शनिवार, 2 सितंबर 2023

जान‍िए दुन‍िया की लाइब्रेरि‍यों के बारे में...गोरखपुर में भी बन रही है देश की सबसे बड़ी लाइब्रेरी


 प्राचीन समय में भारत से काफी दूर एक देश हुआ करता था असीरिया। करीब 5000 साल पहले वहां का अंतिम राजा था अशुरबनीपाल, जो दुनिया का सबसे ताकतवर राजा माना जाता था।

कहते हैं कि उसका साम्राज्य बेबीलोन, असीरिया, पर्सिया और इजिप्ट तक फैला हुआ था। वह जानता था कि अगर दुनिया पर राज करना है तो किताबों और कला को जानना जरूरी है।
उसने दुनिया के तमाम हिस्सों से किताबें मंगवाईं और एक बड़ी लाइब्रेरी बनवाई, जहां इन किताबों को सहेजा गया। इस लाइब्रेरी में प्राचीन मेसोपोटामिया की सभ्यता और इतिहास के अलावा रसायन विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, गणित और अंतरिक्ष विज्ञान से जुड़ीं किताबें थीं।
दुनिया जीतने का सपना संजोने वाले अलेक्जेंडर द ग्रेट ने भी नील नदी के किनारे अलेक्जेंड्रिया में काफी बड़ी लाइब्रेरी बनवाई थी।
भारत पर 200 सालों से ज्यादा समय तक राज करने वाले अंग्रेज भी लाइब्रेरी की अहमियत जानते थे। तभी तो 1835 में ब्रिटिश संसद में भारत में अंग्रेजी शिक्षा की वकालत करने वाले लॉर्ड मैकाले ने भारत के ज्ञान-विज्ञान की खिल्ली उड़ाते हुए कहा था कि एक अच्छे यूरोपीय पुस्तकालय की अलमारी में भारत और अरब का संपूर्ण देशी साहित्य समा सकता है।
जब भी कहीं जाते, 60 ऊंटों पर लादकर किताबें लेकर जाते
10वीं सदी की बात है, जब ईरान में साहिब इब्न अब्बाद नाम के एक महान लेखक और साहित्य-संरक्षक हुए। कहते हैं कि उन्होंने 500 कवि, लेखकों और दार्शनिकों को पैसों से मदद की और नवाब मुअदुद्दौला के दरबार को अरब की दुनिया में ज्ञान और दर्शन का बड़ा केंद्र बना दिया।
इनको किताबों से इस कदर मोहब्बत थी कि उन्होंने अपनी एक पर्सनल लाइब्रेरी बनाई, जिसमें करीब दो लाख किताबें थीं। जब भी ये कहीं जाते तो अपने साथ 60 ऊंटों का काफिला लेकर जाते, जिनकी पीठ पर किताबों का गट्ठर होता। ऊंटों का यह काफिला एक तरह से मोबाइल लाइब्रेरी थी।
किताबें इंसान की प्रगति और सभ्यता की गवाह रही हैं। इंसान ने जब से लिखना और कागज बनाना सीखा, तब से किताबें पढ़ने और कलेक्शन का काम होता आ रहा है।
‘द ग्रेट लाइब्रेरी ऑफ अलेक्जेंड्रिया’ इन्हीं लाइब्रेरियों में से एक थी। ऐसे ही हजारों साल पहले नालंदा विश्वविद्यालय की विशाल लाइब्रेरी में कई देशों के छात्र पढ़ा करते थे। आधुनिक दौर में भारत की सबसे बड़ी लाइब्रेरी कोलकाता की रही जिसके कई बार नाम भी बदले गए। 
कुछ समय से देश में लाइब्रेरी को लेकर धार्मिक रुझान भी बढ़ा है। 
यूपी में बन रही देश की सबसे बड़ी आध्यात्मिक लाइब्रेरी
यूपी के गोरखपुर में देश की सबसे बड़ी आध्यात्मिक लाइब्रेरी को मंजूरी मिली है। चंपा देवी पार्क के 25 एकड़ एरिया में गोरखपुर विकास प्राधिकरण इस लाइब्रेरी को बनाएगा। इसके अंदर भारतीय सभ्यता और संस्कृति का स्टडी मैटेरियल मौजूद होगा। 500 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले इस पुस्तकालय में पेपरबुक और डिजिटल बुक दोनों रूप में अध्ययन किया जा सकेगा। 
