भारतीय पौराणिक साहित्य में महाकाव्य महाभारत की कथाओं को आम जनमानस सर्वाधिक अपने करीब पाता आया है और संपूर्ण महाभारत भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन से कहे गये गीता के उपदेशों में सिमट आती है अर्थात् कृष्ण और अर्जुन के आसपास घूमती कथाओं और इनमें सिमटे जीवनदर्शन को आमजन ने सर्वाधिक करीब से देखा और इस तरह इसके केंद्रबिंदु बने कृष्ण और अर्जुन।
पौराणिक अध्ययनकर्ताओं के अनुसार गीताप्रेस गोरखपुर ने कुछ वर्षों पहले 16 खंडों में महाभारत का प्रकाशन किया था और इन 16 खंडों में जितनी भी कथायें अर्जुन से संबंधित थीं, वे सभी अगर एक स्थान पर देखनी हों तो अनुजा चंद्रमौलि द्वारा लिखी हुई पुस्तक ''अर्जुन'' को देखना-पढ़ना एक सुखद अनुभव रहेगा।अंग्रेजी माध्यम के पाठकों के लिए पौराणिक महत्व की पुस्तकों को वैज्ञानिक व सामाजिक दृष्टिकोण से सामने लाने में लीडस्टार्ट पब्लिकेशन ने कई लेखकों का व उनकी कृतियों का परिचय समय समय पर हमसे कराया है। इसी श्रंखला में लीडस्टार्ट पब्लिकेशन की प्लेटिनम प्रेस द्वारा प्रकाशित और अनुजा चंद्रमौलि द्वारा लिखी गई पुस्तक -
''Saga of a Pandava Warrior - Prince ARJUNA '' महाभारत के धनुर्धर नायक अर्जुन को जानने का सर्वथा उचित माध्यम जान पड़ता है। मूलत: अंग्रेजी भाषा में लिखी गई यह पुस्तक पाण्डव योद्धा राजकुमार अर्जुन की गाथा को इतना विस्तृत रूप में पढ़कर ये तो कहना ही पड़ेगा कि लेखिका अनुजा ने जिस भाषागत सरलता व गाथाओं के मर्मस्पर्शी शिल्प का प्रयोग किया है उसकी प्रशंसा किये बिना कोई नहीं रह सकता।
पुस्तक की अलग अलग कथाओं में किसी प्रकरण को अर्जुन के द्वारा बताया जाना तो कहीं लेखिका द्वारा सुनाया जाना, कथाओं में विविधिता लाने के उद्देश्य से किया गया है, हालांकि इसे प्रथम दृष्टया पढ़कर भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है कि कथा कौन कह रहा है, पाठक किस को लेकर पात्रों को अपने करीब महसूस करे । सभी कथायें सर्वथा शुभ माने जाने वाले 21 भागों में विभाजित की गई हैं , इसलिए कोई भी कथा नीरसता से दूर रही। पूरी पुस्तक में अर्जुन के जन्म, उनका पालन पोषण, अर्जुन में संबंधों का निर्वाह करने की कुशलता , पारिवारिक मूल्यों के लिए किये जाने वाले त्याग, भाइयों के सुख व एकता के लिए सर्वाधिक प्रिय द्रोपदी से दूरी बनाये रखना और जहां उनके नायकत्व को एक आयाम देता है, वहीं कृष्ण के प्रति उनका प्रेम-विश्वास, क्षत्रियोचित दृढ़ता के साथ साथ तत्कालीन राजनैतिक परिस्थितियों के अनुरूप विवाह करना और उन्हें सम्मानपूर्वक निभाना आदि कुछ विशेषताओं ने अर्जुन को संपूर्ण महाभारत के केंद्र में ला दिया। संभवत: लेखिका को भी ''अर्जुन'' इन्हीं विविधताओं के कारण अपने लेखन के लिए उचित ''नायक'' लगे ।
अनुजा द्वारा लिखी इस पहली कृति ने हमें यह उत्सुकता व भरोसा दोनों दिया है कि हमें हमारे इतिहास के पौराणिक महत्व को पुन: नये सिरे से जानने के अवसर असीमित हैं । अनुजा के ''अर्जुन'' न केवल पढ़ने योग्य हैं बल्कि इसे यदि नई पीढ़ी में पारिवारिक मूल्यों व संस्कारों को आधुनिक समय के अनुसार अपनाने का प्रयास करती कृति कहा जाये तो गलत ना होगा।
Book : Saga of a Pandava Warrior-Prince 'ARJUNA'
Writer: Anuja Chandramouli,
