सोमवार, 18 जनवरी 2016

AICOG-2016: Stem cell के ज़रिये त्वचा से बने Sperm से जन्मेंगे बच्चे

जानवरों के क्लोन और लगभग आधा दर्जन जानलेवा बीमारियों का इलाज Stem cell Therapy से सफलतापूर्वक ढूंढ़ने लेने के बाद अब गाइनिकॉलॉजिस्ट्स एक और सफल प्रयोग करने में सफल हुए हैं। जी हां, अब Stem cell के ज़रिए त्वचा से स्पर्म तैयार होगा और बच्चा पैदा हो जाएगा।
आगरा में आज देश विदेश के गाइनोकोलॉजिस्ट की “नेशनल कांफ्रेंस आईकोग-2016” में 59th All India Congress of Obstetrics & Gynaecology के कलाकृति ग्राउंड में चल रहे सम्मेलन में ये सच सबके सामने आया, हालांकि जो कुछ दिखाया गया , वह अपने प्रायोगिक दौर से अभी तक आगे नहीं आया मगर बहुत जल्द ही इससे हम बच्चों की पैदाइश का उपहार उन दंपत्त‍ियों को दे पाऐंगे जो किन्हीं शारीरिक कारणों से नि:संतान हैं।
चिकित्सा जगत में स्टेम सेल से कई बीमारियों का तोड़ खोजने के बाद अब बच्चे को जन्म दिए जाने की तैयारी कर चुके स्टेम सेल में ही कई बीमारियों की खोज करने वाले अमेरिका के विश्वविख्यात डॉ. स्कैटेन गैराल्ड दुनिया को यह तोहफा देने वाले हैं जिसका खुलासा उन्होंने आगरा में किया।
उनकी रिसर्च लगभग पूरी हो चुकी है, जिसे जल्द ही विश्व पटल पर प्रकाशित किया जाएगा। ताज नगरी में चल रही नेशनल कॉन्फ्रेंस ‘आईकोग-2016’ के अंतिम दिन आज रविवार को इस आधुनिक रिसर्च से डॉ. गैराल्ड ने कई देशों से आए डॉक्टरों को रू-ब-रू कराया।
आम लोगों की जानकारी के लिए बता दूं कि स्टेम सेल मूलत: ऐसे अविकसित सेल होते हैं जो इविकसित होते हुए भी एक विकसित कोशिका के रूप में सारी विशिष्टता रखते हैं।
बायो टेक्नोलॉजी ने क्लोनिंग जैसे आधुनिक चिकित्सा प्रयोगों के साथ एक और चिकित्सा-क्षेत्र को जन्म दिया है, जिसका नाम है कोशिका चिकित्सा यानि Cell therapy। इसके अंतर्गत ऐसी कोशिकाओं Cells का अध्ययन किया जाता है, जिसमें वृद्धि, विभाजन और विभेदन कर नए Tissues बनाने की क्षमता होती है।
सर्वप्रथम  Blood cells बनाने वाले Tissues से इस चिकित्सा का विचार व प्रयोग शुरु हुआ था जिसमें अस्थि-मज्जा( bone marrow) से प्राप्त ये कोशिकाएं, आजीवन शरीर में रक्त का उत्पादन करतीं हैं और कैंसर आदि रोगों में इनका प्रत्यारोपण कर पूरी रक्त प्रणाली को, पुनर्संचित किया जा सकता है। ऐसी कोशिकाओं को ही स्टेम कोशिका कहते हैं।
डॉ. गैराल्ड स्कैटेन ने अब तक दुनिया को Stem cell Therapy के जरिए स्त्री रोग से जुड़ी कई बीमारियों पर आविष्कार कर नई खोज दी हैं। अब वह Stem cell के जरिए Sperms ( शुक्राणु ) तैयार कर बच्चे का जन्म कराने वाली रिसर्च का तोहफा देने वाले हैं।
Nobel पुरस्कार के लिए भी डॉ. गैराल्ड स्कैटेन का नाम चल रहा है। कलाकृति ग्राउंड में चल रही नेशनल कॉन्फ्रेंस ‘ऑल इंडिया कांग्रेस आब्सटेट्रिक एंड गायनेकोलॉजी-2016’ में भाग लेने आए डॉ. गैराल्ड पूरी तरह आश्वस्त हैं कि जल्द ही Stem cell से बच्चे का जन्म भी हो सकेगा। ऐसे प्रयोगों को आगे बढ़ाने के पीछे उन्होंने मुख्य कारण बताया कि महिला और पुरुषों में फर्टिलिटी रेट लगातार गिरता जा रहा है। इसी के कारण IVF का चलन बढ़ा है, मगर अब बच्चे को जन्म देने के लिए Stem cell Therapy दुनिया के लिए एक बेहतरीन तोहफा होगी।
डॉ. गैराल्ड बताते हैं कि पुरुष में Sperm काउंट पूरी तरह खत्म होने और फर्टिलिटी भी खत्म हो जाने की स्थिति में त्वचा से Stem cell विकसित किए जाएंगे। इससे उसी व्यक्ति का Sperm तैयार किया जाएगा। इसके बाद उनकी महिला पार्टनर की ओवरी में IVF पद्धति से स्पर्म इंजेक्ट कर बच्चे का जन्म कराया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि बंदर व अन्य जानवरों पर शोध कर लिया गया है।
– अलकनंदा सिंह