अमेरिकी लाइब्रेरी में 470 भाषाओं में हैं 17 करोड़ किताबें
अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी में 200 साल पुरानी ‘लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस’ में 17 करोड़ से अधिक किताबें हैं। इस लाइब्रेरी को अमेरिका के संघीय ढांचे की सबसे पुरानी सांस्कृतिक विरासत माना जाता है। इसकी वॉशिंगटन में तीन और वर्जीनिया में एक इमारत है, जिनमें दुनिया की 470 भाषाओं में किताबें हैं।
1812 में अमेरिका और ब्रिटेन के बीच हुए युद्ध में अंग्रेजों ने इस लाइब्रेरी को आग के हवाले कर दिया था। इसमें किताबों के ज्यादातर ओरिजिनल कलेक्शन खाक हो गए। 1815 में इसे दोबारा शुरू करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति थॉमस जेफरसन के निजी कलेक्शन से 6,487 किताबें खरीदी गईं।
दूसरी सबसे बड़ी लाइब्रेरी लंदन में, यहां हर साल आतीं 30 लाख किताबें
लंदन में मौजूद ब्रिटिश लाइब्रेरी कलेक्शन के लिहाज से दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी लाइब्रेरी है। ब्रिटिश लाइब्रेरी में 17 करोड़ से 20 करोड़ किताबें हैं। कहा यह भी जाता है कि इस लाइब्रेरी के कलेक्शन में हर साल 30 लाख नई किताबें जुड़ती हैं।
कहा जाता है कि आयरलैंड और यूके में प्रकाशित प्रत्येक पुस्तक की प्रतियां विभिन्न भाषाओं डिजिटल और हार्ड कॉपी में इस लाइब्रेरी में मौजूद हैं। यह लाइब्रेरी 1 जुलाई 1973 को स्थापित की गई थी। इससे पूर्व यह लाइब्रेरी ब्रिटिश म्यूजियम का हिस्सा हुआ करती थी।
चीन के पास है दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी लाइब्रेरी
शंघाई लाइब्रेरी चीन की सबसे बड़ी पब्लिक लाइब्रेरी है। यह शंघाई लाइब्रेरी सिस्टम का हिस्सा है, जिसमें करीब 5.6 करोड़ किताबें हैं। इसका न सिर्फ दुनिया की टॉप 3 लाइब्रेरी में शुमार है बल्कि दूसरी सबसे ऊंची लाइब्रेरी भी है। इसकी इमारत 24 मंजिला ऊंची है। शंघाई लाइब्रेरी 1847 के आसपास बनाई गई थी।
कनाडा की लाइब्रेरी में सेव है एक पेटाबाइट डिजिटल इन्फॉर्मेशन
‘लाइब्रेरी एंड आर्काइव्स कनाडा’ को LAC के नाम से भी लोग जानते हैं। इसमें 5.4 करोड़ से ज्यादा किताबें हैं। इस पर देश की डॉक्यूमेंट्री हेरिटेज को संरक्षित रखने की जिम्मेदारी भी है। LAC को साल 2004 में बनाया गया था। इस लाइब्रेरी में एक पेटाबाइट की डिजिटल इन्फॉर्मेशन भी सुरक्षित है।
‘श्राइन ऑफ द बुक लाइब्रेरी’ का दो तिहाई हिस्सा धरती के नीचे
यह पश्चिमी जेरूसलम में इस्राइल म्‍यूजियम का एक भाग है। यहां कई पुरातन पांडुलिपियां रखी गई हैं। इसका दो-तिहाई भाग धरती के नीचे है। इस लाइब्रेरी को अपने खास डिजाइन के लिए भी जाना जाता है।
अमेरिका में पुरुषों से ज्यादा महिलाएं जातीं लाइब्रेरी
