वारशॉ। पोलैण्ड के प्रसिद्ध भारतविद् यानुस क्रीज़ीज़ोव्स्की की कोशिशों से अब 'रामायण' का अनुवाद पोल भाषा में भी उपलब्ध है। पोलैण्ड के प्रसिद्ध भारतविद् यानुस क्रीज़ीज़ोव्स्की की कोशिशों से अब
'रामायण' का अनुवाद पोल भाषा में भी उपलब्ध है। हालाँकि रामायण के कुछ
अंशों का अनुवाद 1816 में ही पोल भाषा में हो गया था और बीसवीं शताब्दी तक
लगातार रामायण का अनुवाद करने के अनेक प्रयत्न किए जाते रहे।
यानुस क्रीज़ीज़ोव्स्की ने दर्जनों किताबों में प्रकाशित उन सभी अनुवादों को इकट्ठा करके उन्हें एक निश्चित क्रम दे दिया ताकि पोलैण्ड के आम पाठक पूरी रामायण पढ़ सकें। यानुस क्रीज़ीज़ोव्स्की ने बताया --मैं इस महाकाव्य को ऐसा रूप देना चाहता था कि आम पाठक भी उसे सहजता से समझ सके। ख़ासकर बच्चे भी उसे आसानी से पढ़ सकें और महान भारतीय मिथक परम्परा को जान सकें।
यानुस क्रीज़ीज़ोव्स्की भारत को इतना प्यार करते हैं कि बड़ी आसानी से हम कह सकते हैं कि वे भारत के पीछे पाग़ल हैं। 15 साल पहले जब उन्होंने दर्शनशास्त्र में एम०ए० किया था तो उनका यह पाग़लपन शुरू हुआ था।
इण्डो-एशियन न्यूज सर्विस से बात करते हुए यानुस क्रीज़ीज़ोव्स्की ने कहा -- रामायण और महाभारत -- ये दो ऐसे अनूठे महाकाव्य हैं, जिनकी तुलना दुनिया की किसी भी रचना से नहीं की जा सकती है। यहाँ तक कि प्रसिद्ध यूनानी महाकाव्य भी इनके सामने फीके पड़ जाते हैं।
भारतीय राजदूत के अनुसार यानुस क्रीज़ीज़ोव्स्की ने पोलैण्डवासियों के मन में भारत के प्रति प्यार और दिलचस्पी जगाने के लिए बहुत कुछ किया है। इसलिए उनसे मिलकर उनके प्रति मन में आदर पैदा होता है। हमें गर्व है कि हमारे साथ पोलैण्ड में इतना बेशक़ीमती रत्न सहयोग कर रहा है।
- एजेंसी
यानुस क्रीज़ीज़ोव्स्की ने दर्जनों किताबों में प्रकाशित उन सभी अनुवादों को इकट्ठा करके उन्हें एक निश्चित क्रम दे दिया ताकि पोलैण्ड के आम पाठक पूरी रामायण पढ़ सकें। यानुस क्रीज़ीज़ोव्स्की ने बताया --मैं इस महाकाव्य को ऐसा रूप देना चाहता था कि आम पाठक भी उसे सहजता से समझ सके। ख़ासकर बच्चे भी उसे आसानी से पढ़ सकें और महान भारतीय मिथक परम्परा को जान सकें।
यानुस क्रीज़ीज़ोव्स्की भारत को इतना प्यार करते हैं कि बड़ी आसानी से हम कह सकते हैं कि वे भारत के पीछे पाग़ल हैं। 15 साल पहले जब उन्होंने दर्शनशास्त्र में एम०ए० किया था तो उनका यह पाग़लपन शुरू हुआ था।
इण्डो-एशियन न्यूज सर्विस से बात करते हुए यानुस क्रीज़ीज़ोव्स्की ने कहा -- रामायण और महाभारत -- ये दो ऐसे अनूठे महाकाव्य हैं, जिनकी तुलना दुनिया की किसी भी रचना से नहीं की जा सकती है। यहाँ तक कि प्रसिद्ध यूनानी महाकाव्य भी इनके सामने फीके पड़ जाते हैं।
भारतीय राजदूत के अनुसार यानुस क्रीज़ीज़ोव्स्की ने पोलैण्डवासियों के मन में भारत के प्रति प्यार और दिलचस्पी जगाने के लिए बहुत कुछ किया है। इसलिए उनसे मिलकर उनके प्रति मन में आदर पैदा होता है। हमें गर्व है कि हमारे साथ पोलैण्ड में इतना बेशक़ीमती रत्न सहयोग कर रहा है।
- एजेंसी
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