शनिवार, 3 जून 2023

हिंदुओं को मृत्यु उपरांत RIP शब्द को इस्तेमाल नहीं करना चाहिए

 


 R.I.P यानी रेस्ट इन पीस कहना लोगों का फैशन बन गया है| लोग बिना कुछ सोचे समझे ही किसी के भी मरने पर RIP RIP की रट लगा देते हैं खासकर फेसबुक ट्विटर या व्हाट्सएप ग्रुप में। दोस्तों शब्दों में धार्मिक भेदभाव तो नहीं किया जा सकता लेकिन R.I.P शब्द का मतलब सिर्फ मुस्लिम और ईसाइयों के लिए ही सिद्ध होता है ना कि हिंदुओं के लिए|

हम इस शब्द के मतलब से अनजान अपनी तरफ से तो हम RIP शब्द का उपयोग कर मृत व्यक्ति की शांति के लिए मांग रहे होते हैं | आज मैं आपको बता देता हूं कि इस बात का अर्थ यह नहीं होता है|

आइये जानते हैं की हिंदुओं के लिए R.I.P शब्द का इस्तेमाल क्यों नहीं करना चाहिए और इसकी जगह क्या शब्द इस्तेमाल करें|

R.I.P (Rest in Peace) का अर्थ हिंदी में कहूं तो शांति से आराम करो या फिर शांति में आराम करो| शांति से आराम करो और ईश्वर आपकी आत्मा को शांति दे इन दोनों पंक्तियों में जमीन आसमान का अंतर है हमें इस में फर्क करना आना चाहिए|

शांति से आराम करो उन लोगों के लिए अपनाया जाता है जिन्हें कब्र में दफनाया गया है क्योंकि ईसाइयों और मुस्लिमों की मान्यताओं के अनुसार जब जजमेंट डे यानी कयामत का दिन आएगा तब सारे मृत जी उठेंगे| इस लिए मुस्लिम और ईसाई कहते हैं कयामत के दिन तक शांति से इंतज़ार करो।

ईसाई और मुस्लिम शरीर में यकीन रखते हैं मानना है कि कयामत के दिन फिर से जी उठेंगे लेकिन हिंदू इसके विपरीत पुनर्जन्म मे यकीन रखते हैं और आत्मा को अमर मानते हैं हिंदू धर्म के अनुसार शरीर नश्वर है यानी एक ना एक दिन इसे नष्ट होना ही है इसी वजह से हिंदू शरीर को जला दिया जाता है हिंदुओं का मानना है कि मरने के बाद शरीर से आत्मा ही निकल गई तो शरीर किस काम का।

भगवद् गीता (मूल श्लोकः।।2.22।) में कहा गया है क‍ि- 

वासांसि जीर्णानि यथा विहाय
नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णा
न्यन्यानि संयाति नवानि देही

भावार्थ: मनुष्य जैसे पुराने कपड़ों को छोड़कर दूसरे नये कपड़े धारण कर लेता है ऐसे ही आत्मा पुराने शरीरों को छोड़कर दूसरे नये शरीर में चला जाता है।
गीता में यह भी कहा गया है कि

नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः ।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ॥ 2/23

भावार्थ: इस आत्मा को शस्त्र नहीं काट सकते, इसको आग नहीं जला सकती, इसको जल नहीं गला सकता और वायु नहीं सुखा सकता॥23॥

संसार के किसी भी वस्तु से हम आत्मा को छू भी नहीं सकते और ध्यान देने योग्य बात यह है कि जल वायु अग्नि तीनों ही हिंदू धर्म में देवता माने गए हैं| हिंदू धर्म के अनुसार मनुष्य अपने कर्मो के फल स्वरूप या तो मोक्ष प्राप्ति कर लेता है या फिर आत्मा नया शरीर को धारण कर लेती है |इसलिए हमारे यहां कहां जाता है,

ओम शांति सदगति
अर्थात: ईश्वर आत्मा को शांति दे मोक्ष की प्राप्ति हो|

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सटीक विश्लेषण किया है आपने। यही बात मैं लोगो को समझाता था पहले लेकिन लोग आदत से मजबूर है RIP लिखना सच में फैशन बन गया है ...! वास्तव में ये लोग सोशल मीडिया के जकड़ में इतना आ गए है की असल दुनिया में क्या हो रहा है उससे कोई वास्ता ही नही रखना है इन्हे..!

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  2. सुन्दर जानकारी युक्त विश्लेषण ।

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  3. बहुत सही लिखा है। मैं चकित हूं कि लोग कैसे लोग अन्धानुकरण करते हुए श्रद्धांजलि देने में भी कैसे शार्टकट अपनाते हैं वह भी उसका आशय समझे बिना.

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