सन् 1713 में रत्नाकर भट्ट द्वारा रचित ‘जयसिंहकल्पद्रुम’ में #करवाचौथ व्रत का अधिकार केवल स्त्रियों को है। इसमें भगवान् शिव-पार्वती और भगवान् कार्तिकेय की पूजा होती है। चंद्रोदय पर अर्घ्य अर्पित किया जाता है। आजकल छलनी से पति को देखने का नाट्य चल पड़ा है, जो शास्त्रसम्मत नहीं है।
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