अभी तक सबसे ज्यादा तोड़े मरोड़े गए हैं महात्मा गांधी और उनके शब्द, आलोचकों की नई पीढ़ी में शामिल हो गई हैं भारतीय मूल की अमेरिकी लेखिका सुजाता गिडला ।
JLF (जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल) में "Ants Among Elephants" की लेखिका सुजाता गिडला ने अपने तर्कों को जायज ठहराने के लिए उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में राजनीतिक नेताओं के घटनाक्रम की याद दिलाई जहां उन्होंने कहा था कि अश्वेत लोग ‘काफिर’ और ‘असफल’ हैं।
भारतीय मूल की अमेरिकी लेखिका सुजाता गिडला ने कहा है कि महात्मा गांधी ‘जातिवादी और नस्लीय’ थे जो जाति व्यवस्था को जिंदा रखना चाहते थे। वह राजनीतिक फायदे के लिए दलित उत्थान पर केवल जबानी जमा खर्च करते थे। न्यूयार्क में रहने वाली दलित लेखिका ने जयपुर साहित्य महोत्सव में यह बात कही है। उन्होंने आगे कहा कि गांधी जाति व्यवस्था को केवल ‘संवारना’ चाहते थे।
गिडला ने कहा, ‘कैसे कोई कह सकता है कि गांधी जाति विरोधी व्यक्ति थे? वाकई वह जाति व्यवस्था की रक्षा करना चाहते थे और यही कारण है कि अछूतों के उत्थान के लिए वह केवल बातें करने तक सीमित रहे क्योंकि ब्रिटिश सरकार में राजनीतिक प्रतिनिधित्व के लिए हिंदुओं को मुसलमानों के खिलाफ बहुमत की जरूरत थी ।’ गिडला ने कहा, ‘इसी वजह से हिंदू नेताओं ने हमेशा जाति मुद्दे को उठाया।’
अपने तर्कों को जायज ठहराने के लिए उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में राजनीतिक नेताओं के घटनाक्रम की याद दिलाई जहां उन्होंने कहा था कि अश्वेत लोग ‘काफिर’ और ‘असफल’ हैं। गिडला ने कहा, ‘अफ्रीका में जब लोग पासपोर्ट शुरू करने के लिए ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लड़ रहे थे तो उन्होंने कहा कि भारतीय लोग मेहनती होते हैं और उनके लिए इन चीजों को साथ लेकर चलना जरूरी नहीं होना चाहिए।
लेकिन अश्वेत लोग काफिर और असफल होते हैं और वे आलसी हैं । हां, वे अपना पासपोर्ट रख सकते हैं लेकिन हमें ऐसा क्यों करना चाहिए ?’ उन्होंने कहा, ‘गांधी वास्तविकता में बहुत जातिवादी और नस्लीय थे और कोई भी अछूत यह जान जाएगा कि गांधी की असल मंशा वहां क्या थी।’
ये तो रही सुजाता गिडला जैसे हाइप पाने के लिए लालायित लेखकों की बात मगर महात्मा गांधी को लेकर और भी कई कयासों से भरी पड़ी हैं इतिहास की किताबें। ऐसा ही एक और खुलासा देखिए कि-
Mahatma Gandhi: क्या हुआ था उन आखिरी पलों में, आखिरी शब्द ‘हे राम’ नहीं थे
सरदार वल्लभ भाई पटेल की वजह से बापू Mahatma Gandhi 15 मिनट देर से उस कार्यक्रम में पहुंचे, जहां उन पर गोलियां चली थीं महात्मा गांधी के निजी सचिव वी कल्याणम ने विस्तार से बताया है-
आज महात्मा गांधी की 70वीं पुण्यतिथि पर पूरा देश उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है। 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस घटना ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया था। बापू की हत्या कैसे हुई, आखिरी वक्त में क्या-क्या हुआ, उनके करीबियों ने विस्तार से इसके बारे में बताया है। आपको बता दें कि सरदार वल्लभ भाई पटेल की वजह से बापू 15 मिनट देरी से उस कार्यक्रम में पहुंचे, जहां उन पर गोलियां चली थीं। महात्मा गांधी के निजी सचिव वी कल्याणम ने विस्तार से इस बारे में बताया है।
कल्याणम के मुताबिक, उस वक्त पंडित नेहरू और सरदार पटेल के बीच मतभेद की खबरों से बापू काफी परेशान थे। इसी मुद्दे पर चर्चा करने के लिए उन्होंने पटेल को शाम चार बजे दिल्ली के बिड़ला भवन बुलाया था। बापू चाहते थे कि वह पटेल को इस्तीफा देने पर राजी कर लें ताकि नेहरू खुलकर काम कर सकें। बापू को शाम 5 बजे प्रार्थना सभा में जाना था। हालांकि, इस मुद्दे पर उनकी और पटेल के बीच इतनी लंबी बातचीत हुई कि थोड़ी देर हो गई। 5 बजकर 10 मिनट पर बातचीत खत्म होने के बाद बापू टॉयलेट गए और वहां से आकर प्रार्थना सभा के लिए रवाना हुए।
प्रार्थना सभा Mahatma Gandhi जी के कमरे से कुछ ही दूरी पर स्थित था। बापू जब तक वहां पहुंचे, 15 मिनट ज्यादा बीत चुका था। बापू अपनी पोतियां संग लोगों के बीच पहुंचे। कल्याणम भी उनके साथ मौजूद थे। बापू नाराज थे क्योंकि उन्हें देर से पहुंचना पसंद नहीं था। इसके बाद बापू उन सीढ़ियों पर चढ़ने लगे, जो प्रार्थना मंच के लिए बनाई गई थीं। लोग बापू का अभिवादन कर रहे थे और वह उस आसन की ओर बढ़ रहे थे, जिस पर बैठकर वह प्रार्थना करते थे। इसी भीड़ में नाथूराम गोडसे भी छिपा था। यहीं पर नाथूराम ने उन पर कई गोलियां चलाईं। इसके बाद वहां भगदड़ मच गई। बापू का काफी खून बह रहा था और लोगों के भागने की वजह से उनका चश्मा और खड़ाऊं भीड़ में कहीं खो गया था। जब लोगों को बापू की हत्या की खबर मिली तो वे अवाक रह गए। बिड़ला भवन पर लोगों की भीड़ जुटने लगी। हत्या के बाद कल्याणम ने नेहरू को सूचना दी।
कल्याणम के मुताबिक, गोली लगने के बाद गांधी जहां गिरे थे, लोग वहां की मिट्टी मुठ्ठियों में भरकर ले जाने लगे। कुछ ही देर में उस जगह पर एक बड़ा सा गड्ढा बन गया था। Mahatma Gandhi के निजी सचिव ने इस बात का भी खंडन किया था कि महात्मा के आखिरी शब्द ‘हे राम’ थे।
कल्याणम का मानना था कि किसी चालाक पत्रकार ने अपने अनुमान से ऐसा लिखा और यह प्रचलित हो गया।
कुलमिलाकर इतना कहा जा सकता है कि महात्मा गांधी पर कुछ भी कहकर अथवा लिखकर तिल को ताड़ बनाने की कला को अभी विराम नहीं लगेगा। आखिर सबसे सेलेबिल सब्जेक्ट जो हैं महात्मा गांधी।
- अलकनंदा सिंह