इस बार जून में होने वाली Champions Trophy में वो होगा जो पहले कभी नहीं
हुआ। जी हां, इस बार चैंपियंस ट्रॉफी में क्रिकेट के फैन्स को एक ऐसा नियम
देखने को मिलेगा जो उन्होंने इस टूर्नामेंट में पहले कभी नहीं देखा। दुनिया में क्रिकेट को चलाने वाले आईसीसी ने चैंपियंस ट्रॉफी को लेकर
नियमों में बदलाव किया है।
इस साल ये टूर्नामेंट एक बार फिर से इंग्लैंड में खेला जाएगा। आईसीसी ने आगामी टूर्नामेंट्स में कई प्रमुख बदलाव किए जिनमें प्रमुख हैं -
1. चैंपियंस ट्रॉफी के सेमीफाइनल और फाइनल में टाई की स्थिति में सुपर ओवर होगा। आईसीसी की दो दिनी बैठक में कई बदलावों को मंजूरी मिली। इसके तहत इस वर्ष होने वाली चैंपियंस ट्रॉफी में पहली बार टाई की स्थिति में सेमीफाइनल और फाइनल में सुपर ओवर होगा।
2. अभी तक आईसीसी टूर्नामेंट्स में सुपर ओवर सिर्फ फाइनल मैच के लिए रहता था। इसके अलावा अन्य नॉकआउट मैचों में इसका उपयोग नहीं होता था।
3. अभी तक क्वार्टर फाइनल या सेमीफाइनल मैच यदि टाई हुआ तो ग्रुप में उपरी क्रम पर रहने वाली टीम को विजेता घोषित किया जाता था।
1999 विश्व कप में ऑस्ट्रेलिया और द. अफ्रीका के बीच एजबेस्टन में टाई हुए मैच के बाद इसी आधार पर ऑस्ट्रेलिया फाइनल में पहुंची थी। ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि ऑस्ट्रेलिया सुपर सिक्स चरण में द. अफ्रीका से आगे रहा था।
सुपर ओवर का आमतौर पर टी20 मैचों में टाई की स्थिति में उपयोग किया जाता रहा है लेकिन इसका कभी वन-डे में प्रयोग नहीं हुआ है।
आईसीसी ने इस बात की भी घोषणा की कि 2017 महिला विश्व कप के सेमीफाइनल और फाइनल में भी जरूरत पड़ने पर सुपर ओवर का प्रयोग होगा।
आईसीसी का ये अहम फैसला इस बार की चैंपियंस ट्रॉफी को रोमांचक बना देगा। फिलहाल चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब भारतीय टीम के पास है जिसे टीम इंडिया ने 2013 में अपने नाम किया था। इस टूर्नामेंट के फाइनल में भारतीय टीम ने मेजबान इंग्लैंड को रोमांचक मुकाबले में 5 रन से शिकस्त देकर ट्रॉफी अपने नाम की थी।
डीआरएस को लेकर आईसीसी का महत्वपूर्ण निर्णय
आईसीसी ने क्रिकेट के तीनों प्रारूपों टेस्ट, वनडे और ट्वंटी 20 में अब एकसमान अंपायर निर्णय समीक्षा प्रणाली (डीआरएस) के उपयोग को अपनी हरी झंडी दे दी है जो अक्टूबर माह से प्रभावी होगा।
पहली बार वेस्टइंडीज में 2018 में होने वाले आईसीसी ट्वंटी 20 महिला विश्वकप टूर्नामेंट में भी डीआरएस का उपयोग किया जाएगा जहां प्रत्येक टीम को एक समीक्षा का मौका दिया जाएगा। द्विपक्षीय सीरीज में भी आईसीसी ही डीआरएस का खर्चा वहन करेगी जिससे सदस्य बोर्डों पर वित्तीय बोझ कम होगा।
आईसीसी ने साफ किया है कि जो भी संस्थान डीआरएस तकनीक मुहैया करायेंगे उन्हें पहले मैसाचुसेट्स तकनीक संस्थान(एमआईटी) से पहले इसकी जांच और सहमति हासिल करना भी अनिवार्य होगा और उसके बाद ही मैचों में इसका उपयोग होगा। गत वर्ष डीआरएस में उपयोग की जाने वाली तकनीक हॉकआई, हॉट स्पाट, अल्ट्रा एज, रियल टाइम स्निको की भी एमआईटी में जांच कराई गयी थी।
डीआरएस का उपयोग अभी बड़े पैमाने पर नहीं होने की वजह इस तकनीक का खर्चीला होना भी है जिसके मद्देनजर अब आईसीसी ने इसका वित्तीय बोझ उठाने का फैसला भी किया है।
आईसीसी के मुख्य कार्यकारी डेविड रिचर्डसन ने भी माना कि वैश्विक संस्था के लिये डीआरएस पर अधिक नियंत्रण जरूरी है।
द्विपक्षीय सीरीज में आमतौर पर घरेलू प्रसारणकर्ता ही डीआरएस के उपयोग के लिये खर्चा वहन करता है, और कुछ मामलों में घरेलू क्रिकेट बोर्ड भी इस खर्च में अपना कुछ योगदान देता है या पूरा खर्चा वहन करता है।
