आज जब देश में लोकसभा चुनावों को लेकर चुनाव आयोग हर संभव प्रयास कर रहा है
कि मतदान प्रतिशत बढे़ और इसके लिए अनेक सुविधाओं के साथ सुरक्षा के भी हाईटेक बंदोबस्त
हो, तब अत्यधिक शिक्षित
व सुविधा संपन्न वर्ग द्वारा मतदान को लेकर लापरवाह रवैया अपनाया जाना बेहद शर्मनाक
ही कहा जायेगा, वह भी व्यवसायिक स्वार्थों के
लिए। मौजूदा मामला छठे चरण में कल चेन्न्ई
की कुछ आईटी कंपनियों द्वारा अपने कर्मचारियों को मतदान न करने देने से संबंधित
है।
कल जब छठे चरण के लिए देश की कुल 117 सीटों में से तमिलनाडु की 39 सीटों पर मतदान हो
रहा था, तब चेन्नई की पांच आई टी कंपनियां अपने कर्मचारियों को काम पर लगाए हुए
थीं। गौरतलब है कि चुनाव आयोग निष्पक्ष और
पूर्ण मतदान के लिए किसी भी सरकारी व गैर सरकारी कर्मचारी को मतदाता स्थल तक जाने
की छूट के लिए सवेतन छुट्टी देता है ताकि मतदाता के अधिकार को सुनिश्चितत: संपन्न कराया जा सके।
चेन्न्ई के शेलिंगनेल्लूर के एलकॉट आईटी पार्क में स्थित टेक महिंद्रा, एचसीएल, सोडेक्सो, विप्रो और वोल्टाज
ने सवेतन अवकाश होने के बावजूद अपने कर्मचारियों को जान-बूझकर काम पर बुलाया।
इसकी शिकायत कुछ कर्मचारियों ने जब चुनाव आयोग से की तो अधिकारियों ने आईटी पार्क का
दौरा किया और खुले ऑफिसों को न केवल बंद कराया बल्कि कंपनियों के खिलाफ मुकद्दमा भी
दर्ज़ कराया। आयोग की तत्परता से इन कंपनियों के लगभग 2 हजार कर्मचारी मताधिकार
का प्रयोग कर पाये। आयोग के नोडल अधिकारी ने इन कर्मचारियों को वापस भेजने के बाद कंपनी
के मैनेजमेंट को सख्त ताकी़द की कि तत्काल गेट बंद कर दिये जाएं और अगली शिफ्ट भी
ना लगाई जाये।
यह संभवत: पहला मौका है जब मताधिकार के प्रयोग को लेकर आयोग इतना सख्त हुआ कि मतदान
के दिन भी दफ्तर खोलने वाली कंपनियों के खिलाफ पुलिस में भी शिकायत दर्ज़ कराई गई है।
हालांकि कंपनियों के अधिकारी सफाई दे रहे हैं कि कार्यालय तो बंद था, कुछ ज़रूरी कार्य के
लिए कर्मचारियों को थोड़ी देर के लिए ही बुलाया गया था ।
अब ये सफाई किसी के गले नहीं उतरने वाली क्योंकि यह सर्वमान्य धारणा भी
उस हकीकत से ही बनी है कि निजी कंपनियां भले ही कर्मचारियों को मोटे-मोटे एनुअल पैकेजे देती
हों मगर उनके जीवन से इन पैकेजेज की एक-एक पाई वसूल कर लेती
हैं और राष्ट्रीय पर्वों पर छुट्टी को वे अपना वक्त जाया करना ही मानती हैं । इसीलिए
सवेतन छुट्टी कंपनियों को रास नहीं आती ।
बहरहाल, चुनावों को निष्पक्ष्ा और भारी प्रतिशत के साथ कराने का चुनाव आयोग का
जो उद्देश्य था, वह काफी हद तक सफल हो रहा है। समाज के हर वर्ग को प्रोत्साहित भी कर रहा
है कि हम चुनाव आयोग की पूरी व्यवस्था को सराहें। निश्चित ही यदि ऐसा नहीं होता
तो देश के जितने भी राज्यों की तमाम सीटों पर मतदान का जो प्रतिशत उत्तरोत्तर बढ़ता
जा रहा है, वह इतना ना होता। चुनाव आयोग के ये प्रयास काबिले तारीफ हैं और पिछले चुनावों
को देखते हुए अपेक्षाकृत अधिक सफल भी। हमारे संस्थानों को देश का भविष्य रचने वाले
इस कार्य में पूरे मनोयोग से साथ देना चाहिए ।
- अलकनंदा सिंह
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