विपक्ष से लेकर स्वयं मेडीकल लाइन के जानकारों के बीच बहस का मुद्दा बन गया है NEET-PG के क्वालीफाइंग परसेंटाइल को स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 'जीरो' कर देना.
मगर इसके पीछे की वजह जो मुझे समझ में आई है वह यह है कि देशभर के सरकारी और प्राइवेट मेडीकल कॉलेजों में पीजी स्तर की लगभग 13 हजार से ज्यादा खाली पड़ी सीटों को भरा जा सके. क्योंकि सिर्फ एक सीट पर सरकार की ओर से 3 करोड़ रुपये खर्च किये जाते हैं और 13 हजार सीटों का मतलब है एक पूरी की मिनिस्ट्री खड़ी कर देना. तो इस भारी नुकसान को बचाने के लिए परसेंटाइल को जीरो कर दिया गया.
NEET-PG के क्वालीफाइंग परसेंटाइल जीरो करने का मतलब है, जिस भी बच्चे ने NEET-PG एग्जाम दिया, इसमें वे भी शामिल हैं, जिन्होंने 0 नंबर पाए या निगेटिव मार्क्स आए, वे काउंसलिंग के लिए एलिजिबल माने जाएंगे. इस फैसले का रिजल्ट ये रहा कि 0 नंबर वाले 14 स्टूडेंट्स, निगेटिव स्कोर वाले 13 और 1 स्टूडेंट -40 स्कोर वाला भी NEET PG के लिए क्वालीफाई माना जाएगा.
NEET-PG नेशनल लेवल का एंट्रेंस टेस्ट है. इस टेस्ट के जरिए देश भर में PG मेडिकल सीटों पर दाखिला दिया जाता है. एक चौंकाने वाला फैसला लेते हुए मेडिकल काउंसिल कमेटी ने कहा, इस साल अब तक बची खाली PG सीटों के लिए एलिजिबिलिटी जीरो परसेंटाइल कर दी जाएगी.
ऐसी छूट क्यों देनी पड़ी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक काउंसलिंग के दो राउंड हो जाने के बाद तक भी मेडिकल कॉलेजों में PG की करीब 13 हजार सीटें खाली रह गईं. यह पहली बार है जब एलिजिबिलिटी कट-ऑफ को पूरी तरह से हटा दिया गया है ताकि सीटें भरी जा सकें. एक सीट पर तीन करोड़ खर्च करने वाली सराकर के लिए यह काफी नुकसानदेह था कि 13,245 खाली रह गई सीटों को हर हाल में भरा जाए.
कौन दे सकता है NEET PG एग्जाम
NEET PG एग्जाम वे कैंडिडेट्स देते हैं तो MBBS कर चुके हैं. ये कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट होता है. इसमें मल्टीपल चॉइस के सवाल आते हैं, जिसमें मेडिकल सब्जेक्ट्स के टॉपिक कवर किए जाते हैं. इस परीक्षा के जरिए रैंक, परसेंटाइल, कैंडिडेट की एलिजिबलिटी और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स और इंस्टीट्यूट में प्रिफ्रेंस तय किया जाता है. इसी के जरिए ये कय किया जाता है कि कैंडिडेट मेडिकल स्टडीज के लिए सभी एजुकेशनल दायरों को पूरा करता हो.
क्या है परसेंटाइल-
परसेंटाइल एक स्टेटिस्टिकल Measure है जिसके जरिए आप ये तुलना कर सकते हैं कि कॉम्पटिशन में आपने कितनों से बेहतर किया. उदाहरण से समझिए. एक अंग्रेजी का टेस्ट हुआ. इस टेस्ट में आपका परसेंटाइल ये बताएगा कि कितने लोगों ने आपसे कम और ज्यादा स्कोर किया है.
पेपर में हिस्सा लेने वालों टेस्ट स्कोर इकट्ठा किए और उन्हें एक ऑर्डर में lowest to highest रखा, मान लेते हैं पेपर में कुल 100 स्कोर पाए. यदि आपको 80 नंबर मिले, तो इसका मतलब है कि परीक्षा देने वाले 80 लोगों ने आपसे कम नंबर पाए. ऐसा इसलिए है क्योंकि आपने 100 में से 80 लोगों से बेहतर प्रदर्शन किया. यदि आप 90वें परसेंटाइल में हैं, तो आपने 100 में से 90 लोगों से बेहतर प्रदर्शन किया. यदि आप 50वें परसेंटाइल में हैं, तो आपने आधे लोगों (100 में से 50) के बराबर ही अच्छा प्रदर्शन किया है.
