रविवार, 16 जून 2019

एक बेटी थी सोनोरा जिसके कैंपेन ने शुरू कराया Father’s Day

सोनोरा ने Fathers Day मनाने की ठान ली थी, इसके लिए यूएस तक में कैंपेन किया. इस तरह 19 जून 1910 को पहली बार फादर्स डे मनाया गया.
बात 1909 की है. सोनोरा लुईस स्मार्ट डॉड (Sonora Louise Smart Dodd) नाम की 16 साल की लड़की ने Father’s Day मनाने की शुरुआत की. दरअसल, जब वो 16 साल की थी तब उसकी मां उसे और उसके पांच छोटे भाइयों को छोड़कर चली गईं.
सोनोरा और भाइयों की जिम्मेदारी उसके पिता पर आ गई. एक दिन 1909 में वह मदर्स डे (Mother’s Day) बारे में सुन रही थी, तभी उसे महसूस हुआ कि ऐसा एक दिन पिता के नाम भी होना चाहिए.
सोनोरा ने फादर्स डे (Father’s Day) मनाने के लिए एक याचिका दायर की. उसमें सोनोरा ने कहा कि उसके पिता का जन्मदिन जून में आता है इसलिए वो जून में ही फादर्स डे मनाना चाहती है. इस याचिका के लिए दो हस्ताक्षरों की जरुरत थी. इस वजह से उसने आस-पास मौजूद चर्च के सदस्यों को भी मनाया.
लेकिन फादर्स डे मनाने की मंजूरी नहीं मिली. लेकिन सोनोरा ने फादर्स डे (Fathers Day) मनाने की ठान ली थी, इसके लिए यूएस तक में कैंपेन किया. इस तरह 19 जून 1910 को पहली बार फादर्स डे मनाया गया.
Father’s Day 2019: पापा को प्यार जताने के लिए पूरी जिंदगी कम है. बावजूद इसके हर साल जून के तीसरे संडे को फादर्ड डे (Father’s Day) मनाया जाता है. ये दिन खास पापा को अपना प्यार दिखाने और उन्हें स्पेशल महसूस कराने का होता है. गिफ्ट्स, केक और मिठाइयों के साथ इस दिन उन्हें खास फादर्स डे के मैसेजेस (Father’s Day Messages) भी भेजे जाते हैं. इन सबके अलावा आप अपने पापा के लिए एक काम और कर सकते हैं और वो है अपने व्हाट्सएप और फेसबुक पर फादर्स डे के स्टेटस (Father’s Day Status) लगाएं.
वहीं, मदर्स डे 1914 में बतौर नेशनल हॉलिडे मनाया जाने लगा था लेकिन 1972 तक फादर्स डे को राष्ट्रीय अवकाश घोषित नहीं किया गया था. आगे सालों में प्रेज़िडेंट वुड्रो विल्सन, कैल्विन कॉलिज और लिंडन बी जॉनसन सभी ने पिता के समर्पित इस दिन को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने के बारे में लिखा. आखिरकार साल 1970 में, राष्ट्रपति रिचर्ड दस्तखत कर अपनी रज़ामंदी दी.

Who was Sonora Louise Smart Dodd?

Dodd, born in 1882, was the daughter of American Civil War veteran William Jackson Smart. She was 16 years old when her mother died in childbirth with her sixth child.
Following her mother’s death, Dodd helped her father raise her younger brothers. She held her father in high esteem and was motivated by the newly recognised Mother’s Day to fight for the recognition of fatherhood.
धीरे-धीरे फादर्स डे मनाने का ट्रेंड पूरी दुनिया में फैला. अब हर घर में हर फादर्स डे बहुत ही प्यार के साथ मनाया जाता है.
-Legend News

शनिवार, 1 जून 2019

शीशम के एक बड़े टुकड़े से बनी श्रीराम की प्रतिमा स्‍थापित होगी अयोध्‍या में

अयोध्या में कोदंड श्रीराम की सात फुट ऊंची प्रतिमा स्थापित की जाएगी। तमिलनाडु में बनी यह प्रतिमा अयोध्या शोध संस्थान में प्रतिष्ठित की जाएगी, जिसे बनाने में 3 साल का समय लगा है।


संस्थान ने इस आदम कद प्रतिमा को कर्नाटक सरकार के उपक्रम ‘कावेरी’ से 35 लाख रुपए में खरीदा है।
खास बात यह है कि इस प्रतिमा को शीशम की लकड़ी के एक बड़े टुकड़े से ही बनाया गया है।


संस्थान के अधिकारियों ने बताया कि जून के पहले हफ्ते में प्रतिमा की स्थापना के समय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अयोध्या में मौजूद रहेंगे। बताया जा रहा है कि इस प्रतिमा को तैयार करने वाले कलाकार को हस्त शिल्प के लिए राष्ट्रपति सम्मान मिल चुका है। अयोध्या में आने वाले श्रद्धालुओं को इस प्रतिमा की उपस्थिति एक नया अनुभव होगी। साथ ही यह भगवान राम की विराट छवि और अलग-अलग क्षेत्रों में उनकी अलग-अलग रूपों में स्वीकार्यता को दर्शाएगी।


भगवान राम के धनुष को कोदंड के नाम से जाना जाना जाता है

भगवान राम के धनुष को कोदंड के नाम से जाना जाना जाता है। जब वह माता सीता की खोज के लिए दक्षिण भारत पहुंचे तो वनवासी रूप में उनके हाथ में उनका धनुष कोदंड था। उन्होंने अपनी पत्नी सीता की रक्षा के लिए धनुष उठाया था लिहाजा दक्षिण भारत में उनका परिचय एक ऐसे पुरुष के तौर पर होता है जो ‘स्त्री रक्षक’ हैं इसलिए तमिलनाडु में भगवान राम के कोदंड स्वरूप को पूजा जाता है। स्त्रियों में श्रीराम के इस स्वरूप को आदर और सम्मान दिया जाता है।
देशभर में भगवान राम की जिन रूपों में पूजा की जाती है, उसका विशेष कारण है। कहते हैं- जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत तिन देखी तैसी। यानी जिसकी जैसी भावना होती है, उसे भगवान की वैसी मूर्ति दिखती है। यह बात श्रीराम के जीवन काल की घटनाओं पर भी लागू होती है। अयोध्या और इसके आस-पास के क्षेत्र के लोगों ने उन्हें बाल्य रूप में देखा था तो वहां उनकी पूजा ‘बाल राम’ रूप में की जाती है।


मिथिला क्षेत्र में उन्होंने सीता से स्वयंवर किया था, तो वहां उन्हें ‘दूल्हा राम’ के रूप में पूजा जाता है। 14 वर्ष के वनवास के दौरान वह काफी समय मध्य प्रदेश और चित्रकूट में रहे तो वहां उनकी छवि ‘बनवासी राम’ की है। इसी तरह जब वह रावण द्वारा सीता मां का अपहरण कर लिए जाने के बाद उनकी तलाश करते हुए हाथ में अपने धनुष कोदंड के साथ दक्षिण भारत पहुंचते हैं, तो वहां उनके कोदंड स्वरूप को पूजा जाता है, जो स्त्री के सम्मान के लिए रावण जैसे आतताई से भिड़ने के लिए तत्पर हैं।