अतिवाद किसी भी अच्छे कदम की सकारात्मकता को पीछे धकेल देता है, और यही
हुआ है आज पुणे के शनि शिंगणापुर मंदिर में तृप्ति देसाई द्वारा प्रवेश
करने की जिद पर। तृप्ति महिलाओं को पूजा का समान अधिकार दिलाने के लिए लड़
रही थीं जिसमें उन्हें न केवल महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से बल्कि बॉम्बे
हाईकोर्ट से भी कानूनी व प्रशासनिक सपोर्ट मिला।
अपने इस एक कदम से अचानक पूरे देश में चर्चित हुई तृप्ति देसाई और उनकी भूमाता ब्रिगेड को तथाकथित महिला अधिकार वादियों ने हाथों-हाथ लिया क्योंकि उनकी बात जायज थी, और मुद्दे की बात पर कोई क्योंकर विरोध करेगा मगर जिस लड़ाई के लिए उन्होंने कोर्ट तक जाने ज़हमत उठाई, आज उसी को लेकर तृप्ति का उतावलापन बहुत कुछ स्पष्ट कर गया। तृप्ति ने कोर्ट के आदेश की प्रक्रिया पूरी करने तक का इंतजार नहीं किया और आज ही मंदिर के चबूतरे पर चढ़ने की जिद के साथ अपनी भूमाता ब्रिगेड लेकर जा पहुंची। बाकी असलियत एनसीपी के नेताओं ने पूरी कर दी जो तृप्ति के साथ मंदिर पहुंचे थे।
यहां कुछ प्रश्न बड़े स्वाभाविक हैं, जिनका उत्तर दिया जाना चाहिए। जैसे:
1. पहली बात ये कि कोर्ट के आदेश की लिखित या फैक्स प्रति मंदिर प्रबंधन को मिलने से पहले ही वह मंदिर में क्यों प्रवेश करना चाहती थीं। उनका मंदिर पहुंचना महिलाओं के अधिकारों का मसला कम और निजी ज़िद ज्यादा दिखाई दिया।
2. दूसरी बात कि उनके साथ एनसीपी के पुरुष नेता व पुरुष कार्यकर्ता क्या कर रहे थे, ये दृश्य बिल्कुल ऐसा ही था जैसा कन्हैया की गिरफ्तारी पर राहुल गांधी की मौजूदगी।
3. तीसरी बात यह कि तमाम सालों से मौजूद रूढ़ियों को एक कोर्ट के आदेश और आदेश के चंद घंटों के भीतर उन्हें जस का तस मनवाना आसान तो नहीं, अच्छा होता कि तृप्ति कोर्ट के आदेश की प्रति प्रबंधकों तक पहुंचने का इंतजार करके वहां जातीं। उन स्थानीय औरतों को भी समझा पातीं जिन्होंने आज स्वयं पुरुष ग्रामीणों के साथ मिलकर तृप्ति का रास्ता रोका।
4. और हां, तृप्ति देसाई यदि अपने संगठन को राजनैतिक पार्टियों के चंगुल में ना जाने दें तो अच्छा होगा वरना उनके एक सही कदम को मिट्टी में मिलते देर नहीं लगेगी।
5. हठधर्मिता को कानून का सहारा मिल जाए तो वह किसी को भी ताकतवर भले ही बना सकती है मगर यहां मामला धर्म का है और धर्म का मामला दिलों, समाज की रीतियों और काफी हद तक विश्वासों (अंध विश्वास भी हो सकता है) से जुड़ा होता है जिसका विरोध ताकत या कानून से नहीं, जागरूकता पैदा करके और लोगों में विश्वास जगाकर ही हासिल किया जा सकता है।
आज का घटनाक्रम कुछ यूं रहा-
आज पुणे के शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं की एंट्री पर बवाल मचा रहा। पुलिस ने भूमाता Brigade की तृप्ति देसाई को हिरासत में ले लिया गया। बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के बाद आज महिलाएं शनि मंदिर में पूजा करने जा रही थीं लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के चलते भारी हंगामा मच गया। भूमाता ब्रिगेड की तृप्ति देसाई के नेतृत्व में महिलाएं मंदिर के अंदर जाने पर अड़ी हैं लेकिन स्थानीय लोग जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं, इन्हें मंदिर के अंदर जाने से रोकते रहे ।