वैश्विक संस्था का यह निर्णय मुख्य रूप से डीआरएस के उपयोग को बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया है। आईसीसी की कार्यकारी समिति ने डीआरएस तकनीक को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उपयोग करने के निर्णय पर सहमति जताई है।
मई में आईसीसी की क्रिकेट समिति इसके पूर्ण रूप से इस्तेमाल पर चर्चा करेगी और जून 2017 में इसपर अंतिम निर्णय लिया जाएगा जिसके बाद इसी वर्ष अक्टूबर में इसे लागू किया जाएगा।”
सीईसी ने डीआरएस के उपयोग को लेकर एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया है जिसके अनुसार पहली बार ट्वंटी 20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में भी पहली बार इस प्रणाली का उपयोग किया जाएगा।
वर्ष 2018 में वेस्टइंडीज में होने वाले महिला ट्वंटी 20 विश्वकप में भी पहली बार इस तकनीक का उपयोग होगा। यह इस तकनीक के साथ आईसीसी का इस प्रारूप में पहला टूर्नामेंट होगा। वहीं कई सदस्य देशों के बोर्डों ने भी ट्वंटी 20 अंतरराष्ट्रीय द्विपक्षीय सीरीज में डीआरएस के उपयोग को लेकर आईसीसी से अपील की है।
गत माह इंग्लैंड के खिलाफ भारत में तीन ट्वंटी 20 मैचों की सीरीज में भी इस मुद्दे पर चर्चा की गयी थी। नागपुर में जो रूट के पगबाधा निर्णय को लेकर दूसरे मैच के बाद इंग्लैंड ने आईसीसी मैच रेफरी से इस बारे में लिखित शिकायत की थी। इंग्लैंड के कप्तान इयोन मोर्गन ने इस दौरान डीआरएस नहीं होने का हवाला दिया था।
सीईसी ने सदस्य बोर्डों के साथ ट्वंटी 20 द्विपक्षीय सीरीज में डीआरएस के उपयोग को लेकर भी बैठक में चर्चा की। हालांकि अभी तक विश्व ट्वंटी 20 के बाद इस प्रारूप में डीआरएस के उपयोग को लेकर कोई विस्तृत चर्चा नहीं हुई है। इस बारे में मई में ही अंतिम निर्णय होने की उम्मीद है। आईसीसी ने साथ ही बताया कि जून में चैंपियंस ट्राफी में भी डीआरएस का उपयोग किया जाएगा।
- अलकनंदा सिंह
इस साल ये टूर्नामेंट एक बार फिर से इंग्लैंड में खेला जाएगा। आईसीसी ने आगामी टूर्नामेंट्स में कई प्रमुख बदलाव किए जिनमें प्रमुख हैं -
1. चैंपियंस ट्रॉफी के सेमीफाइनल और फाइनल में टाई की स्थिति में सुपर ओवर होगा। आईसीसी की दो दिनी बैठक में कई बदलावों को मंजूरी मिली। इसके तहत इस वर्ष होने वाली चैंपियंस ट्रॉफी में पहली बार टाई की स्थिति में सेमीफाइनल और फाइनल में सुपर ओवर होगा।
2. अभी तक आईसीसी टूर्नामेंट्स में सुपर ओवर सिर्फ फाइनल मैच के लिए रहता था। इसके अलावा अन्य नॉकआउट मैचों में इसका उपयोग नहीं होता था।
3. अभी तक क्वार्टर फाइनल या सेमीफाइनल मैच यदि टाई हुआ तो ग्रुप में उपरी क्रम पर रहने वाली टीम को विजेता घोषित किया जाता था।
1999 विश्व कप में ऑस्ट्रेलिया और द. अफ्रीका के बीच एजबेस्टन में टाई हुए मैच के बाद इसी आधार पर ऑस्ट्रेलिया फाइनल में पहुंची थी। ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि ऑस्ट्रेलिया सुपर सिक्स चरण में द. अफ्रीका से आगे रहा था।
सुपर ओवर का आमतौर पर टी20 मैचों में टाई की स्थिति में उपयोग किया जाता रहा है लेकिन इसका कभी वन-डे में प्रयोग नहीं हुआ है।
आईसीसी ने इस बात की भी घोषणा की कि 2017 महिला विश्व कप के सेमीफाइनल और फाइनल में भी जरूरत पड़ने पर सुपर ओवर का प्रयोग होगा।
आईसीसी का ये अहम फैसला इस बार की चैंपियंस ट्रॉफी को रोमांचक बना देगा। फिलहाल चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब भारतीय टीम के पास है जिसे टीम इंडिया ने 2013 में अपने नाम किया था। इस टूर्नामेंट के फाइनल में भारतीय टीम ने मेजबान इंग्लैंड को रोमांचक मुकाबले में 5 रन से शिकस्त देकर ट्रॉफी अपने नाम की थी।
