दक्षिण अफ्रीका की म्वुलेनी फाना का कसूर सिर्फ इतना कि वह लेज़़बियन हैं।
उनका यह 'गुनाह' इतना बड़ा है कि उन्हें जीने का अधिकार नहीं। अगर जीना है,
तो रेप का शिकार होना पड़ेगा क्योंकि यह रेप उसे सुधारने के लिए होगा। 'द
इंडिपेंडेंट' अखबार के मुताबिक, बीते दिनों जोहानिसबर्ग में जब फाना अपना
फेवरिट गेम फुटबॉल खेल कर लौट रही थीं तो चार आदमियों ने उन्हें घेर लिया।
इससे पहले कि वह विरोध करतीं, चारों उन्हें उठाकर वापस फुटबॉल ग्राउंड ले
गए और फिर बारी-बारी से उसके साथ बलात्कार किया। लड़की के विरोध पर उसे
बुरी तरह मारा-पीटा गया, जिससे वह अधमरी हो गईं। बाद में बलात्कारियों ने
उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया।
फाना को बस इतना याद है कि वे जाते-जाते कह गए, हमने जो तुम्हारे साथ किया वह बिल्कुल सही था। इससे तुम्हें अहसास होगा कि असल औरत क्या होती है और उसे कैसे रहना चाहिए। आज के बाद तुम जैसी थी, वैसी नहीं रहोगी बल्कि एक औरत की तरह पेश आओगी।
दरअसल फाना समलैंगिक हैं और यह उनकी खुशकिस्मती थी कि वह बच निकलीं क्योंकि दक्षिण अफ्रीका में इससे पहले लेज़बियन के खिलाफ ऐसे जितने भी केस हुए हैं, उनमें से ज्यादातर लेज़बियन लड़कियां जिंदा ही नहीं बच पाईं। इस तरह के रेप को 'करेक्टिव रेप' कहा जा रहा है।
दक्षिण अफ्रीका में इन दिनों 'करेक्टिव रेप' पर बहस छिड़ी हुई है। करेक्टिव रेप में किसी समलैंगिक व्यक्ति का रेप इस मकसद से किया जाता है, जिससे उसे अपने सही लिंग का पता चल सके। बलात्कारी रेप इसलिए करते हैं, जिससे समलैंगिक व्यक्ति सामान्य लोगों की तरह बर्ताव करे। बलात्कारियों का मानना होता है कि रेप के बाद होमोसेक्शुअल (समलैंगिक) व्यक्ति हेट्रोसेक्शुअल (सामान्य) हो जाएगा और फिर इसके बाद से वह अपने विपरीत लिंग के साथ ही रिश्ते रखेगा। करेक्टिव रेप की यह थिअरी आपके गले नहीं उतरेगी क्योंकि समलैंगिकता के कुछ प्रकारों में जेंडर का तो पता ही नहीं चलता और इसलिए ही यह समस्या होती है।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट की मानें तो पूरी दुनिया में दक्षिण अफ्रीका में सबसे ज्यादा रेप होते हैं। आंकड़ों के मुताबिक, इस देश में एक साल में 5 लाख रेप के मामले दर्ज होते हैं। यानी हर 17 सेकेंड में एक रेप होता है। यही वजह है कि दक्षिण अफ्रीका को दुनिया का रेप कैपिटल कहा जाता है। हिंसा विरोधी एनजीओ सीआईईटी के मुताबिक रेप से पीड़ित लोगों में 20 फीसदी पुरुष होते हैं।
मेडिकल रिसर्च काउंसिल ने हाल में एक सर्वे किया था जिससे मालूम चला कि पूर्वी केप प्रांत में करीब एक चौथाई पुरुषों ने कबूल किया कि उन्होंने अपने जीवन में कम से कम एक बार रेप जरूर किया है। साथ ही इन व्यक्तियों ने बताया कि उनके निशाने पर ज्यादातर 20 वर्ष से कम के लड़के-लड़कियां होते हैं। इन पुरुषों ने कहा कि यह सब सिर्फ वह मजे के लिए करते हैं।