एनसीपी की महिला कार्यकर्ताओं ने मंदिर के अंदर जाने की कोशिश की जिस पर स्थानीय लोगों के साथ उनकी धक्कामुक्की शुरू हो गई। स्थानीय महिलाएं तृप्ति देसाई का भी विरोध कर रही हैं। गांव वालों ने तृप्ति को घेर लिया और उनके खिलाफ जमकर नारेबाजी की। गांव की महिलाओं ने तृप्ति को रोकने के लिए मानव श्रृंखला बना ली। वहीं तृप्ति देसाई ने कहा कि हम बिलकुल नहीं सुनेंगे, हम दर्शन करने आए हैं और करके रहेंगे। तृप्ति ने कहा कि आज कोर्ट के आदेश का अपमान हो रहा है। हमारे साथ धक्कामुक्की हुई, बाहर भेजने की कोशिश की जा रही है। सीएम को ये सब रोकना चााहिए, मैं दर्शन लिए बिना नहीं जाऊंगी।
वहीं पूर्व एनसीपी विधायक मुरकुटे के साथ भी मंदिर के सुरक्षा रक्षकों ने हाथापाई की। मुरकुटे महिलाओं के साथ चबूतरे पर चढ़ने की जिद पर अड़ गए।
इससे पहले हाईकोर्ट के आदेश के बाद मंदिर प्रशासन की एक बैठक हुई जिसमें ये तय किया गया है कि जब तक मंदिर प्रशासन को अदालत के आदेश की कॉपी नहीं मिलती है, तब तक पुरानी परंपरा जारी रहेगी।
तृप्ति देसाई का कहना है कि मुख्यमंत्री को आदेश देना चाहिए और महिलाओं को आज मंदिर में जाने की एंट्री मिलनी चाहिए। अगर किसी ने मंदिर के प्लेटफार्म पर जाने से रोका को एफआईआर दर्ज करवाएंगे। वहीं दिल्ली महिला आयोग की पूर्व चेयरमैन बरखा सिंह का कहना है कि अदालत का फैसला महिलाओं की जीत है। उन्होंने कहा कि भगवान पुरुष और महिला में भेदभाव नहीं करता इसलिए मंदिर में भी भेदभाव नहीं होना चाहिए।
कल बॉम्बे हाई कोर्ट ने ये आदेश दिया था –
शनि शिंगणापुर मंदिर के गर्भगह में महिलाओं के प्रवेश पर रोक को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका का निपटारा करते हुए Bombay High court ने महाराष्ट्र सरकार से धार्मिक स्थलों पर प्रवेश को लेकर महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव को रोकने के लिए कानून के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए कहा है। बंबई हाईकोर्ट ने एहतियाती कदम उठाने का निर्देश दिया कि यह महिलाओं का मौलिक अधिकार है और सरकार को इसकी रक्षा करनी चाहिए।
राज्य के अहमदनगर जिले के शनि शिंगणापुर मंदिर के गर्भगह में महिलाओं के प्रवेश पर रोक को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका का निपटारा करते हुए कोर्ट ने कहा कि वह केवल सरकार के लिए सामान्य निर्देश पारित कर सकती है और व्यक्तिगत और खास मामलों में नहीं जा सकती है।
महाराष्ट्र सरकार ने हाईकोर्ट को आश्वस्त किया कि वह पूरी तरह से लैंगिक भेदभाव के खिलाफ है और महाराष्ट्र हिंदू पूजा स्थल (प्रवेश प्राधिकार) कानून के प्रावधानों को सख्ती से लागू करेगी।
मुख्य न्यायाधीश डी एच वाघेला और न्यायमूर्ति एम एस सोनक की खंडपीठ ने कहा कि महाराष्ट्र के गृह विभाग के सचिव कानून के प्रावधानों के अनुपालन और उसे लागू किए जाने को सुनिश्चित करेंगे। वे नीति व अधिनियम के उद्देश्य को पूरी तरह अमल में लाने के लिए वे (गृह विभाग) महाराष्ट्र के हर जिले के पुलिस अधीक्षक और कलेक्टर को दिशा-निर्देश जारी करेंगे। खंडपीठ ने कहा, कानून को पूरी तरह लागू करने के लिए सरकार सभी जरूरी कदम उठाएगी।