शनिवार, 9 जनवरी 2016

Inauguration of New Delhi World Book Fair 2016

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में अपर सचिव श्री जे. एस. माथुर, 09 जनवरी, 2016 को प्रगति मैदान, नई दिल्‍ली में विश्‍व पुस्‍तक मेले में प्रकाशन विभाग की प्रदर्शनी का उद्घाटन अवसर पर

The Additional Secretary, Ministry of Information & Broadcasting, Shri J.S. Mathur visiting after inaugurating the Publications Division Display, at World Book Fair, Pragati Maidan, in New Delhi on January 09, 2016.




रवींद्र कालिया नहीं रहे

नई दिल्‍ली। वरिष्ठ साहित्यकार रवींद्र कालिया अब हमारे बीच नहीं रहे। उन्हें लीवर में शिकायत के बाद पिछले दिनों राजधानी दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
पिछले बुधवार को उनकी हालत में सुधार के बाद उन्हें वेंटिलेटर से बाहर कर दिया गया था लेकिन आज सुबह एक बार फिर उनकी तबीयत बिगड़ गई।
उनके निधन के समाचार से पूरे साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। उनकी पत्नी ममता कालिया भी एक प्रख्यात साहित्यकार हैं। उनकी बीमारी के दौरान उनके पुत्र मनु कालिया उनके साथ थे।
हिंदी साहित्य में रवींद्र कालिया की ख्याति उपन्यासकार, कहानीकार और संस्मरण लेखक के अलावा एक ऐसे बेहतरीन संपादक के रूप में थी जो मृतप्राय: पत्रिकाओं में भी जान फूंक देते थे।
रवींद्र कालिया हिंदी के उन गिने-चुने संपादकों में से एक थे, जिन्हें पाठकों की नब्ज़ और बाज़ार का खेल दोनों का पता था।
रवींद्र कालिया के प्रमुख कथा संग्रह और उपन्यासों पर एक नजर…
कथा संग्रह
नौ साल छोटी पत्नी
गरीबी हटाओ
गली कूंचे
चकैया नीम
सत्ताइस साल की उमर तक
ज़रा सी रोशनी
उपन्यास
खुदा सही सलामत है
ए.बी.सी.डी.
17 रानडे रोड
संस्मरण
स्मृतियों की जन्मपत्री
कामरेड मोनालिसा
सृजन के सहयात्री
गालिब छुटी शराब
व्यंग्य संग्रह
नींद क्यों रात भर नहीं आती
राग मिलावट माल कौंस
कहानियाँ
दस प्रतिनिधि कहानियाँ
इक्कीस श्रेष्ठ कहानियाँ
रवींद्र कालिया को मिले सम्मान
उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का प्रेमचंद स्मृति सम्मान
मध्यप्रदेश साहित्य अकादेमी द्वारा पदुमलाल बक्शी सम्मान
उत्तर प्रदेश हिंदी संस्था न द्वारा साहित्यनभूषण सम्मान
उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा लोहिया सम्मान
पंजाब सरकार द्वारा शिरोमणि साहित्य सम्मान

शुक्रवार, 1 जनवरी 2016

Ruskin Bond का ‘रस्टी’ वापस आया

जाने-माने लेखक Ruskin Bond लगभग एक दशक बाद अपने चरित्र ‘रस्टी’ के नए कारनामों के साथ वापस आए हैं। इस कहानी में अनाथ एंग्लो-भारतीय ‘रस्टी’ अपने दोस्तों के साथ रहस्यमय पहाड़ों की खोज में जाता है।देहरादून में अपने दादा-दादी के साथ रहने वाला रस्टी समय के साथ बड़ा होता है और लंदन जाकर एक लेखक बनता है और इस दौरान वह कई सारे रोमांचकारी कारनामों को अंजाम देता है, इनकी कारनामों की संख्या इतनी है कि किसी और के लिए उनकी कल्पना करना भी असंभव सा होता।
‘रस्टी एंड द मैजिक माउंटेन’ में रस्टी और उसके दोस्त पितांबर और पोपट एक रहस्यमयी पहाड़ की चढ़ाई करते हैं और इस यात्रा में उनका सामना समय के साथ वहां पनपे कई अंधविश्वासों और कई उत्कृष्ट कथाओं से होता है।
इस यात्रा में वह एक भूतिया घर में पड़ाव डालते हैं, एक बाघ से भिड़ते हैं और खच्चर की सवारी की एक ऐसी यात्रा करते हैं जिससे हंसहंस कर पेट में मरोड़ पड़ जाएं। खच्चर की सवारी उन्हें एक पागल रानी के महल में ले जाती है जहां रानी कौवों की हत्या के मामले की अध्यक्षता करती है। इसके अलावा एक रहस्यमयी राजकुमारी, बौनों की एक कॉलोनी और एक अनोखा संगीत पत्थर भी उनकी इस यात्रा का हिस्सा होते हैं।
इस पुस्तक का प्रकाशन पफिन बुक्स ने किया है।