नई दिल्ली। ‘जश्न-ए-बहार’ मुशायरे में इस बार पाकिस्तान और चीन समेत दुनियाभर के नामचीन उर्दू शायर शमा रौशन करेंगे.
तीन अप्रैल को आयोजित होने जा रहा यह मुशायरा देश का सबसे बड़ा गैर राजनीतिक जश्न होता है और इस बार 17वें मुशायरे में जावेद अख्तर और वसीम बरेलवी जैसी हस्तियां शिरकत करेंगी.
इनमें बीजिंग से झांग शिचुआन, न्यूयार्क से अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह, टोरंटो से अशफाक हुसैन जैदी और जेद्दाह से उमर सलीम अल एदरूस प्रमुख हैं.
उर्दू शायरी के चाहने वालों को इस सालाना जश्न का बेसब्री से इंतजार रहता है जिसमें पाकिस्तान के शायरों को खासतौर से पसंद किया जाता है. इस बार इस्लामाबाद से किर नाहीद, लाहौर से अमजद इस्लाम अमजद और कराची से आम्बरीन हासिब मुशायरे की रौनक बढ़ाने के लिए आ रहे हैं.
मुशायरे का आयोजन दिल्ली पब्लिक स्कूल मथुरा रोड में किया जाएगा. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर जमीनउद्दीन शाह मुशायरे के खास मेहमान होंगे और वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर इसकी अध्यक्षता करेंगे.
भारतीय शायरों में कोलकाता से मुनव्वर राना, मुरादाबाद से मंसूर उस्मानी और मेरठ से पोपुलर मेरठी भी अपनी शायरी पेश करेंगे.
जश्न-ए-बहार ट्रस्ट की संस्थापक और उर्दू कार्यकर्ता कामना प्रसाद कहती हैं कि भारत में मुशायरे को हमेशा से ही धर्मनिरपेक्ष दृष्टि से देखा जाता रहा है जिसकी पहचान उर्दू और हिंदुस्तानी चरित्र को समेटे हुए है. हम इस संस्थान को जिंदा रखने तथा इसे और बेहतरीन बनाने की कोशिश में हैं.
तीन अप्रैल को आयोजित होने जा रहा यह मुशायरा देश का सबसे बड़ा गैर राजनीतिक जश्न होता है और इस बार 17वें मुशायरे में जावेद अख्तर और वसीम बरेलवी जैसी हस्तियां शिरकत करेंगी.
इनमें बीजिंग से झांग शिचुआन, न्यूयार्क से अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह, टोरंटो से अशफाक हुसैन जैदी और जेद्दाह से उमर सलीम अल एदरूस प्रमुख हैं.
उर्दू शायरी के चाहने वालों को इस सालाना जश्न का बेसब्री से इंतजार रहता है जिसमें पाकिस्तान के शायरों को खासतौर से पसंद किया जाता है. इस बार इस्लामाबाद से किर नाहीद, लाहौर से अमजद इस्लाम अमजद और कराची से आम्बरीन हासिब मुशायरे की रौनक बढ़ाने के लिए आ रहे हैं.
मुशायरे का आयोजन दिल्ली पब्लिक स्कूल मथुरा रोड में किया जाएगा. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर जमीनउद्दीन शाह मुशायरे के खास मेहमान होंगे और वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर इसकी अध्यक्षता करेंगे.
भारतीय शायरों में कोलकाता से मुनव्वर राना, मुरादाबाद से मंसूर उस्मानी और मेरठ से पोपुलर मेरठी भी अपनी शायरी पेश करेंगे.
जश्न-ए-बहार ट्रस्ट की संस्थापक और उर्दू कार्यकर्ता कामना प्रसाद कहती हैं कि भारत में मुशायरे को हमेशा से ही धर्मनिरपेक्ष दृष्टि से देखा जाता रहा है जिसकी पहचान उर्दू और हिंदुस्तानी चरित्र को समेटे हुए है. हम इस संस्थान को जिंदा रखने तथा इसे और बेहतरीन बनाने की कोशिश में हैं.
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