हमने अपनी प्राइमरी कक्षाओं में लकड़हारा और भेड़िए की कहानी पढ़ी थी जिसमें नानी का भेष रखकर भेड़िया मुन्नी को खाने की तैयारी करके बैठा था मगर मुन्नी की चतुराई और लकड़हारे की सहायता से भेड़िये को सबक सिखा दिया गया।
ठीक इसी तर्ज़ पर हमारे देश की सुरक्षा व समृद्धि पर घात कर रहे ब्यूरोक्रेट और कथित सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर सरीखे भेड़ियों की अब पोल खुल रही है मगर कठघरे में अकेले हर्ष मंदर ही नहीं, उनकी पूरी लॉबी आती जा रही है क्योंकि इसमें शामिल 25 से ज्यादा “बुद्धिजीवियों” ने मंदर को “शांति और सौहार्द्र” के लिए काम करने वाला बताकर सरकार (ईडी) के खिलाफ एक संयुक्त बयान जारी किया है। इस आलोचना पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों के नाम पढ़कर आप स्वयं अंदाजा लगा लेंगे कि ये हो हल्ला भी किसलिए है और क्यों है। इन हस्ताक्षरकर्ताओं में योजना आयोग की पूर्व सदस्य डॉक्टर सईदा हमीद, अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद, वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह, कविता कृष्णन, सिटीजन फ़ॉर जस्टिस एंड पीस की सचिव तीस्ता सीतलवाड़ और गैर सरकारी संगठन अनहद की संस्थापक शबनम हाशमी शामिल हैं। जेएनयू, अवार्ड वापसी, भीमा कोरेगांव, 370 की वापसी, सीएए-एनआरसी, हाथरस रेप केस से लेकर दिल्ली दंगों तक अलग-अलग तरह से ये हमारे सामने आते गए परंतु इस देशघाती जमात की मनीट्रेल और इसका “सिरा” अब पकड़ में आया है। देर सबेर ही सही, अब इन कथित “सामाजिक कार्यकताओं” की पूरी लॉबी को समेटना का काम भी शुरू हो चुका है।
यहां से हुई शुरुआत-
मौजूदा मामले में एनजीओ की विदेशी फंडिंग पर #FCRABill2020 के आने के तुरंत बाद पूर्व आईएएस हर्ष मंदर के एनजीओ OxfamIndia के सीईओ और CEStudies के कोषाध्यक्ष अमिताभ बेहर ने गुस्से में ट्वीट कर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को मानसिक दिवालिया तक बता दिया क्योंकि #FCRA Bill पास होते ही उनके OxfamIndia, CEStudies के हित प्रभावित हो रहे थे।
गौरतलब है कि OxfamIndia की डोनर लिस्ट में #HongKong के संदिग्ध स्रोत, यूके की बार्कलेज, #OakFoundation ने हर्ष मंदर के उक्त दोनों एनजीओ को भारी फंडिंग की, इसमें मंदर के साथ साथ मानवाधिकारों के नाम पर कोर्ट में नक्सलियों के केस लड़ने वाली HRLN के कॉलिन गॉन्साल्वेज की @HRLNIndia संस्था भी शामिल है जो गुजरात दंगों के समय से नक्सल अभियानों से जुड़ी हुई है और अब शरणार्थी प्रक्रिया में भारी धोखाधड़ी कर रोहिंग्याओं को भारत का स्थाई नागरिक बनाने के हर हथकंडे पर काम कर रही है। इसमें सरकार को @UNHCRAsia के 2 स्टाफ सदस्यों की भी संदिग्ध भूमिका मिली है, जिसपर नजर रखी जा रही है।
ब्रिटिश कंपनी बार्कलेज ने अप्रैल से जून 2020 के दौरान ऑक्सफैम को लगभग 3.25 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए जो कि #DelhiRiots में गिरफ्तार दंगाइयों को कानूनी मदद की शर्त पर ही दिये गए इसलिए गृह मंत्रालय ने इसे भी पूछताछ के दायरे में ले लिया है।
इसके साथ ही दक्षिण दिल्ली में हर्ष मंदर के एनजीओ CEStudies के तहत चलाए जा रहे ‘उम्मीद अमन घर’ और ‘खुशी रेनबो होम’ चिल्ड्रन होम्स की संदिग्ध गतिविधि पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने संज्ञान लिया और भारतीय दंड संहिता की धारा 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा), किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 और 83 (2) के तहत एक मामला दर्ज करवाया तथा चिल्ड्रन होम्स में पैसों की गड़बड़ी पर इकोनॉमिक ऑफेन्स विंग (EOW) की तरफ से दर्ज FIR की गई। तब जाकर दिल्ली पुलिस की FIR के आधार पर ईडी द्वारा ये छापा मारा गया।
एनसीपीसीआर ने सुबूतों के साथ बताया कि कैसे लड़कियों के लिए “खुशी रेनबो होम” और लड़कों के लिए बने “उम्मीद अमन घर” को पिछले साल अक्टूबर में न केवल संदिग्ध विदेशी फंडिंग आई बल्कि इनमें रहने वाले किशोर किशोरियों को सीएए में प्रदर्शन के लिए भी ले जाया गया। इतना ही नहीं, रोहिंग्या कैंपों में मदद भी यहीं से जा रही थी।