डीआरएस को लेकर आईसीसी का महत्वपूर्ण निर्णय
आईसीसी ने क्रिकेट के तीनों प्रारूपों टेस्ट, वनडे और ट्वंटी 20 में अब एकसमान अंपायर निर्णय समीक्षा प्रणाली (डीआरएस) के उपयोग को अपनी हरी झंडी दे दी है जो अक्टूबर माह से प्रभावी होगा।
पहली बार वेस्टइंडीज में 2018 में होने वाले आईसीसी ट्वंटी 20 महिला विश्वकप टूर्नामेंट में भी डीआरएस का उपयोग किया जाएगा जहां प्रत्येक टीम को एक समीक्षा का मौका दिया जाएगा। द्विपक्षीय सीरीज में भी आईसीसी ही डीआरएस का खर्चा वहन करेगी जिससे सदस्य बोर्डों पर वित्तीय बोझ कम होगा।
आईसीसी ने साफ किया है कि जो भी संस्थान डीआरएस तकनीक मुहैया करायेंगे उन्हें पहले मैसाचुसेट्स तकनीक संस्थान(एमआईटी) से पहले इसकी जांच और सहमति हासिल करना भी अनिवार्य होगा और उसके बाद ही मैचों में इसका उपयोग होगा। गत वर्ष डीआरएस में उपयोग की जाने वाली तकनीक हॉकआई, हॉट स्पाट, अल्ट्रा एज, रियल टाइम स्निको की भी एमआईटी में जांच कराई गयी थी।
डीआरएस का उपयोग अभी बड़े पैमाने पर नहीं होने की वजह इस तकनीक का खर्चीला होना भी है जिसके मद्देनजर अब आईसीसी ने इसका वित्तीय बोझ उठाने का फैसला भी किया है।
आईसीसी के मुख्य कार्यकारी डेविड रिचर्डसन ने भी माना कि वैश्विक संस्था के लिये डीआरएस पर अधिक नियंत्रण जरूरी है।
द्विपक्षीय सीरीज में आमतौर पर घरेलू प्रसारणकर्ता ही डीआरएस के उपयोग के लिये खर्चा वहन करता है, और कुछ मामलों में घरेलू क्रिकेट बोर्ड भी इस खर्च में अपना कुछ योगदान देता है या पूरा खर्चा वहन करता है।
वैश्विक संस्था का यह निर्णय मुख्य रूप से डीआरएस के उपयोग को बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया है। आईसीसी की कार्यकारी समिति ने डीआरएस तकनीक को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उपयोग करने के निर्णय पर सहमति जताई है।
मई में आईसीसी की क्रिकेट समिति इसके पूर्ण रूप से इस्तेमाल पर चर्चा करेगी और जून 2017 में इसपर अंतिम निर्णय लिया जाएगा जिसके बाद इसी वर्ष अक्टूबर में इसे लागू किया जाएगा।”
सीईसी ने डीआरएस के उपयोग को लेकर एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया है जिसके अनुसार पहली बार ट्वंटी 20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में भी पहली बार इस प्रणाली का उपयोग किया जाएगा।
वर्ष 2018 में वेस्टइंडीज में होने वाले महिला ट्वंटी 20 विश्वकप में भी पहली बार इस तकनीक का उपयोग होगा। यह इस तकनीक के साथ आईसीसी का इस प्रारूप में पहला टूर्नामेंट होगा। वहीं कई सदस्य देशों के बोर्डों ने भी ट्वंटी 20 अंतरराष्ट्रीय द्विपक्षीय सीरीज में डीआरएस के उपयोग को लेकर आईसीसी से अपील की है।
गत माह इंग्लैंड के खिलाफ भारत में तीन ट्वंटी 20 मैचों की सीरीज में भी इस मुद्दे पर चर्चा की गयी थी। नागपुर में जो रूट के पगबाधा निर्णय को लेकर दूसरे मैच के बाद इंग्लैंड ने आईसीसी मैच रेफरी से इस बारे में लिखित शिकायत की थी। इंग्लैंड के कप्तान इयोन मोर्गन ने इस दौरान डीआरएस नहीं होने का हवाला दिया था।
सीईसी ने सदस्य बोर्डों के साथ ट्वंटी 20 द्विपक्षीय सीरीज में डीआरएस के उपयोग को लेकर भी बैठक में चर्चा की। हालांकि अभी तक विश्व ट्वंटी 20 के बाद इस प्रारूप में डीआरएस के उपयोग को लेकर कोई विस्तृत चर्चा नहीं हुई है। इस बारे में मई में ही अंतिम निर्णय होने की उम्मीद है। आईसीसी ने साथ ही बताया कि जून में चैंपियंस ट्राफी में भी डीआरएस का उपयोग किया जाएगा।
- अलकनंदा सिंह
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