधी और भयावह दौड़ में शामिल हैं जो क‍ि प्राइमरी से लेकर ड‍िग्रीधारक तक तो तैयार कर रही है मगर संस्कार और शैक्षण‍िक योग्यता उनमें स‍िरे से नदारद है।
और यही साब‍ित क‍िया है उत्तरप्रदेश के फ‍िरोजाबाद ज‍िले की उन श‍िक्ष‍िकाओं ने जो न केवल स्वयं सपना चौधरी के गानों पर डांस कर रही थीं बल्क‍ि अपने ऊपर पुरुष श‍िक्षकों द्वारा लुटाए जा रहे रुपयों का वीड‍ियो भी बना रही थीं। श‍िक्ष‍िकाओं के डांस करने पर भला क‍िसे आपत्त‍ि हो सकती है परंतु ट्रेन‍िंग प्रोग्राम के दौरान ”यह सब” क‍िया जाना बेहद आपत्त‍िजनक है।
देख‍िए वायरल वीड‍ियो का ल‍िंंक- https://www.youtube.com/watch?v=o_Tk7LqX0qA 
दरअसल, श‍िक्षकों के भीतर नेतृत्व क्षमता व श‍िक्षण कार्य में दक्षता प्राप्त करने के ल‍िए सरकार द्वारा सरकारी कार्यालय में चलाए जा रहे ”न‍िष्ठा प्रोग्राम” के दौरान न केवल यह डांस क‍िया गया बल्क‍ि साथी श‍िक्षकों द्वारा श‍िक्ष‍िकाओं पर रुपये लुटाए जाने का वीड‍ियो बनाया गया, फ‍िर उसे वायरल भी क‍िया गया। ये पूरा का पूरा घटनाक्रम श‍िक्षकों की घट‍िया मानस‍िकता को दर्शाता है।
हालांक‍ि अब इस पर कार्यवाही हो रही है परंतु सवाल यही है क‍ि ये सब हुआ ही क्यों…जो श‍िक्ष‍िकायें अपने ऊपर पुरुष साथ‍ियों द्वारा रुपये लुटाए जाने को एंज्वॉय कर सकती हैं, वे भला बच्चों को कौन सी श‍िक्षा व संस्कार देंगी। इससे पहले भी प्रदेश के श‍िक्षकों की स्कूलों में उपस्थ‍ित‍ि सुन‍िश्च‍ित करने के ल‍िए लाए गए ”प्रेरणा एप” को लेकर भी श‍िक्षकों का बेहद जाह‍िलाना रवैया सामने आया था। उन्हें अपनी उपस्थ‍ित‍ि को लेकर प्रेरणा एप पर बस रोजाना अपनी क्लास के बच्चों के साथ एक सेल्फी पोस्ट करनी थी … व‍िरोध का तर्क था क‍ि सरकार इस सेल्फी से श‍िक्षकों की न‍िजता पर हमला कर रही है। उन पर अव‍िश्वास जता रही है। एक तर्क ये भी द‍िया गया क‍ि सभी के पास मोबाइल नहीं हैं, सरकार मोबाइल फोन मुहैया करवाये।
कुल म‍िलाकर बात वहीं आकर ठहरती है क‍ि आख‍िर ये स्थि‍ति आई ही क्यों। सभी श‍िक्षक ज‍ितना मानदेय, सैलरी व अन्य भत्तों को लेकर ज‍ितना सचेत रहते हैं, उतना कर्तव्यों को लेकर क्यों नहीं रहते। ऐसा नहीं हैं क‍ि जो अपने कर्तव्यों को न‍िभाते हैं उन्हें नजरंदाज़ कर द‍िया जाता है, वरना राष्ट्रीय स्तर पर श‍िक्षक सम्मान नहीं द‍िये जा रहे होते। अपने कर्तव्य न‍िभाने की बजाय सरकारों के ख‍िलाफ सड़कों पर उतर कर, अपने अध‍िकार मांगने को हड़ताल और तरह-तरह से व‍िरोध प्रदर्शन करने वाले श‍िक्षकअपना सम्मान स्वयं ग‍िराते हैं।
”सरकारी नौकरी” करने वाले श‍िक्षक और श‍िक्षा संस्कार देने वाले ”गुरू” दोनों एक दूसरे से उतने ही अलग हैं ज‍ितने क‍ि पूरब और पश्च‍िम। श‍िक्षाम‍ित्रों के संगठन, बेस‍िक श‍िक्षक संघ, माध्यम‍िक श‍िक्षक संघ से लेकर यूनिवर्स‍िटीज तक आजकल यही आलम है क‍ि नौकरी करने वाले टीचर तो तमाम म‍िल जायेंगे मगर एक आदर्श गुरू नहीं मिलेगा। डांस करना बुरा नहीं है, उसको ज‍िस जगह, ज‍िस रूप और ज‍िस मानस‍िकता के साथ क‍िया गया, वह लज्जाजनक है। हर काम सरकारें नहीं कर सकतीं। बतौर अभ‍िभावक और बतौर श‍िक्षक कुछ तो ज‍िम्मेदारी हम सबको भी लेनी ही होगी, वरना ऐसी श‍िकायतें आती रहेंगी और दोषारापण हम आइस-पाइस खेल की तरह एक दूसरे पर करते रहेंगे।
- अलकनंदा स‍िंंह

10 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. जी सही कहा आपने जोशी जी, परंतु जब मन क्षोभ से भरता है तो गलत‍ियां स्पष्ट नज़र आने लगती हैं , हर चीज के ल‍िए सरकार या तंत्र को ज‍िम्मेदार नहीं ठहरा सकते...

      हटाएं
    2. जी बिल्कुल सही कहा आपने।

      हटाएं
  2. नमस्ते,

    आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 03 मार्च 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!


    जवाब देंहटाएं
  3. क्षोभ से भरा सार्थक लेख है।
    हर क्षेत्र में नैतिक मूल्यों और संस्कारों
    का पतन हो रहा है ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. धन्यवाद कुसुम जी, परंतु नैत‍िक पतन पर बार बार उंगली उठाई जानी बहुत जरूरी है....इस उम्मीद में क‍ि शायद ''ग‍िरने वालों '' में से कोई तो संभल जाए

      हटाएं
  4. यह घटना हमारी शिक्षा व्यवस्था और प्रशिक्षण के बारे में बहुत कुछ बयां कर रही है। उत्तर प्रदेश में प्रारंभिक शिक्षा को सशक्त, गुणवत्तापूर्ण और प्रभावशाली बनाने के उददेश्य से मिशन प्रेरणा की शुरूआत की गयी है। मिशन प्रेरणा में आधारभूत संरचना, कक्षा-कक्ष की गतिविधियाँ, सीखने-सिखाने के तरीकों, छात्र-छात्राओं को बुनियादी सुविधाओं के साथ-साथ स्कूल में समावेशी वातावरण बनाने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। प्रारंभिक शिक्षा के लिये एक मिशन है "मिशन प्रेरणा". इसे प्रेरणा एप समझकर भ्रमित न हो।
    https://www.kkrdgs.com/2020/03/Mission-prerna.html

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. Gurminder ji, Namaskar. my article is not about #Missionprerna, It is about an App for the Teaching and Para-Teaching Staff of Primary and Upper Primary Schools of #BasicShikshaDepartment of Govt. of Uttar Pradesh related to Attendance Monitoring, Mid Day Meal Monitoring and Operation Kayakalp related data submissions.

      हटाएं