जब से दामिनी केस हुआ है तब से अचानक ही औरतों के शुभचिंतक उनके हितों को लेकर लाइमलाइट में आने का बहाना ढूढ़ने लगे हैं.. गोया औरत...औरत ना हुई इज़्जत के ठेके का सामान हो गई कि जिसे जब चाहें..जो चाहे.. तब उठाने पर आमादा हो जाये.. और अगर इस प्रक्रिया में साथ ही खबरों की सुर्खियां भी बन जाये तो..यानि हर्र लगे ना फिटकरी रंग चोखा भी आ जाये। इन्हीं सुर्खियों में आने को औरतें अपनी बेचारगी का रोना रोने से नहीं कतरातीं और मीडिया उन्हें बेचारा बनाने से बाज नहीं आता। फिलहाल इसका केंद्रबिंदु कॉमेडी नाइट्स के कपिल शर्मा बने हुये हैं जिन्हें दो संस्थाओं ने महिलाओं का अपमान करने के मामले में नोटिस थमा दिया है।
आजकल ऐसे ऐसे मुद्दों को औरतों के सम्मान से जोड़कर अदालतों तक ले जाया जा रहा है जिन्हें हम रोजमर्रा में बस यूं ही हंसी में उड़ा देते हैं। औरत-मर्द अलग अलग हों या पति- पत्नी, किसी भी रूप में हों, ठिठोलियों में तो ये लगभग सेंटर प्वाइंट ही होते हैं। अब अगर हर मजाक को हम सम्मान और असम्मान से जोड़ने बैठ जायें तो जो मौके आज हमें अपनी ज़िंदगी की बजाय टीवी में से तलाश करने पड़ रहे हैं वे फिर वहां से भी नदारद हो जायेंगे। अपनी रोजमर्रा की जिंदगी से मजाक गायब करने में वैसे ही कितने नियम कानूनों के रोड़े हैं ।
फिर प्रचार पाने को लोग क्या क्या हथकंडे नहीं अपनाते , यह महाराष्ट्र की दोनों सामाजिक संस्थाओं ने बता दिया। महाराष्ट्र के महिला आयोग की पब्लिक रिलेशन आफीसर मनीषा निर्भावने द्वारा दो सामाजिक संस्थाओं- कादियाने वागा और भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन की शिकायत के आधार पर 'कॉमेडी नाइट्स विद कपिल' के खिलाफ एक्शन लिया है कि शो के प्रस्तोता कपिल शर्मा ने महिलाओं की बेइज्जती की है। अपने एक मजाक में कपिल शर्मा ने गर्भवती महिलाओं को भद्दे रूप में पेश किया है। इतना ही नहीं ये दोनों ही संस्थायें चाहती हैं कि कपिल शर्मा आइंदा से शो में प्रस्तुति दे रहीं अन्य महिला कलाकारों को भी नीचा दिखाना बंद करें।
जिसने भी शो को देखा हो वह एकबारगी भी यह नहीं कहेगा कि शो नॉनफैमिलियर है या इसमें फूहड़ता है बल्कि इसके ठीक उलट इसके कंटेंट की वजह से ही ये शो बच्चों से लेकर बूढ़ों तक लोकप्रिय है। रात को देर से आने की वजह भी इसकी ऑडिएंस को कम नहीं कर सकी। दूसरी ओर दोनों ही संस्थायें अपने किसी सामाजिक कार्य के लिए खबरों में नहीं आ सकीं तो उन्होंने ये हथकंडा अपनाया। अब इस एक प्रकरण से महिला हित के नाम पर उनकी झंडाबरादार बन जायेंगीं सो फायदा अलग से ।
हकीकतन, शो में आने वाली सेलेब्रिटी हों या शो की ऑडिएंस सभी जानबूझकर ऐसी बातें करते हैं कि कपिल शर्मा को उनकी खिल्ली उड़ाने का मौका मिलता है और यहीं ये ह्यूमर पैदा होता है।
ज़रा इन गुमनाम सी संस्थाओं से कोई ये पूछे कि सास-बहू टाइप जो नाटक टीवी पर चल रहे हैं, उनमें औरतों को कितने गिरते हुये स्तर तक दिखाया जाता है या जो अन्य कॉमेडी शो जिनमें अश्लील जोक औरतों को लेकर सुनाये जाते हैं अथवा अश्लीलता भरे एक्ट किये जाते हैं...या जो विज्ञापन दिखाये जा रहे हैं लगभग निर्वस्त्र स्त्रीदेह के संग... उनपर तो इन्होंने कोई एक्शन नहीं लिया और अचानक अब इन्हें औरतों के सम्मान की बात सताने लगी।मुझे तो लगता है कि ये संस्थायें भी अपना मजाक ही उड़वाने को ऐसा कर रही हैं।
बहरहाल इन संस्थाओं द्वारा हफ्ते में बमुश्किल दो दिन मिलने वाला ''बुक्का फाड़कर हंसने'' का एक मौका दर्शकों से जरूर छीना जा रहा है क्योंकि स्टैंडअप कॉमेडी में स्क्रिप्ट नहीं होती..ऑन द स्पॉट ह्यूमर ढूढ़ना और बनाना पड़ता है । और फिर वो हंसी ही क्या जो पहले सोचे समझे और फिर होठों पर आये।