- अलकनंदा सिंह
अपने इस एक कदम से अचानक पूरे देश में चर्चित हुई तृप्ति देसाई और उनकी भूमाता ब्रिगेड को तथाकथित महिला अधिकार वादियों ने हाथों-हाथ लिया क्योंकि उनकी बात जायज थी, और मुद्दे की बात पर कोई क्योंकर विरोध करेगा मगर जिस लड़ाई के लिए उन्होंने कोर्ट तक जाने ज़हमत उठाई, आज उसी को लेकर तृप्ति का उतावलापन बहुत कुछ स्पष्ट कर गया। तृप्ति ने कोर्ट के आदेश की प्रक्रिया पूरी करने तक का इंतजार नहीं किया और आज ही मंदिर के चबूतरे पर चढ़ने की जिद के साथ अपनी भूमाता ब्रिगेड लेकर जा पहुंची। बाकी असलियत एनसीपी के नेताओं ने पूरी कर दी जो तृप्ति के साथ मंदिर पहुंचे थे।
यहां कुछ प्रश्न बड़े स्वाभाविक हैं, जिनका उत्तर दिया जाना चाहिए। जैसे:
1. पहली बात ये कि कोर्ट के आदेश की लिखित या फैक्स प्रति मंदिर प्रबंधन को मिलने से पहले ही वह मंदिर में क्यों प्रवेश करना चाहती थीं। उनका मंदिर पहुंचना महिलाओं के अधिकारों का मसला कम और निजी ज़िद ज्यादा दिखाई दिया।
2. दूसरी बात कि उनके साथ एनसीपी के पुरुष नेता व पुरुष कार्यकर्ता क्या कर रहे थे, ये दृश्य बिल्कुल ऐसा ही था जैसा कन्हैया की गिरफ्तारी पर राहुल गांधी की मौजूदगी।
3. तीसरी बात यह कि तमाम सालों से मौजूद रूढ़ियों को एक कोर्ट के आदेश और आदेश के चंद घंटों के भीतर उन्हें जस का तस मनवाना आसान तो नहीं, अच्छा होता कि तृप्ति कोर्ट के आदेश की प्रति प्रबंधकों तक पहुंचने का इंतजार करके वहां जातीं। उन स्थानीय औरतों को भी समझा पातीं जिन्होंने आज स्वयं पुरुष ग्रामीणों के साथ मिलकर तृप्ति का रास्ता रोका।
4. और हां, तृप्ति देसाई यदि अपने संगठन को राजनैतिक पार्टियों के चंगुल में ना जाने दें तो अच्छा होगा वरना उनके एक सही कदम को मिट्टी में मिलते देर नहीं लगेगी।
5. हठधर्मिता को कानून का सहारा मिल जाए तो वह किसी को भी ताकतवर भले ही बना सकती है मगर यहां मामला धर्म का है और धर्म का मामला दिलों, समाज की रीतियों और काफी हद तक विश्वासों (अंध विश्वास भी हो सकता है) से जुड़ा होता है जिसका विरोध ताकत या कानून से नहीं, जागरूकता पैदा करके और लोगों में विश्वास जगाकर ही हासिल किया जा सकता है।
आज का घटनाक्रम कुछ यूं रहा-
आज पुणे के शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं की एंट्री पर बवाल मचा रहा। पुलिस ने भूमाता Brigade की तृप्ति देसाई को हिरासत में ले लिया गया। बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के बाद आज महिलाएं शनि मंदिर में पूजा करने जा रही थीं लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के चलते भारी हंगामा मच गया। भूमाता ब्रिगेड की तृप्ति देसाई के नेतृत्व में महिलाएं मंदिर के अंदर जाने पर अड़ी हैं लेकिन स्थानीय लोग जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं, इन्हें मंदिर के अंदर जाने से रोकते रहे ।
