समान नागरिक संहिता पर Law Commission का ये दांव अद्भुत है |
दरअसल आज समान नागरिक संहिता के विवादास्पद मुद्दे पर विचार विमर्श के दायरे का विस्तार करते हुए Law Commission ने सभी राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय राजनीतिक दलों से अपनी राय साझा करने का आह्वान किया है और उसने इस विषय पर संवाद के लिए उनके प्रतिनिधियों को निमंत्रित करने की योजना बनायी है।
इसे केंद्र सरकार की राजनैतिक घेरेबंदी के रूप में देखा जाना चाहिए।
आयोग ने इस विषय पर राजनीतिक दलों को प्रश्नावली भेजी है और उनसे 21 नवंबर तक अपनी राय भेजने को कहा है. सात अक्तूबर को भेजी गयी विधि आयोग की इस प्रश्नावली में लोगों से, क्या तीन बार तलाक कहने की प्रथा खत्म की जानी चाहिए, क्या समान नागरिक संहिता ऐच्छिक होनी चाहिए जैसे संवदेनशील मुद्दे पर शायद पहली बार उनकी राय मांगी गयी है.
गौरतलब है कि चुनाव आयोग में सात दल राष्ट्रीय स्तर पर और 49 दल क्षेत्रीय स्तर पर पंजीकृत है. राष्ट्रीय राजनीतिक दलों में भाजपा, कांग्रेस, बसपा, राकांपा, भाकपा, माकपा और तृणमूल कांग्रेस हैं.
विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) डॉ बी एस चौहान ने सभी राजनीतिक दलों को लिखे पत्र में कहा है, ‘आयोग कई दौर की चर्चा के बाद यह समझने के लिए एक प्रश्नावली तैयार की है कि आम लोग समान नागरिक संहिता के बारे में क्या महसूस करते हैं?’
उन्होंने लिखा, ‘चूंकि राजनीतिक दल किसी भी सफल लोकतंत्र के मेरुदंड हैं अतएव इस प्रश्नावली के संदर्भ में सिर्फ उनकी राय ही नहीं बल्कि इससे संबंधित उनके विचार भी बहुत महत्वपूर्ण है. ”
इस मुद्दे पर अधिकाधिक विचार-विमर्श के प्रयास के तहत चौहान ने राजनीतिक दलों से इस विषय पर अपने विचार बताने को कहा है.
आयोग ने कहा है कि वह इस विवादास्पद विषय पर संवाद के लिए बाद में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित करेगा.
उसके अध्यक्ष ने कहा, ‘आपका सहयोग आयोग को समान नागरिक संहिता पर त्रुटिहीन रिपोर्ट लाने में सहयोग पहुंचाएगा.’ कुछ दिन पहले चौहान ने मुख्यमंत्रियों से अल्पसंख्यक संगठनों, राजनीतिक दलों एवं सरकारी विभागों को उसकी प्रश्नावली पर जवाब देने के वास्ते उत्साहित करने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने की अपील की थी.
सभी मुख्यमंत्रियों को भेजे पत्र में चौहान ने उनसे अपने राज्यों में संबंधित पक्षों जैसे अल्पसंख्यक संगठनों, राजनीतिक दलों, गैर सरकारी संगठनों, सिविल सोसायटियों और यहां तक कि सरकारी संगठनों एवं एजेंसियों को आयोग के साथ अपना विचार साझा करने एवं संवाद करने के लिए प्रोत्साहित करने का आग्रह किया था.
परामर्श पत्र के साथ जारी अपील में आयोग ने कहा था कि इस प्रयास का उद्देश्य संभावित समूहों के विरुद्ध भेदभाव का समाधान करना और विभिन्न सांस्कृतिक प्रथाओं में संगति बनाना है. उसने लोगों को आश्वासन दिया है कि किसी भी वर्ग, समूह या समुदाय की परपंराएं परिवार विधि सुधार के अंदाज पर वर्चस्वशील नहीं होंगी.
- अलकनंदा सिंह
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