इंटरनेट के इस युग में जहां ज्यादातर लोग मोबाइल या लैपटॉप से चिपके रहते हैं, वहां अमेरिकी लाइब्रेरी में किताबें पढ़ने को ज्यादा महत्व देते हैं।
4 साल पहले गैलप पोल के एक सर्वे में पाया गया कि अमेरिका में छुट्टी के दिनों में लाइब्रेरी भरी रहती। स्टूडेंट्स भी 2019 में लाइब्रेरी का उपयोग करने में आगे रहे। सर्वे में पाया गया कि महिलाएं, पुरुषों की तुलना में लगभग दो बार ज्यादा लाइब्रेरी जा रही हैं।
लाइब्रेरी के इस्तेमाल पर प्यू रिसर्च सेंटर ने 2016 में एक सर्वे किया जिसमें पता चला कि लगभग 80 फीसदी वयस्क अमेरिकी लाइब्रेरीज के सोर्स पर भरोसा करते हैं।
मुगल शासक हुमायूं की लाइब्रेरी की सीढ़ियों से गिरकर हुई थी मृत्यु
कहते हैं मुगल शासक हुमायूं किताबें पढ़ने और संजोने का बेहद शौकीन था लेकिन उसका ज्यादातर वक्त युद्ध और इधर-उधर भागने में बीता। हालांकि वह इन अभियानों में भी पुस्तकें अपने साथ ले जाया करता था।
एक रात में जब वह गुजरात के अभियान पर था तब अचानक कुछ जंगली एवं पहाड़ी कबाइली लोगों ने उस पर आक्रमण कर दिया, जिसके कारण उसे पीछे हटना पड़ा।
उसकी बहुत सारी अच्छी और दुर्लभ किताबें वहीं रह गईं। इन किताबों में से एक “तैमूरनामा” भी थी जिसकी प्रतिलिपि मौलाना सुल्तान अली और उस्ताद बेहज़ाद द्वारा चित्रित की गई थी।
1555 में दिल्ली फतह करने के बाद उसने वैज्ञानिक स्टडी और रिसर्च पर ध्यान दिया। भारत और दुनिया के अलग-अलग क्षेत्रों से विद्वानों को जमा किया। किताबें इकट्‌ठा कीं और शेर मंडल को दीनपनाह लाइब्रेरी में तब्दील कर दिया। मगर अगले साल ही दीनपनाह की सीढ़ियों से गिरकर हुमायूं की मृत्यु हो गई। यह जगह दिल्ली के पुराना किला इलाके में आज भी मौजूद है।
दुनिया में ऐसी चलती फिरती लाइब्रेरीज भी मौजूद हैं जो बच्चों के अलावा हर उम्र के पुस्तक प्रेमियों के लिए भी कौतूहल की वजह बन सकती है। आइए जानते हैं ऐसी ही कुछ मोबाइल लाइब्रेरीज के बारे में-
टैंक जैसी दिखने वाली मोबाइल लाइब्रेरी कहलाती है ‘वेपन ऑफ मास इंस्ट्रक्शन’
1979 में अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में अर्जेंटीनियाई आर्ट कार मेकर और आर्टिस्ट राउल लेमेसऑफ ने टैंक जैसी दिखने वाली फोर्ड फाल्कन को मोबाइल लाइब्रेरी बनाया। 
आमतौर पर यह कहा जाता है कि कार की बॉडी में बुक्स कैसे फिक्स की जा सकती हैं, पर राउल ने ऐसा करके दिखाया। 
नीदरलैंड की संकरी गलियों के लिए बनी बेइब बस मोबाइल लाइब्रेरी
नीदरलैंड की संकरी गलियों के लिए आर्किटेक्ट जॉर्ड डेन होलैंडर ने शानदार तरीका निकाला। उन्होंने ट्रॉली के आकार की ऐसी बेइब बस (Biebbus) तैयार की, जिसमें वर्टिकल दो रूम बनाए गए हैं। इसमें नीचे के कमरे में 7 हजार के करीब बच्चों की किताबें हैं। 52 वर्ग मीटर स्पेस में 30 से 45 बच्चे बैठ जाते हैं।
दुनिया की सबसे बड़ी तैरती लाइब्रेरी गूगल ने बनाई
