जब व्यक्ति मदांध हो जाता है तो उसे वही सब सच लगता है, वही सब सही लगता है जो वह और उसके चाटुकार सोचते हैं व करते हैं। सब अपनी-अपनी सोचों के सिक्के सार्वजनिक तौर पर खर्चने में लगे हैं, फिर चाहे वो सोच खोटी ही क्यों ना हो । और तो और सभी मदांध यह बताने में पूरी तिकड़म लगा देते हैं कि बस वो ही सही कह रहे हैं, बाकी लोगों का कथन गलत व गैरमतलब है।
कल मुरादाबाद की चुनाव रैली को संबोधित करते हुये समाजवादी सुप्रीमो मुलायम सिंह ने अपनी विध्वंसक और गिरी हुई विचारधारा का वो आखिरी मुकाम भी पार कर लिया जिसकी 'प्रत्यक्ष' रूप से शुरुआत उन्होंने संसद में पेश किये गये महिला आरक्षण बिल के खिलाफ बोलकर की थी । कल की रैली में उन्होंने शक्तिमिल के बलात्कारियों को लगभग क्लीनचिट देते हुए कहा कि लड़के हैं, गलतियां हो जाती हैं। पहले लड़के-लड़की साथ रहते हैं, फिर मतभेद हो जाने पर लड़की रिपोर्ट लिखा देती है कि मेरे साथ रेप किया...हम सरकार में आने के बाद ऐसे कानूनों पर फिर से विचार करेंगे''
द्रौपदी को नारी शक्ति का पर्याय मानने वाले डा. राम मनोहर लोहिया की जन्मशती के अवसर पर भी खुद को लोहियादूत कहते रहे मदांधता के शिकार मुलायम सिंह ने कहा था कि महिला आरक्षण बिल का फायदा केवल बड़े उद्योगपतियों और अफसरों के परिवार की लड़कियां-महिलायें उठायेगीं जिन पर लड़के पीछे से सीटी बजायेंगे ।
कहते हैं ना कि जो संस्कार घर से मिले होते हैं, वो आजीवन व्यक्ति के आचरण में झलकते हैं। मुलायम सिंह की ये सोच निश्चित ही उनकी महिला विरोधी मानसिकता वाले असली चेहरे को एकबार फिर हमारे सामने ले आई है। इससे पता लगता है कि वो किस परिवेश से आये हैं और महिलाओं के लिए उनके मन में क्या क्या पल रहा है।
ज़रा सोचिए जो व्यक्ति स्वयं को प्रधानमंत्री बनते देखने का स्वप्न पाले बैठा हो, पूर्व में भी रक्षा मंत्री जैसा उत्तरदायित्व निभा चुका हो, उसके मुंह से बलात्कार जैसे घिनौने शब्द को मात्र गलती बता देना...उसके पूर्व के और आने वाले दिनों के भी मंतव्य को भलीभंति प्रकट कर रहा है ।
अच्छा हुआ कि इन चुनावों में सबके आडंबर उधड़ रहे हैं ...हमें बता रहे हैं कि बलात्कारियों से किसी भी तरह कम नहीं हैं ऐसे अपराधी भी जिनके लिए जघन्य अपराध मात्र एक गलती है..बस । बलात्कारी तो मानसिक-शारीरिक रूप से चोट पहुंचाते हैं किंतु बलात्कारियों के इन हिमायितियों ने तो आधी आबादी के पूरे वज़ूद को ही मार डाला । कहीं ये स्वयं भी ऐसी ही किसी गलती का नतीजा तो नहीं...क्या पता इसीलिए इस उम्र में भी प्रधानमंत्री पद की भीख मांग रहे हों कि बस एक बार बनवा दो...एक बार बनवा दो पीएम ताकि मैं जो दबी कुंठाएं हैं, उन्हें भी पूरा कर लूं । जुबान ने तो कब का साथ छोड़ दिया...मगर शरीर की अन्य इच्छाएं जस की तस कुत्सित हैं...।
उत्तर प्रदेश में कुल 14 करोड़ मतदाता हैं जिनमें 6 करोड़ 70 लाख महिलाएं हैं, ऐसे में ऐन चुनाव के वक्त मुलायम सिंह अपनी घृणित सोच से किसे खुश करना चाह रहे हैं, यह समझ से परे है। निश्चित ही इससे वोटबैंक में कोई इज़ाफा नहीं होने वाला मगर मदांधता इस कदर हावी है उन पर कि उन्हें उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था का बदहाल दिखाई नहीं दे रहा । उन्होंने तो स्वयं बता दिया कि वो दिमागी रूप से कितने दिवालिया हैं ...उन्होंने जता दिया कि जब हम एक खास समुदाय के हिमायती बनकर उन्हें जेलों से रिहा करवाने की गोटी खेल सकते हैं तो बलात्कारियों को बेकसूर घोषित क्यों नहीं करवा सकते...अब समझ में आ रहा है कि समाजवादी पार्टी इतनी अराजक क्यों है ।आखिर इतनी गिरी हुई मानसिकता वाला व्यक्ति उस पार्टी का मुखिया जो है।
