नई दिल्ली।
हिन्दी के प्रख्यात कवि केदारनाथ सिंह को 49 वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा। भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक लीलाधर मंडलोई ने शुक्रवार को यहां यह घोषणा की। मंडलोई ने बताया कि सीताकांत महापात्र की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने शुक्रवार की अपनी बैठक में सिंह को इस पुरस्कार के लिए सर्वथा योग्य पाया। सिंह को पुरस्कार में 11 लाख रुपये, प्रशस्ति पत्र वाग्देवी की प्रतिमा, प्रतीक चिह्न, शाल आदि भेंट किये जायेंगें।
केदारनाथ सिंह का जन्म 1934 ई में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के चकिया गाँव में हुआ था। बनारस विश्वविद्यालय से 1956 ई में हिन्दी में एम ए और 1964 में पी-एच डी की उपाधि प्राप्त करने वाले केदारनाथ सिंह हिन्दी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं।
केदारनाथ सिंह जवाहर लाल विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष रहे। केदारनाथ सिंह समकालीन हिन्दी कविता के प्रमुख कवि हैं। केदारनाथ सिंह अज्ञेय द्वारा सम्पादित तीसरा सप्तक के कवि हैं।
कविता संग्रह
अभी बिल्कुल अभी
जमीन पक रही है
यहाँ से देखो
बाघ
अकाल में सारस
उत्तर कबीर और अन्य कविताएँ
तालस्ताय और साइकिल
आलोचना
कल्पना और छायावाद
आधुनिक हिंदी कविता में बिंबविधान
मेरे समय के शब्द
मेरे साक्षात्कार
संपादन
ताना-बाना (आधुनिक भारतीय कविता से एक चयन)
समकालीन रूसी कविताएँ
कविता दशक
साखी (अनियतकालिक पत्रिका)
शब्द (अनियतकालिक पत्रिका)
- एजेंसी
हिन्दी के प्रख्यात कवि केदारनाथ सिंह को 49 वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा। भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक लीलाधर मंडलोई ने शुक्रवार को यहां यह घोषणा की। मंडलोई ने बताया कि सीताकांत महापात्र की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने शुक्रवार की अपनी बैठक में सिंह को इस पुरस्कार के लिए सर्वथा योग्य पाया। सिंह को पुरस्कार में 11 लाख रुपये, प्रशस्ति पत्र वाग्देवी की प्रतिमा, प्रतीक चिह्न, शाल आदि भेंट किये जायेंगें।
केदारनाथ सिंह का जन्म 1934 ई में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के चकिया गाँव में हुआ था। बनारस विश्वविद्यालय से 1956 ई में हिन्दी में एम ए और 1964 में पी-एच डी की उपाधि प्राप्त करने वाले केदारनाथ सिंह हिन्दी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं।
केदारनाथ सिंह जवाहर लाल विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष रहे। केदारनाथ सिंह समकालीन हिन्दी कविता के प्रमुख कवि हैं। केदारनाथ सिंह अज्ञेय द्वारा सम्पादित तीसरा सप्तक के कवि हैं।
कविता संग्रह
अभी बिल्कुल अभी
जमीन पक रही है
यहाँ से देखो
बाघ
अकाल में सारस
उत्तर कबीर और अन्य कविताएँ
तालस्ताय और साइकिल
आलोचना
कल्पना और छायावाद
आधुनिक हिंदी कविता में बिंबविधान
मेरे समय के शब्द
मेरे साक्षात्कार
संपादन
ताना-बाना (आधुनिक भारतीय कविता से एक चयन)
समकालीन रूसी कविताएँ
कविता दशक
साखी (अनियतकालिक पत्रिका)
शब्द (अनियतकालिक पत्रिका)
- एजेंसी
"मोदी को फिर लाना है "
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घर - घर जाके हमें -आपको
सबको यह समझाना है
मोदी को फिर से लाना है
भारत भूमि की माटी का
हमको कर्ज चुकाना है
मोदी को फिर से लाना है |
भारत अपना ,पांच साल मे
पाहुचा उच्च शिखर पर
चीन - पाक जैसे दुश्मन
दुबक गये दरबे मे डर कर
हमारे जवानों का दम- खम
पूरे विश्व ने जाना है
मोदी को फिर से लाना है |
चारो ओर रखवाली हो
घर-घर मे खुशहाली हो
बेरोजगारी दूर जा भागे
खेतों में हरियाली हो
वैज्ञानिकों ने भी अपना सीना ताना है
मोदी को फिर से लाना है |
चोर कौन है, भेद यह खोले
कवियों की अब कविता बोले
सच का पहले साथी होले
चोर के संग न डोले
सामी नहीं अब गवाना है
मोदी को फिर से लाना है ||