'एमवी लागोस होप' दुनिया की सबसे बड़ी तैरती लाइब्रेरी है। इस लाइब्रेरी को गूगल ने बनाई है। इसको गूगल बुक्स फॉर आल (जीबीए) शिप्स ऑपरेट करता है। जीबीए के पास इसी तरह की तीन और लाइब्रेरी हैं। लेकिन एमवी लागोस होप सबसे बड़ी लाइब्रेरी है। यह दुनिया भर के देशों का दौरा करती रहती है। भारत में यह दो बार 1972 और 2011 में आ चुकी है। इस लाइब्रेरी को 40 देशों के करीब 400 वॉलंटियर ऑपरेट करते हैं।
उत्तराखंड के गांवों में पहुंची घोड़ा लाइब्रेरी
किताबों से लदी ऊंट की पीठ पर चलती-फिरती लाइब्रेरी से शुरू हुआ बुक लवर्स और पढ़ने के शौकीनों का सफर आज गूगल की ऑनलाइन लाइब्रेरी तक जा पहुंचा है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि किताबें ऊंट न सही टट्टू की पीठ पर लादकर आज भी उत्तराखंड के दूर-दराज के पहाड़ी इलाकों में पहुंच रही हैं। 
जहां न सड़कें हैं न पर्याप्त बिजली, लेकिन वहां के बच्चों को पढ़ने का शौक है और टट्टू पर लदी किताबें उनके चेहरे पर मुस्कुराहट ला देती हैं।
इस लाइब्रेरी को चलाने वाले शुभम बधानी कहते हैं कि जैसे ही मैंने ये सोचा कि मैं घोड़े पर किताबें लादकर बच्चों तक पहुंचाऊं, तो मेरा आइडिया गांवों को इतना पसंद आया कि उन्होंने अपने घोड़े, टट्टू की सेवाएं तुरंत देने की बात की। वॉलंटियर्स ने इस लाइब्रेरी के लिए किताबें भी दीं और रीडिंग सेशन भी शुरू किए हैं। 
जैसे ही घोड़े की सुविधा मिली हिमोत्तम और संकल्प और यूथ फंडिंग ने आगे बढ़कर मदद की और किताबों की सुविधाएं दीं। वॉलंटियर्स गांव गांव चक्कर लगाते हैं और उन बच्चों से मिलते हैं जो किताबें पढ़ना चाहते हैं।
कई बार एक हफ्ते किताबें पढ़ने के लिए भी देते हैं। दूसरे राउंड में पुरानी किताबें लेकर फिर दूसरी नई किताबें बच्चों को दी जाती हैं।
इस तरह कम किताबें होते हुए भी बच्चों को कुछ नया लगातार पढ़ने को मिलता रहता है।
शुभम बताते हैं कि यह संस्था पूरी तरह से फंडिंग पर निर्भर है और ऐसे ही मदद करने वालों की तलाश है। अभी हमारे पास 15 साल के बच्चों के लिए किताबें हैं।
जैसे ही हमारे को आर्थिक मदद मिलेगी, हम सभी उम्र के पाठकों को किताबों मुहैया कराएंगे और इससे हमारे गांवों का दायरा भी बढ़ेगा। 
शुभम कहते हैं कि सबसे अच्छी बात ये रही कि गांव की महिलाओं में किताब पढ़ने की दिलचस्पी देखने को मिली। बच्चों के लिए होने वाले रीडिंग सेशन में हर उम्र का व्यक्ति शामिल होता है।
सबको लगता है कि हमें इससे नया सीखने को मिलता है। कुछ महिलाएं अपनी बेटियों के आती हैं। बच्चियां अगर घोड़ा देखकर खुश होती है तो किताबें देखकर उन्हें और खुशी होती है।
इसलिए किसी को भी एक अच्छी लाइब्रेरी से जुड़ने में देरी नहीं करनी चाहिए। अपने स्कूल-कॉलेज या शहर की लाइब्रेरी से जुड़िए और किताबें पढ़कर सोच को साफ-सुथरा बनाइए।
Compiled: Legend News

8 टिप्‍पणियां:

  1. इतनी सारी जानकारी, आराम से पढ़ने लायक़ पोस्ट है, बधाई!

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  2. धन्यवाद यशोदा जी, बहुत द‍िनों बाद

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