इन आंकड़ों को देख कर दक्षिण अफ्रीका में रेप की समस्या के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है। महिला हो या पुरुष, वहां कोई भी सुरक्षित नहीं है। और अब करेक्टिव रेप के कई मामले सामने आने पर दक्षिण अफ्रीका समेत अन्य देशों की भी चिंता बढ़ गई है। अब तक कोई सरकारी आंकड़ा उपलब्ध तो नहीं है लेकिन अगर एक्शनएड रिसर्चर्स नामक संस्थान की मानें तो उनके पास हर हफ्ते 10 करेक्टिव रेप के मामले सामने आ रहे हैं।
-एजेंसी
फाना को बस इतना याद है कि वे जाते-जाते कह गए, हमने जो तुम्हारे साथ किया वह बिल्कुल सही था। इससे तुम्हें अहसास होगा कि असल औरत क्या होती है और उसे कैसे रहना चाहिए। आज के बाद तुम जैसी थी, वैसी नहीं रहोगी बल्कि एक औरत की तरह पेश आओगी।
दरअसल फाना समलैंगिक हैं और यह उनकी खुशकिस्मती थी कि वह बच निकलीं क्योंकि दक्षिण अफ्रीका में इससे पहले लेज़बियन के खिलाफ ऐसे जितने भी केस हुए हैं, उनमें से ज्यादातर लेज़बियन लड़कियां जिंदा ही नहीं बच पाईं। इस तरह के रेप को 'करेक्टिव रेप' कहा जा रहा है।
दक्षिण अफ्रीका में इन दिनों 'करेक्टिव रेप' पर बहस छिड़ी हुई है। करेक्टिव रेप में किसी समलैंगिक व्यक्ति का रेप इस मकसद से किया जाता है, जिससे उसे अपने सही लिंग का पता चल सके। बलात्कारी रेप इसलिए करते हैं, जिससे समलैंगिक व्यक्ति सामान्य लोगों की तरह बर्ताव करे। बलात्कारियों का मानना होता है कि रेप के बाद होमोसेक्शुअल (समलैंगिक) व्यक्ति हेट्रोसेक्शुअल (सामान्य) हो जाएगा और फिर इसके बाद से वह अपने विपरीत लिंग के साथ ही रिश्ते रखेगा। करेक्टिव रेप की यह थिअरी आपके गले नहीं उतरेगी क्योंकि समलैंगिकता के कुछ प्रकारों में जेंडर का तो पता ही नहीं चलता और इसलिए ही यह समस्या होती है।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट की मानें तो पूरी दुनिया में दक्षिण अफ्रीका में सबसे ज्यादा रेप होते हैं। आंकड़ों के मुताबिक, इस देश में एक साल में 5 लाख रेप के मामले दर्ज होते हैं। यानी हर 17 सेकेंड में एक रेप होता है। यही वजह है कि दक्षिण अफ्रीका को दुनिया का रेप कैपिटल कहा जाता है। हिंसा विरोधी एनजीओ सीआईईटी के मुताबिक रेप से पीड़ित लोगों में 20 फीसदी पुरुष होते हैं।
मेडिकल रिसर्च काउंसिल ने हाल में एक सर्वे किया था जिससे मालूम चला कि पूर्वी केप प्रांत में करीब एक चौथाई पुरुषों ने कबूल किया कि उन्होंने अपने जीवन में कम से कम एक बार रेप जरूर किया है। साथ ही इन व्यक्तियों ने बताया कि उनके निशाने पर ज्यादातर 20 वर्ष से कम के लड़के-लड़कियां होते हैं। इन पुरुषों ने कहा कि यह सब सिर्फ वह मजे के लिए करते हैं।
इन आंकड़ों को देख कर दक्षिण अफ्रीका में रेप की समस्या के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है। महिला हो या पुरुष, वहां कोई भी सुरक्षित नहीं है। और अब करेक्टिव रेप के कई मामले सामने आने पर दक्षिण अफ्रीका समेत अन्य देशों की भी चिंता बढ़ गई है। अब तक कोई सरकारी आंकड़ा उपलब्ध तो नहीं है लेकिन अगर एक्शनएड रिसर्चर्स नामक संस्थान की मानें तो उनके पास हर हफ्ते 10 करेक्टिव रेप के मामले सामने आ रहे हैं।
-एजेंसी
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