आज एक कन्नड़ लोक कथा पुण्यकोटि का ट्रेलर आया, जन-सहयोग से बनी ये animated फिल्म हमें यूट्यूब पर देखने को मिली, वह भी संस्कृत में।
सबसे अधिक ध्यान देने की बात संस्कृत के शब्दों का स्तर कतई प्राथमिक है। ये कहानी है पुण्यकोटि गाय की जिसे हम सबसे मनोरंजक रूप अर्थात् वीडियो में तो देखेंगे ही साथ ही प्राथमिक संस्कृत को आसानी से समझ भी सकेंगे।
देवभाषा संस्कृत को इतने मनोरंजक रूप में सामने लाने के लिए इस एनीमेटेड वीडियो फिल्म के निर्माता सचमुच बधाई के पात्र हैं।
स्क्रिप्ट और डायरेक्शन रविशंकर का है, ट्रेलर का म्यूजिक हर्षवर्द्धन ने दिया है। संस्कृत परामर्श प्रोफेसर एस आर लीला द्वारा दिया गया है। चूंकि यह फिल्म भाषा और संस्कृति के लिए समर्पण के तौर पर बनाई गई है और इसके लिए निर्माता को आर्थिक सहयोग की आवश्यकता है इसलिए पुण्यकोटि टीम की ओर से रेवती,राजा व एमडी पई की ओर से सहायता मांगी गई है।
वीडियो की झलकी आप भी देखिए-
लोक कथा कुछ इस तरह है-
कलिंग नामक एक ग्वाला पहाड़ के निकट अपनी गायों के साथ बहुत सुख-सन्तोष से रहता था। उसकी गायों में पुण्यकोटि नाम की एक गाय थी, जो अपने बछड़े को बहुत प्यार करती थी। प्रतिदिन संध्या समय वह रंभाती और दौड़ती हुई घर लौट आती थी।
उसी पहाड़ में एक शेर भी रहता था। एक बार बहुत दिनों तक उसे कुछ खाने को नहीं मिला। उसने एक दिन शाम को पुण्यकोटि गाय को रोक कर कहा — ‘ मैं तुम्हें अपना आहार बनाऊँगा।’
पुण्यकोटि ने शेर से विनय के साथ कहा – ‘ मुझे घर जाने दो, बछड़े को दूध पिलाने के बाद मैं स्वयं तुम्हारे सम्मुख हाजिर हो जाउंगी।’
पहले तो शेर ने उसकी बात न मानी, पर जब पुण्यकोटि ने विश्वास दिलाया कि वह निश्चय ही वापस आने का वचन दे रही है, तो शेर ने कहा — ‘अच्छा, तुम जा सकती हो, लेकिन अपना वचन निभाना न भूलना।’
गौशाला में बछड़े को दूध पिलाते समय पुण्यकोटि ने उसको वह समाचार दिया और आँखों में आँसू भर कर अपने बछड़े से विदा ली। बाहर निकलते समय उसने बछड़े से कहा — ‘ बेटा, सावधानी से और नम्र भाव से रहना।’
फिर पुण्यकोटि ने अन्य गायों से कहा — ‘बहनों, मैं तो जा रही हूँ, लेकिन मेरे बछड़े को अपना बच्चा समझकर इसका ध्यान रखना।’
फिर पुण्यकोटि ने शेर के पास जाकर कहा — ‘लो, मुझे खा लो।’
शेर ने सोचा कि इतनी अच्छी गाय को अपना आहार बना लेना तो बहुत बुरा होगा। यह सोचकर उसने उस गाय को छोड़ दिया और आगे के लिए अन्य सब गायों को भी अभयदान दे दिया।
शेर ने सोचा कि इतनी अच्छी गाय को अपना आहार बना लेना तो बहुत बुरा होगा। यह सोचकर उसने उस गाय को छोड़ दिया और आगे के लिए अन्य सब गायों को भी अभयदान दे दिया।
-Legend News
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