पिछले कई सालों से ट्विटर को हथियार बनाकर विषवमन करने वाले सफेदपोश षडयंत्रकारियों का एक ऐसा गिरोह सोशलमीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय है जो हर हाल में देश के सद्भाव को मिटा देना चाहता है ताकि अराजकता फैले और इसके फैलते ही विश्व को बताया जाये कि देखो भारत में मुस्लिमों को लेकर असहिष्णुता कितनी बढ़ गई है, परंतु अब ऐसा हो ना सकेगा क्योंकि इस तरह के षडयंत्र व प्रपंचों को प्लेटफॉर्म स्पेस देने के लिए ट्विटर भी बराबर का दोषी माना जाएगा।
यूपी पुलिस ट्विटर पर भी इसीलिए कार्यवाही कर पाई क्योंकि केंद्र सरकार के आदेश ना मानने के कारण ट्विटर की इंटरमीडियरी दर्ज़ा अब समाप्त हो चुका है, उसका “कानूनी सुरक्षा कवच” टूट गया है क्योंकि ट्विटर ने अब तक नए आईटी नियमों को लागू नहीं किया इसलिए उसका लीगल प्रोटेक्शन खुद-ब-खुद खत्म हो गया है।
अत: कल इसी का फायदा उठाते हुए देश में पहली बार ऐसा हुआ कि फेक न्यूज़ फैलाने का माध्यम बने ट्विटर को भी FIR की जद में ले लिया गया।
बहरहाल, यूपी पुलिस ने स्वयं को “फैक्ट-चेकर” बताने वाले पोर्टल AltNews के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर, पत्रकार राणा अयूब, न्यूज पोर्टल द वायर, कांग्रेस के कश्मीरी नेता सलमान निजामी व मसकूर उस्मानी, डा समा मोहम्मद, पत्रकार व लेखक सबा नकवी जैसे सफेदपोश षडयंत्रकारियों पर फेक न्यूज़ फैलाने के आरोप में FIR करके बड़ा संदेश दिया है।
दरअसल, AltNews के मोहम्मद जुबैर द्वारा कल एक “एंटी हिंदू प्रोपेगंडा” ट्विटर पर शुरु किया गया और इसे एक प्लानिंग के तहत उक्त आरोपियों द्वारा आगे रिट्वीट किया जाता रहा, जिसमें एक वीडियो शेयर कर आरोप लगाया गया कि लोनी में अब्दुल समद नाम के एक मुस्लिम बुजुर्ग को पीटकर उससे जबरन ‘जय श्री राम’ बुलवाया गया। पुलिस जांच में पता चला कि पीटने वाले आरोपितों में आरिफ, आदिल और मुशाहिद आदि मुस्लिम भी शामिल थे अत: ये मामला ताबीज के नाम पर महिलाओं की अस्मत से खिलवाड़ का निकला, जिसमें अब्दुल समद नामक व्यक्ति ने क्षेत्र की उन हिंदू-मुस्लिम महिलाओं का शोषण किया जिनको बच्चा नहीं हो रहा था और वे इसके फरेब में फंसती चली गईं। परिजनों ने इसीलिए अब्दुल समद की मज़ामत कर दी जिसे AltNews के मोहम्मद जुबैर ने अपनी पूरी की पूरी मंडली (नेता और अन्य पत्रकार डॉक्टर) के साथ इस मामले को “मुस्लिम मॉबलिंचिंग” कहकर दुष्प्रचारित किया। यूं तो मोहम्मद जुबैर ने अनेक बार फेक न्यूज़ फैलाई है परंतु इस बार ‘जय श्री राम’ को बदनाम करने का उसका दांव उल्टा पड़ गया और FIR दर्ज हो गई। इसके अलावा भ्रम फैलाने वाले टूलकिट मामले में “मैनुपुलेटिड मीडिया” टैग लगाकर सच्चाई को दबाने वाले ट्विटर ने इस पूरे मामले पर चुप्पी साध ली। दुष्प्रचार करने वाली पूरी मंडली को कानून का क ख ग बताना जरूरी था।
कहते हैं ना कि दंडप्रक्रिया में कानून का “भय” आवश्यक होता है, यूपी पुलिस की कार्यवाही से इतना तो अवश्य होगा अभी तक जो ट्विटर केंद्र सरकर से आंखें तरेर रहा था, वह अब स्वयं को बचाने में लगेगा।
बहरहाल ट्विटर और उसे माध्यम बनाने वाले “षडयंत्रकारी व अपराधियों” द्वारा अब पूरे वाकये को बतौर सबक लिया जाना चाहिए वरना अभी तो शुरुआत है, कार्यवाही का जो रास्ता यूपी पुलिस ने खोल दिया है, उस पर अब अन्य सरकारें भी चलेंगी ही।
- अलकनंदा सिंंह
बहुत सही ,सार्थक आलेख,बहुत बधाई अलकनंदा जी ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद जिज्ञासा जी
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जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिखा है आपने। अब 2022 ज्यादा दूर है नही तो यह सब देखना आम बात है। यह यूपी है मुख्यमंत्री योगी जी है और यहा एजेंडा जहां से शुरू होता है वही घूसा दिया जाता है😅
जवाब देंहटाएंटिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद शिवम जी
हटाएंअच्छा आलेख है ... और ठीक किया है सरकार ने ... किसी को भी देख के साथ खिलवाड़ करने का मौका नहीं मिलना चाहिए ... ये सब चौंचले है ... पैसा मिलता है सबको बाहर से इस प्रोपोगेन्डा के लिए ...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद नासवा जी, आप सही कह रहे हैं, विदेशी पैसों के बूते ये देश के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
हटाएंबहुत बढ़िया और सार्थक विषय पर आपका आलेख,बहुत शुभकामनाएँ आपको।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद जिज्ञासा जी
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