दोनों चिल्ड्रन होम्स दिल्ली राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित होने के अलावा, अन्य धर्मार्थ संस्थाओं से भी काफी धन प्राप्त हुआ है, जिसमें एसोसिएशन फॉर अर्बन एंड रूरल नीडी (ARUN-India) और Can Assist Society शामिल हैं। बता दें कि ARUN-India को Islamic Relief Worldwide (IRW) पैसे देता है जबकि Can Assist Society कनाडाई उच्चायुक्त के एड्रेस पर रजिस्टर्ड है जा कि "दिल से" कैंपेन के तहत दोनों चिल्ड्रन होम्स को पैसे देते हैं।
इस्लामिक कट्टरवाद के आरोप में जॉर्डन की IRW को जॉर्डन, यूएई, बांग्लादेश और इजराइल में मुस्लिम ब्रदरहुड जैसे आतंकी संगठनों के साथ काम करने के कारण प्रतिबंधित किया जा चुका है और अब ये हर्ष मंदर जैसे लोगों की संस्थाओं के माध्यम से भारत में भी इस्लामिक कट्टरवाद फैलाने के लिए पैसा भेज रही हैं। जानकारों के अनुसार तो ARUN-India और Can Assist ने ही सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को पैसा दिया व प्रदर्शन स्थलों पर सारे इंतज़ामात किए।
दरअसल, हर्षमंदर के एनजीओ अब भी जांच के दायरे में ना आते यदि एनजीओ के सीईओ अमिताभ बेहर #FCRABill2020 पास होते ही गृहमंत्री पर इस कदर न बिफरते, इसके अलावा सीएए के विरोध प्रदर्शनों में बच्चों के शामिल होने पर NCPCR एक्टिव ना होती। इन दो इशारों ने हर्ष मंदर और इनके फंडरेजर एजेंसियों व सहयोगियों को अब कहीं से भी राहत मिलना मुश्किल ही लगता है, फिर चाहे कथित बुद्धिजीवी कितना ही हस्ताक्षर अभियान क्यों ना चलायें। पाप तो इनके सामने आने ही लगे हैं देखना यह है कि इस काजल की कोठरी में और कौन कौन कितने भीतर तक धंसा हुआ है।
- अलकनंदा सिंह
#FCRABill2020, #CEStudies, #OxfamIndia #Harshmander #HRLNIndia #UNHCRAsia #NCPCR #ARUNIndia #CanAssistSociety #CAA #IRW #SumitraSinghChaturvedi
बहुत सही बात लिखी है आपने। सभी गद्दारों की पहचान धीरे धीरे हो रही है।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद नीतिश जी
हटाएंऐसे ही लोग मोदी सरकार के विरुद्ध अभियान चलाए हुए हैं ।
जवाब देंहटाएंसार्थक लेखन ।
आपकी लिखी रचना सोमवार. 20 सितंबर 2021 को
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
धन्यवाद संगीता जी
हटाएंगहन चिंतन परक लेख, विस्तृत जानकारी और विवरण के साथ।
जवाब देंहटाएंसुंदर
ध्सन्यवाद कुसुम जी
हटाएंगहन शोध अलकनंदा जी।
जवाब देंहटाएंपर आपके इन तर्कपूर्ण तथ्यों को भी नकार दिया जायेगा तरह तरह झूठ सच का तर्क देकर।
सादर।
धन्यवाद श्वेता जी
हटाएंहमारी आँखें भी तो अपनी सुविधा से अपने अपने काजल और अपनी अपनी कोठरी भी खेल रही हैं| सच उजागर होते रहें अखबार में समाचार मे|
जवाब देंहटाएंसही कहा जोशी जी, इसीलिए मैंने यथासंभव तथ्य भी दिए हैं ताकि निष्पक्ष हो रिपोर्ट को पढ़ा जा सके। यहां बात भाजपा, कांग्रेस या किसी सरकार की नहीं है, बात है विदेशी संस्थाओं के धन पर खेलती इन घरों में छुपे दुश्मनों की प्रजाति की
हटाएंगहन..।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद संदीप जी
हटाएंओह! सफेदी के पीछे कितना कालापन ? यूँ ही पर्दाफाश होना ही चाहिए ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अमृता जी
हटाएंबहुत सटीक, सार्थक लेख !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद उषा जी, इस बहुमूल्य टिप्पणी के लिए
हटाएंबहुत ही चिंतनपरक एवं विचारणीय लेख।
जवाब देंहटाएंसही कहा काजल की इस कोठरी में कितने धँसे हैं देखते हैं।
धन्यवाद सुधा जी, इस बहुममूल्य टिप्पणी के लिए
हटाएंजाने और भी कितने ही मिल जाएंगे ऐसे लोग ,,,,,क्या करें सफेदपोशों का मन ही नहीं भरता, देश को खोखला करने से, इतनी हाय-तौबा, पैसे की भूख कभी शांत ही नहीं होती, ऐसा लगता है जैसे मरकर साथ लाद के सर में उठाकर ले जाएंगे साथ
जवाब देंहटाएंविचारशील , चिंतनशील और जन-जागरण को जागरूक करती प्रस्तुति
सही कहा कविता जी, इनका जी अघाता ही नहीं और ना ही देश से दगा करने से बाज आता है। इतनी अच्छी टिप्पणी के लिए आपका धन्यवाद
हटाएंगहन और विचारणीय लेख,बिलकुल सही कहा आपने ऐसे ही सफेदपोश आज तक देश के लिए घातक सिद्ध हुए हैं और आगे भी होते रहेंगे। एनजीओ के माध्यम से पैसे ले ले जाने कितने लोग देश के ही विरुद्ध एजेंडा चलाते रहते हैं, इन्हें ऐसे ही समाज के सामने लाने की जरूरत है । सार्थक और यथार्थपूर्ण लेखन के लिए बहुत बधाई अलकनंदा जी ।
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