आगम शास्त्र हमें मन्दिरों की संरचना से लेकर योजना, वास्तुकला तथा पूजा की विधि के बारे में सब कुछ बताते हैं । मंदिर बनाने के इस प्राचीन भारतीय विज्ञान के बारे में आज हम आपको बताते हैं, एक ऐसा विज्ञान जिसके जरिये आप पत्थर जैसी स्थूल वस्तु को एक सूक्ष्म ऊर्जा में रूपांतरित कर सकते हैं।
आगम शास्त्र का आध्यात्मिकता से संबंध
आगम शास्त्र कुछ खास तरह के स्थानों के निर्माण का विज्ञान है। बुनियादी रूप में यह अपवित्र को पवित्र में बदलने का विज्ञान है। समय के साथ इसमें काफी-कुछ निरर्थक जोड़ दिया गया लेकिन इसकी विषय वस्तु यही है कि पत्थर को ईश्वर कैसे बनाया जाये।
यह एक अत्यंत गूढ़ विज्ञान है लेकिन लोगों ने अपनी-अपनी सोच के अनुसार इसका अकसर गलत अर्थ निकाल लिया या फिर और बढ़ा-चढ़ा कर बखान किया। समय के साथ यह इतना अधिक होता गया कि आज आगम शास्त्र एक बेतुकी और हास्यास्पद प्रक्रिया बन कर रह गया है। कोई काम किसी खास तरीके से ही क्यों किया जा रहा है यह जाने बिना लोग बेवकूफी भरे काम कर रहे हैं। लेकिन सही ढंग से किये जाने पर यह एक ऐसी टेक्नालॉजी है जिसके जरिये आप पत्थर जैसी स्थूल वस्तु को एक सूक्ष्म ऊर्जा में रूपांतरित कर सकते हैं, जिसको हम ईश्वर कहते हैं।
भारत में बहुत सारे मंदिर हैं। मंदिर कभी भी केवल प्रार्थना के स्थान नहीं रहे, वे हमेशा से ऊर्जा के केंद्र रहे हैं। आपसे यह कभी नहीं कहा गया कि मंदिर जा कर पूजा-अर्चना करें, यह कभी नहीं कहा गया कि ईश्वर के आगे सिर झुकाकर उनसे कुछ याचना करें। आपसे यह कहा गया कि जब भी आप किसी मंदिर में जायें तो वहां कुछ समय के लिए बैठें जरूर। पर आजकल लोग पल भर को बैठे नहीं कि उठ कर चल देते हैं। बैठने का मतलब यह नहीं है। मकसद यह है कि आप वहां बैठ कर ऊर्जा ग्रहण करें, अपने भीतर समेट लें, क्योंकि यह पूजा-अर्चना का स्थान नहीं है। यह वह स्थान नहीं है जहां आप यकीन करें कि कुछ अनहोनी घट जाएगी या जहां किसी व्यक्ति की अगुवाई में आप दूसरों के साथ मिल कर प्रार्थना करेंगे। यह केवल एक ऊर्जा-केंद्र है जहां आप कई स्तरों पर ऊर्जा प्राप्त कर सकेंगे। चूंकि आप खुद कई तरह की ऊर्जाओं का एक जटिल संगम हैं इसलिए हर तरह के लोगों को ध्यान मे रखते हुए कई तरह के मंदिरों का एक जटिल समूह बनाया गया। एक व्यक्ति की कई तरह की जरूरतें होती हैं जिसे देखते हुए तरह-तरह के मंदिर बनाए गये।
उदाहरण के लिए केदारनाथ एक बहुत शक्तिशाली स्थान है, इस स्थान की ऊर्जा काफी आध्यात्मिक तरह की है परंतु केदारनाथ के रास्ते में तंत्र-मंत्र की विद्या से संबंधित भी एक मंदिर है, किसी ने यहां पर एक छोटा मगर बहुत शक्तिशाली स्थान बनाया है। यदि किसी व्यक्ति को तंत्र-विद्या के ऊपर काम करना है तो वे इस छोटे-से मंदिर में जाते हैं क्योंकि यहां का वातावरण केदार मंदिर की अपेक्षा ऐसे काम के लिए अधिक सटीक होता है।
आपको आध्यात्मिकता और तंत्र-विद्या के अंतर को समझना होगा। तंत्र-मंत्र एक तरह से एक टेक्नॉलॉजी है, भौतिक ऊर्जाओं के साथ काम करने की टेक्नॉलॉजी।
आगम शास्त्र एक गूढ़ और जटिल टेक्नॉलॉजी है, जो इसी दायरे की है लेकिन बहुत चमत्कारिक है। हालांकि आध्यात्मिकता की प्रक्रिया इस दायरे की नहीं है। यह वह नहीं है जो आप करते हैं, यह वह है जो आप हो जाते हैं। यह आपके अस्तित्व के वर्तमान अवस्था का परम अवस्था की तरफ बढ़ जाना है।
आगम में आपकी अवस्था नहीं बदलती है, यह आपके वर्तमान अस्तित्व के बारे में ही आपको एक बेहतर जानकारी देता है। आगम शास्त्र महज टेक्नॉलॉजी है। आध्यात्मिकता टेक्नॉलॉजी नहीं है। आध्यात्मिकता का अर्थ अपनी चारदीवारियों के पार जाना है। आध्यात्मिकता वह नहीं है जिसको नियंत्रण में ले कर आप कुछ करते हैं, यह वह है जो आप स्वयं हो जाते हैं। यह बहुत अलग है।
- अलकनंदा सिंंह
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