अभी तो चुनावों के दो चरण ही हुये हैं उत्तर प्रदेश में, अधिकांशत: बाकी हैं। बहरहाल, इतना तो पक्का है कि निश्चित ही बलात्कार को महज गलती बताने वाले और अपने बच्चों से भी 'नेता जी' कहलवाने वाले इन महाशय ने इसका ख़मियाजा पार्टी को सौगात में दे दिया है।
- अलकनंदा सिंह
कल मुरादाबाद की चुनाव रैली को संबोधित करते हुये समाजवादी सुप्रीमो मुलायम सिंह ने अपनी विध्वंसक और गिरी हुई विचारधारा का वो आखिरी मुकाम भी पार कर लिया जिसकी 'प्रत्यक्ष' रूप से शुरुआत उन्होंने संसद में पेश किये गये महिला आरक्षण बिल के खिलाफ बोलकर की थी । कल की रैली में उन्होंने शक्तिमिल के बलात्कारियों को लगभग क्लीनचिट देते हुए कहा कि लड़के हैं, गलतियां हो जाती हैं। पहले लड़के-लड़की साथ रहते हैं, फिर मतभेद हो जाने पर लड़की रिपोर्ट लिखा देती है कि मेरे साथ रेप किया...हम सरकार में आने के बाद ऐसे कानूनों पर फिर से विचार करेंगे''
द्रौपदी को नारी शक्ति का पर्याय मानने वाले डा. राम मनोहर लोहिया की जन्मशती के अवसर पर भी खुद को लोहियादूत कहते रहे मदांधता के शिकार मुलायम सिंह ने कहा था कि महिला आरक्षण बिल का फायदा केवल बड़े उद्योगपतियों और अफसरों के परिवार की लड़कियां-महिलायें उठायेगीं जिन पर लड़के पीछे से सीटी बजायेंगे ।
कहते हैं ना कि जो संस्कार घर से मिले होते हैं, वो आजीवन व्यक्ति के आचरण में झलकते हैं। मुलायम सिंह की ये सोच निश्चित ही उनकी महिला विरोधी मानसिकता वाले असली चेहरे को एकबार फिर हमारे सामने ले आई है। इससे पता लगता है कि वो किस परिवेश से आये हैं और महिलाओं के लिए उनके मन में क्या क्या पल रहा है।
ज़रा सोचिए जो व्यक्ति स्वयं को प्रधानमंत्री बनते देखने का स्वप्न पाले बैठा हो, पूर्व में भी रक्षा मंत्री जैसा उत्तरदायित्व निभा चुका हो, उसके मुंह से बलात्कार जैसे घिनौने शब्द को मात्र गलती बता देना...उसके पूर्व के और आने वाले दिनों के भी मंतव्य को भलीभंति प्रकट कर रहा है ।
अच्छा हुआ कि इन चुनावों में सबके आडंबर उधड़ रहे हैं ...हमें बता रहे हैं कि बलात्कारियों से किसी भी तरह कम नहीं हैं ऐसे अपराधी भी जिनके लिए जघन्य अपराध मात्र एक गलती है..बस । बलात्कारी तो मानसिक-शारीरिक रूप से चोट पहुंचाते हैं किंतु बलात्कारियों के इन हिमायितियों ने तो आधी आबादी के पूरे वज़ूद को ही मार डाला । कहीं ये स्वयं भी ऐसी ही किसी गलती का नतीजा तो नहीं...क्या पता इसीलिए इस उम्र में भी प्रधानमंत्री पद की भीख मांग रहे हों कि बस एक बार बनवा दो...एक बार बनवा दो पीएम ताकि मैं जो दबी कुंठाएं हैं, उन्हें भी पूरा कर लूं । जुबान ने तो कब का साथ छोड़ दिया...मगर शरीर की अन्य इच्छाएं जस की तस कुत्सित हैं...।
उत्तर प्रदेश में कुल 14 करोड़ मतदाता हैं जिनमें 6 करोड़ 70 लाख महिलाएं हैं, ऐसे में ऐन चुनाव के वक्त मुलायम सिंह अपनी घृणित सोच से किसे खुश करना चाह रहे हैं, यह समझ से परे है। निश्चित ही इससे वोटबैंक में कोई इज़ाफा नहीं होने वाला मगर मदांधता इस कदर हावी है उन पर कि उन्हें उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था का बदहाल दिखाई नहीं दे रहा । उन्होंने तो स्वयं बता दिया कि वो दिमागी रूप से कितने दिवालिया हैं ...उन्होंने जता दिया कि जब हम एक खास समुदाय के हिमायती बनकर उन्हें जेलों से रिहा करवाने की गोटी खेल सकते हैं तो बलात्कारियों को बेकसूर घोषित क्यों नहीं करवा सकते...अब समझ में आ रहा है कि समाजवादी पार्टी इतनी अराजक क्यों है ।आखिर इतनी गिरी हुई मानसिकता वाला व्यक्ति उस पार्टी का मुखिया जो है।
अभी तो चुनावों के दो चरण ही हुये हैं उत्तर प्रदेश में, अधिकांशत: बाकी हैं। बहरहाल, इतना तो पक्का है कि निश्चित ही बलात्कार को महज गलती बताने वाले और अपने बच्चों से भी 'नेता जी' कहलवाने वाले इन महाशय ने इसका ख़मियाजा पार्टी को सौगात में दे दिया है।
- अलकनंदा सिंह
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