एनसीपी की महिला कार्यकर्ताओं ने मंदिर के अंदर जाने की कोशिश की जिस पर स्थानीय लोगों के साथ उनकी धक्कामुक्की शुरू हो गई। स्थानीय महिलाएं तृप्ति देसाई का भी विरोध कर रही हैं। गांव वालों ने तृप्ति को घेर लिया और उनके खिलाफ जमकर नारेबाजी की। गांव की महिलाओं ने तृप्ति को रोकने के लिए मानव श्रृंखला बना ली। वहीं तृप्ति देसाई ने कहा कि हम बिलकुल नहीं सुनेंगे, हम दर्शन करने आए हैं और करके रहेंगे। तृप्ति ने कहा कि आज कोर्ट के आदेश का अपमान हो रहा है। हमारे साथ धक्कामुक्की हुई, बाहर भेजने की कोशिश की जा रही है। सीएम को ये सब रोकना चााहिए, मैं दर्शन लिए बिना नहीं जाऊंगी।
वहीं पूर्व एनसीपी विधायक मुरकुटे के साथ भी मंदिर के सुरक्षा रक्षकों ने हाथापाई की। मुरकुटे महिलाओं के साथ चबूतरे पर चढ़ने की जिद पर अड़ गए।
इससे पहले हाईकोर्ट के आदेश के बाद मंदिर प्रशासन की एक बैठक हुई जिसमें ये तय किया गया है कि जब तक मंदिर प्रशासन को अदालत के आदेश की कॉपी नहीं मिलती है, तब तक पुरानी परंपरा जारी रहेगी।
तृप्ति देसाई का कहना है कि मुख्यमंत्री को आदेश देना चाहिए और महिलाओं को आज मंदिर में जाने की एंट्री मिलनी चाहिए। अगर किसी ने मंदिर के प्लेटफार्म पर जाने से रोका को एफआईआर दर्ज करवाएंगे। वहीं दिल्ली महिला आयोग की पूर्व चेयरमैन बरखा सिंह का कहना है कि अदालत का फैसला महिलाओं की जीत है। उन्होंने कहा कि भगवान पुरुष और महिला में भेदभाव नहीं करता इसलिए मंदिर में भी भेदभाव नहीं होना चाहिए।
कल बॉम्बे हाई कोर्ट ने ये आदेश दिया था –
शनि शिंगणापुर मंदिर के गर्भगह में महिलाओं के प्रवेश पर रोक को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका का निपटारा करते हुए Bombay High court ने महाराष्ट्र सरकार से धार्मिक स्थलों पर प्रवेश को लेकर महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव को रोकने के लिए कानून के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए कहा है। बंबई हाईकोर्ट ने एहतियाती कदम उठाने का निर्देश दिया कि यह महिलाओं का मौलिक अधिकार है और सरकार को इसकी रक्षा करनी चाहिए।
राज्य के अहमदनगर जिले के शनि शिंगणापुर मंदिर के गर्भगह में महिलाओं के प्रवेश पर रोक को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका का निपटारा करते हुए कोर्ट ने कहा कि वह केवल सरकार के लिए सामान्य निर्देश पारित कर सकती है और व्यक्तिगत और खास मामलों में नहीं जा सकती है।
महाराष्ट्र सरकार ने हाईकोर्ट को आश्वस्त किया कि वह पूरी तरह से लैंगिक भेदभाव के खिलाफ है और महाराष्ट्र हिंदू पूजा स्थल (प्रवेश प्राधिकार) कानून के प्रावधानों को सख्ती से लागू करेगी।
मुख्य न्यायाधीश डी एच वाघेला और न्यायमूर्ति एम एस सोनक की खंडपीठ ने कहा कि महाराष्ट्र के गृह विभाग के सचिव कानून के प्रावधानों के अनुपालन और उसे लागू किए जाने को सुनिश्चित करेंगे। वे नीति व अधिनियम के उद्देश्य को पूरी तरह अमल में लाने के लिए वे (गृह विभाग) महाराष्ट्र के हर जिले के पुलिस अधीक्षक और कलेक्टर को दिशा-निर्देश जारी करेंगे। खंडपीठ ने कहा, कानून को पूरी तरह लागू करने के लिए सरकार सभी जरूरी कदम उठाएगी।
- अलकनंदा सिंह
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