दूसरे राउंड की काउंसलिंंग के बाद भी 13,245 खाली रह गईं
NEET-PG काउंसलिंग सेशन जुलाई में हुआ, MCC ने इसके लिए कट-ऑफ परसेंटाइल 50 सेट की. कुल 800 नंबरों में से 582 पाने वाले को 100th परसेंटाइल दिया गया. इस मुताबिक सीटें भरी जानें लगीं और दूसरे राउंड के बाद 13,245 खाली रह गईं. इन मेडिकल कॉलेजों में सबसे बड़ी तादाद में खाली सीटों की संख्या All-India quota के तहत रही, जो कि 3000 थी. ये सीटें DNB डॉक्टर्स के लिए थी.
मेडिकल में मास्टर्स डिग्री करने के लिए तीन कोर्स हैं. MD (Doctor of Medicine), MS (Master of Surgery), DNB (Diplomate of National Board) हैं. DNB भी पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल क्वालीफिकेशन है जो NBE की ओर से भारत में ऑफर की जाती है. ये डिग्री MD, MS के बराबर मानी जाती है. इसके लिए जरिए मेडिकल और सर्जिकल में अलग अलग स्पेशलाइजेन मिलता है.
एक एमबीबीएस सीट के लिए सरकार 3 करोड़ रुपये करती है खर्च
शासकीय मेडिकल कॉलेज की एमबीबीएस सीट पर दाखिला लेने वाले एक छात्र को डॉक्टर बनाने में सरकार तीन करोड़ रुपये खर्च करती है. इसमें डॉक्टर/प्रोफेसर का वेतन, कॉलेज का इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर प्रयोगशाला, हॉस्टल और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) में मान्यता के आवेदन का खर्च शामिल है.
इस परेशानी के मद्देनजर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन समेत सभी मेडिकल एसोसिशएंस ने हेल्थ मिनिस्ट्री से परसेंटाइल कट-ऑफ को 20 तक कम करने की अपील की थी.
इसके जवाब ने MCC ने मांगे गए नंबर तक परसेंटाइल घटाने की बजाय उसे जीरो (0) तक घटा दिया. 0 परसेंटाइल का मतलब है, जिस भी बच्चे ने NEET-PG एग्जाम दिया, इसमें वे भी शामिल हैं, जिन्होंने 0 नंबर पाए या निगेटिव मार्क्स आए, वे काउंसलिंग के लिए एलिजिबल माने जाएंगे. इस फैसले का रिजल्ट ये रहा कि 0 नंबर वाले 14 स्टूडेंट्स, निगेटिव स्कोर वाले 13 और 1 स्टूडेंट -40 स्कोर वाला भी NEET PG के लिए क्वालीफाई माना जाएगा.
इसका मतलब सीधा है कि अगर आपने नीट पीजी में अप्लाई किया है, अपीयर हुए हैं या अगर आप उस परीक्षा में केवल बैठे भी हैं तो भी आप उस सीट के दावेदार हैं. अगर कॉलेज में सीट है तो आप उस सीट के लिए आवेदन कर सकते हैं. अभी तक दो राउंड की काउंसलिंग हो चुकी है और तीसरे राउंड की काउंसलिंग शुरू होगी, जिसमें स्टूडेंट्स अपनी चॉइस भरेंगे और वो इन छह से सात हजार मेडिकल सीटों के लिए अप्लाई कर सकेंगे.
IMA ने बयान जारी किया
केंद्र सरकार की ओर से यह पत्र राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (NBE) को भी भेजा गया था. ये NEET PG द्वारा आयोजित किया जाता रहा है. इसके साथ ही मंत्रालय के चिकित्सा परामर्श प्रभाग और सभी राज्यों के प्रमुख सचिवों (स्वास्थ्य) को भेजा गया था. इस आदेश के जवाब में आईएमए ने एक बयान जारी कर स्वास्थ्य मंत्री का आभार किया गया है. उन्होंने कहा कि उसने सरकार से ऐसा करने का अनुरोध किया था. बीते वर्ष काउंसलिंग के आखिरी दौर के लिए क्वालीफाइंग परसेंटाइल को घटाकर 30 करा गया था. उस वक्त लगभग 4 हजार सीटें खाली हो गई थीं. सरकार के इस कदम के जरिए स्ट्रीम में पीजी सीटें भरने का लक्ष्य रखा है.
- अलकनंदा सिंंह