शनिवार, 23 जुलाई 2022

आखिर कैसे खुला पश्‍चिम बंगाल में हुए SSC घोटाले का राज?


 पश्चिम बंगाल सरकार एक घोटाले की वजह से फंसती नजर आ रही है। स्कूल सेवा आयोग SSC के तहत श‍िक्षा विभाग में ग्रुप सी और डी की भर्तियों के दौरान हुए घोटाले को लेकर राज्‍य सरकार में मंत्री पार्थ चटर्जी को ईडी (ED) ने ग‍िरफ्तार कर लिया है। ईडी की टीम ने पार्थ चटर्जी की नजदीकी अर्पिता मुखर्जी के घर से अब तक 21 करोड़ रुपए कैश बरामद किये हैं। 22 जुलाई को हुई कार्रवाई में पार्थ से रातभर पूछताछ की गई जिसके बाद उन्‍हें और अर्पिता को 23 जुलाई को ग‍िरफ्तार कर लिया गया। ईडी ने ये कार्रवाई घोटाले को लेकर ही की। इस स्‍कैम की जांच सीबीआई को सौंपी गई है। ईडी घोटाले में पैसों की लेनदेन को लेकर जांच कर रही है। लेकिन SSC Scam है क्‍या और इसका राज कैसे खुला?

