सोमवार, 21 नवंबर 2016

भारतीय Mars Orbiter द्वारा भेजी गई फोटो को नेशनल जियोग्राफिक ने कवर पेज बनाया

 देश की प्रगति को यदि निस्‍पृह होकर देखा जाए तो यह बारबार दिख रहा है कि ... देश बदल रहा है। आज आई ये सूचना वैश्‍विक स्‍तर पर देश की ख्‍याति को एक और पायदान ऊपर ले जाने वाली है। इसे किसी राजनैतिक सोच, पार्टी या नेता अथवा विचारधारा से ना जोड़करखालिस भारतीय प्रगतिवाद से जोड़कर देखना चाहिए। निश्‍चितत: यह हमारे लिए गर्व का विषय है।
भारतीय Mars Orbiter द्वारा भेजी गई फोटो को नेशनल जियोग्राफिक ने कवर पेज बनाया

मंगल मिशन पर गए भारतीय Mars Orbiter ने तीन साल होने पर एक और उपलब्धि हासिल कर ली है। मंगलयान द्वारा ली गई मंगल ग्रह की एक तस्वीर को प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका नेशनल जियोग्राफिक ने कवर फोटो बनाया है। मंगलयान ने यह तस्वीर साधारण कैमरे से ली और इसमें मंगल ग्रह की तकरीबन पूरी तस्वीर एक साथ दिख रही है। मंगलयान की इस उपलब्‍धि से भारत के नाम एक और सफलता जुड़ गई है।
इस उपलब्धि पर प्रतिक्रिया देते हुए एक विशेषज्ञ ने कहा, मंगल ग्रह की हाई रिजोल्यूशन की इतनी बड़ी तस्वीर बहुत कम ही उपलब्ध है। भले ही दुनिया के तमाम देशों ने लाल ग्रह को लेकर पिछले कई सालों में 50 से ज्यादा मिशन किए हों लेकिन मंगलयान द्वारा खीचीं गई यह तस्वीर बहुत उम्दा है।
गौरतलब है कि मंगलयान की सफलता के साथ ही भारत पहली ही कोशिश में मंगल पर जाने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। यूरोपीय, अमेरिकी और रूसी यान लाल ग्रह की कक्षा में या जमीन पर पहुंचे हैं लेकिन कई प्रयासों के बाद।
भारत का मंगलयान बहुत ही कम लागत वाला अंतरग्रही मिशन है। नासा का मंगल यान मावेन 22 सितंबर को मंगल की कक्षा में प्रविष्ट हुआ था। भारत के मंगलयान की कुल लागत मावेन की लागत का मात्र दसवां हिस्सा है। कुल 1,350 किग्रा वजन वाले अंतरिक्ष यान में पांच उपकरण लगे हैं।
इन उपकरणों में एक सेंसर, एक कलर कैमरा और एक थर्मल इमैजिंग स्पेक्ट्रोमीटर शामिल है।
यह उपग्रह, जिसका आकार लगभग एक नैनो कार जितना है, तथा संपूर्ण मार्स ऑरबिटर मिशन की लागत कुल 450 करोड़ रुपये या छह करोड़ 70 लाख अमेरिकी डॉलर रही है, जो एक रिकॉर्ड है।
यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइज़ेशन या इसरो) ने 15 महीने के रिकॉर्ड समय में तैयार किया,
और यह 300 दिन में 67 करोड़ किलोमीटर की यात्रा कर अपनी मंज़िल मंगल ग्रह तक पहुंचा। यह निश्चित रूप से दुनियाभर में अब तक हुए किसी भी अंतर-ग्रही मिशन से कहीं सस्ता है।

- अलकनंदा  सिंह 

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