रही बात गड्ढों वाली सड़क पर से गर्भवती महिलाओं को होने वाली परेशानियों की तो कौन नहीं जानता कि ये हकीकत है ,कपिल शर्मा तो माध्यम बने इसे व्यंग्य में सुनाने के..बस।
-अलकनंदा सिंह
आजकल ऐसे ऐसे मुद्दों को औरतों के सम्मान से जोड़कर अदालतों तक ले जाया जा रहा है जिन्हें हम रोजमर्रा में बस यूं ही हंसी में उड़ा देते हैं। औरत-मर्द अलग अलग हों या पति- पत्नी, किसी भी रूप में हों, ठिठोलियों में तो ये लगभग सेंटर प्वाइंट ही होते हैं। अब अगर हर मजाक को हम सम्मान और असम्मान से जोड़ने बैठ जायें तो जो मौके आज हमें अपनी ज़िंदगी की बजाय टीवी में से तलाश करने पड़ रहे हैं वे फिर वहां से भी नदारद हो जायेंगे। अपनी रोजमर्रा की जिंदगी से मजाक गायब करने में वैसे ही कितने नियम कानूनों के रोड़े हैं ।
फिर प्रचार पाने को लोग क्या क्या हथकंडे नहीं अपनाते , यह महाराष्ट्र की दोनों सामाजिक संस्थाओं ने बता दिया। महाराष्ट्र के महिला आयोग की पब्लिक रिलेशन आफीसर मनीषा निर्भावने द्वारा दो सामाजिक संस्थाओं- कादियाने वागा और भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन की शिकायत के आधार पर 'कॉमेडी नाइट्स विद कपिल' के खिलाफ एक्शन लिया है कि शो के प्रस्तोता कपिल शर्मा ने महिलाओं की बेइज्जती की है। अपने एक मजाक में कपिल शर्मा ने गर्भवती महिलाओं को भद्दे रूप में पेश किया है। इतना ही नहीं ये दोनों ही संस्थायें चाहती हैं कि कपिल शर्मा आइंदा से शो में प्रस्तुति दे रहीं अन्य महिला कलाकारों को भी नीचा दिखाना बंद करें।
जिसने भी शो को देखा हो वह एकबारगी भी यह नहीं कहेगा कि शो नॉनफैमिलियर है या इसमें फूहड़ता है बल्कि इसके ठीक उलट इसके कंटेंट की वजह से ही ये शो बच्चों से लेकर बूढ़ों तक लोकप्रिय है। रात को देर से आने की वजह भी इसकी ऑडिएंस को कम नहीं कर सकी। दूसरी ओर दोनों ही संस्थायें अपने किसी सामाजिक कार्य के लिए खबरों में नहीं आ सकीं तो उन्होंने ये हथकंडा अपनाया। अब इस एक प्रकरण से महिला हित के नाम पर उनकी झंडाबरादार बन जायेंगीं सो फायदा अलग से ।
हकीकतन, शो में आने वाली सेलेब्रिटी हों या शो की ऑडिएंस सभी जानबूझकर ऐसी बातें करते हैं कि कपिल शर्मा को उनकी खिल्ली उड़ाने का मौका मिलता है और यहीं ये ह्यूमर पैदा होता है।
ज़रा इन गुमनाम सी संस्थाओं से कोई ये पूछे कि सास-बहू टाइप जो नाटक टीवी पर चल रहे हैं, उनमें औरतों को कितने गिरते हुये स्तर तक दिखाया जाता है या जो अन्य कॉमेडी शो जिनमें अश्लील जोक औरतों को लेकर सुनाये जाते हैं अथवा अश्लीलता भरे एक्ट किये जाते हैं...या जो विज्ञापन दिखाये जा रहे हैं लगभग निर्वस्त्र स्त्रीदेह के संग... उनपर तो इन्होंने कोई एक्शन नहीं लिया और अचानक अब इन्हें औरतों के सम्मान की बात सताने लगी।मुझे तो लगता है कि ये संस्थायें भी अपना मजाक ही उड़वाने को ऐसा कर रही हैं।
बहरहाल इन संस्थाओं द्वारा हफ्ते में बमुश्किल दो दिन मिलने वाला ''बुक्का फाड़कर हंसने'' का एक मौका दर्शकों से जरूर छीना जा रहा है क्योंकि स्टैंडअप कॉमेडी में स्क्रिप्ट नहीं होती..ऑन द स्पॉट ह्यूमर ढूढ़ना और बनाना पड़ता है । और फिर वो हंसी ही क्या जो पहले सोचे समझे और फिर होठों पर आये।
रही बात गड्ढों वाली सड़क पर से गर्भवती महिलाओं को होने वाली परेशानियों की तो कौन नहीं जानता कि ये हकीकत है ,कपिल शर्मा तो माध्यम बने इसे व्यंग्य में सुनाने के..बस।
-अलकनंदा सिंह
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