क्‍या है पश्चिम बंगाल का एसएससी घोटाला?
राज्‍य के माध्यमिक श‍िक्षा बोर्ड के तहत श‍िक्षण और गैर श‍िक्षण पदों पर नियुक्‍तियों के लिए स्‍कूल सेवा आयोग ने (WBSSC) वर्ष 2016 में परीक्षा आयोजित की। पर‍िणाम आया 27 नवंबर 2017 को। पर‍िणाम लिस्‍ट में एक परीक्षार्थी बबीता सरकार का भी नाम टॉप 20 में था और उन्‍हें 77 नंबर मिले थे, लेकिन बाद में आयोग ने यह सूची रद्द कर दी। इसके बाद जब दूसरी सूची आई तो उसमें बबीता का नाम वेटिंग लिस्‍ट में चला गया लेकिन उनसे 16 नंबर कम (61 नंबर) पाने वालीं शिक्षा राज्य मंत्री परेश अधिकारी की बेटी का नाम सबसे ऊपर आ गया। घोटाले की परत यहीं से खुलनी शुरू हुई।
बबिता के पिता हाई कोर्ट चले गये। उन्‍होंने दावा किया कि भर्ती परीक्षा में अधिकारी की बेटी के मुकाबले ज्यादा अंक लाने के बावजूद उसे नौकरी नहीं दी गई। याचिकाकर्ता ने बताया क‍ि उसकी बेटी को 77 नंबर मिले थे लेकिन उसकी बेटी का नाम मेरिट लिस्‍ट में आया ही नहीं, जबकि उससे कम 61 अंक पाने वाली मंत्री की बेटी का नाम सबसे ऊपर रहा और उसे नौकरी मिल गई। 
कोर्ट ने मामले को संज्ञान में लिया और जांच के लिए न्‍यायमूर्ति (रिटायर्ड) रंजीत कुमार बाग की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया। समिति ने अपनी रिपोर्ट में घोटाले में शामिल तत्‍कालीन अध‍िकारियों के ख‍िलाफ मुकद्दमा चलाने की सिफारिश की।
एसएससी घोटाला हुआ कैसे?
घोटाले में शामिल अध‍िकारियों ने बड़ी चालाकी से इस धांधली को अंजाम दिया। जांच में पता चला क‍ि अधिकारियों ने चुनिंदा उम्मीदवारों को अपनी ओएमआर उत्तर पुस्तिकाओं के लिए आरटीआई लगाने और पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन देने को कहा। उन्होंने ऐसा ही किया। अधिकारियों ने तब कथित तौर पर कुछ उम्मीदवारों के अंक बढ़ाकर उन्हें मेरिट में स्‍थान दे दिया और फिर ओएमआर शीट में हेराफेरी की। उन्होंने असफल उम्मीदवारों को नियुक्ति सूची में लाने के लिए कथित तौर पर जाली अंक भी बनाए।
अंक बदलने के बाद ओएमआर शीट को कथित तौर पर नष्ट कर दिया गया। उम्मीदवारों के स्कोर को बढ़ाने के लिए आरटीआई का इस्तेमाल एक हथियार के रूप में किया गया।
पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोगन (WBSSC) के पूर्व सलाहकार के कहने पर कार्यक्रम अधिकारी समरजीत आचार्य ने ग्रुप सी के असफल उम्मीदवारों के लिए 381 अनुशंसा पत्र तैयार किए। इनमें से लगभग 250 तो मेरिट लिस्ट में भी नहीं थे। इसी तरह ग्रुप डी में 609 असफल उम्मीदवारों के पक्ष में नियमों को ताक पर रखा गया। चार-पांच बार में फर्जी रिकमंडेशन लेटर WBBSE अध्यक्ष गांगुली को दिए। गांगुली ने इस लेटर्स के आधार पर अपॉइंटमेंट लेटर तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए ये लेटर बोर्ड के नियुक्ति सेक्शन को भी नहीं भेजे।
पूर्व और वर्तमान अध‍िकारियों पर मुकद्दमा
स्कूल शिक्षा विभाग में ग्रुप सी और ग्रुप डी पदों की भर्ती में कथित घोटाले की जांच करने वाली न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजीत बाग समिति ने पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) के चार अधिकारियों, पूर्व और वर्तमान और एक वरिष्ठ के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की। कलकत्ता हाई कोर्ट ने शिक्षकों की भर्ती में घोटाले की CBI जांच का आदेश दिया। शिक्षा विभाग के अधिकारी पर आपराधिक साजिश का आरोप समिति की रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय जांच ब्यूरो CBI ने पांचों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। इस मामले में सीबीआई राज्‍य के श‍िक्षा मंत्री परेश अध‍िकारी से पूछताछ कर चुकी है।
12 मई को कलकत्ता उच्च न्यायालय को अपनी रिपोर्ट में समिति की रिपोर्ट के आधार पर डब्ल्यूबीएसएससी के पूर्व अध्यक्षों प्रोफेसर के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही की सिफारिश की। सौमित्र सरकार और अशोक कुमार साहा, संगठन के पूर्व सलाहकार, डॉ शांति प्रसाद सिन्हा, कार्यक्रम अधिकारी समरजीत आचार्य और पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (WBBSE) के अध्यक्ष डॉ कल्याणमय गांगुली पर मामला दर्ज करने की सिफारिश की। 
सीबीआई ने समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए सरकार, साहा, सिन्हा और गांगुली के खिलाफ आईपीसी की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज किया। इसने सिन्हा और आचार्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 465 (जालसाजी), 417 (धोखाधड़ी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) और 34 (सामान्य इरादे से कई लोगों द्वारा किए गए कार्य) को भी लागू किया।
सीबीआई के साथ ईडी ने भी शुरू की जांच
सीबीआई के अलावा मामले की जांच की ज‍िम्‍मेदार ईडी को दी गई। मंत्री पार्थ चटर्जी पहले राज्‍य के श‍िक्षा मंत्री थे और अब वाण‍िज्‍य मंत्री हैं। ईडी उनके पहले भी इस मामले में पूछताछ कर चुकी है। उनसे इस मामले से जुड़ी विभिन्न जानकारियां और दस्तावेज मांगे गये थे। जांचकर्ताओं का दावा है कि इस नियुक्ति में करोड़ों रुपये का गबन किया गया है। नौकरी में भ्रष्टाचार के मामले में वित्तीय लेन-देन हुआ है। हालांक‍ि इस मामले में विधानसभा में ममता बनर्जी ने साफ कर दिया था कि उनकी सरकार पार्थ चटर्जी के साथ खड़ी है।
श‍िक्षा मंत्री की बेटी को लौटानी पड़ी थी 41 महीने की सैलेरी
कोलकाता हाई कोर्ट ने शिक्षा मंत्री परेश अध‍िकारी की बेटी अंकिता अध‍िकारी की स्‍कूल टीचर की नियुक्‍ति को अवैधर करार दे दिया। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है क‍ि अंकिता से 41 महीने की सैलेरी दो किस्‍तों में वसूली जाये।

- Compiled by Legend News 

4 टिप्‍पणियां:

  1. भ्रष्टाचार ही तो है जो देश को पनपने नहीं देता । हम गुलाम ही अपने स्वार्थ की वजह से हुए थे । जानकारी देता सटीक और सार्थक लेख ।

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  2. बाप रे! बड़े मियाँ तो बड़े मियाँ छोटे मियाँ सुभान अल्लाह! हम तो समझते थे कि बिहार और यू पी हीं बातों के लिए जाने जाते हैं। यहाँ तो दीदी की भ्रष्टाचार के प्रति 'ममता' ने सबके कान काट दिए।

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