contact at - anujamouli@gmail.com
Publication : Platinum Press, An Imprint of --
LEADSTART PUBLICATION Pvt.Ltd
www.leadstartcorp.com
- अलकनंदा सिंह,
www. Legendews.in
पौराणिक अध्ययनकर्ताओं के अनुसार गीताप्रेस गोरखपुर ने कुछ वर्षों पहले 16 खंडों में महाभारत का प्रकाशन किया था और इन 16 खंडों में जितनी भी कथायें अर्जुन से संबंधित थीं, वे सभी अगर एक स्थान पर देखनी हों तो अनुजा चंद्रमौलि द्वारा लिखी हुई पुस्तक ''अर्जुन'' को देखना-पढ़ना एक सुखद अनुभव रहेगा।अंग्रेजी माध्यम के पाठकों के लिए पौराणिक महत्व की पुस्तकों को वैज्ञानिक व सामाजिक दृष्टिकोण से सामने लाने में लीडस्टार्ट पब्लिकेशन ने कई लेखकों का व उनकी कृतियों का परिचय समय समय पर हमसे कराया है। इसी श्रंखला में लीडस्टार्ट पब्लिकेशन की प्लेटिनम प्रेस द्वारा प्रकाशित और अनुजा चंद्रमौलि द्वारा लिखी गई पुस्तक -
''Saga of a Pandava Warrior - Prince ARJUNA '' महाभारत के धनुर्धर नायक अर्जुन को जानने का सर्वथा उचित माध्यम जान पड़ता है। मूलत: अंग्रेजी भाषा में लिखी गई यह पुस्तक पाण्डव योद्धा राजकुमार अर्जुन की गाथा को इतना विस्तृत रूप में पढ़कर ये तो कहना ही पड़ेगा कि लेखिका अनुजा ने जिस भाषागत सरलता व गाथाओं के मर्मस्पर्शी शिल्प का प्रयोग किया है उसकी प्रशंसा किये बिना कोई नहीं रह सकता।
पुस्तक की अलग अलग कथाओं में किसी प्रकरण को अर्जुन के द्वारा बताया जाना तो कहीं लेखिका द्वारा सुनाया जाना, कथाओं में विविधिता लाने के उद्देश्य से किया गया है, हालांकि इसे प्रथम दृष्टया पढ़कर भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है कि कथा कौन कह रहा है, पाठक किस को लेकर पात्रों को अपने करीब महसूस करे । सभी कथायें सर्वथा शुभ माने जाने वाले 21 भागों में विभाजित की गई हैं , इसलिए कोई भी कथा नीरसता से दूर रही। पूरी पुस्तक में अर्जुन के जन्म, उनका पालन पोषण, अर्जुन में संबंधों का निर्वाह करने की कुशलता , पारिवारिक मूल्यों के लिए किये जाने वाले त्याग, भाइयों के सुख व एकता के लिए सर्वाधिक प्रिय द्रोपदी से दूरी बनाये रखना और जहां उनके नायकत्व को एक आयाम देता है, वहीं कृष्ण के प्रति उनका प्रेम-विश्वास, क्षत्रियोचित दृढ़ता के साथ साथ तत्कालीन राजनैतिक परिस्थितियों के अनुरूप विवाह करना और उन्हें सम्मानपूर्वक निभाना आदि कुछ विशेषताओं ने अर्जुन को संपूर्ण महाभारत के केंद्र में ला दिया। संभवत: लेखिका को भी ''अर्जुन'' इन्हीं विविधताओं के कारण अपने लेखन के लिए उचित ''नायक'' लगे ।
अनुजा द्वारा लिखी इस पहली कृति ने हमें यह उत्सुकता व भरोसा दोनों दिया है कि हमें हमारे इतिहास के पौराणिक महत्व को पुन: नये सिरे से जानने के अवसर असीमित हैं । अनुजा के ''अर्जुन'' न केवल पढ़ने योग्य हैं बल्कि इसे यदि नई पीढ़ी में पारिवारिक मूल्यों व संस्कारों को आधुनिक समय के अनुसार अपनाने का प्रयास करती कृति कहा जाये तो गलत ना होगा।
Book : Saga of a Pandava Warrior-Prince 'ARJUNA'
Writer: Anuja Chandramouli,
contact at - anujamouli@gmail.com
Publication : Platinum Press, An Imprint of --
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- अलकनंदा सिंह,
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